Grapes Farming: सेब के लिये मशहूर कश्मीर घाटी में बढ़ रहा है अंगूर का दबदबा, खेती करके लाखों कमा रहे हैं किसान
Grape Cultivation in Kashmir valley: मध्य कश्मीर घाटी में अंगूर की खेती के लिए सही मिट्टी और जलवायु तो मौजूद है ही, साथ ही किसानों को सिंचाई और भंडारण की भी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं.

Fruits Cultivation in Kashmir Valley: भारत के साथ-साथ दुनियाभर में कश्मीरी सेबों (Kashmiri Apple) की काफी डिमांड रहती है. यहां पहाड़ी इलाकों में सर्द जलवायु के बीच उगने वाले सेब की क्वालिटी बाकी इलाकों से काफी अलग होती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में कश्मीरी किसानों ने अंगूर की खेती (Grapes Farming in Kashmir) को भी नये विकल्पों के रूप में अपनाया है. खासकर कश्मीर के गांदरबल (Ganderbal, Kashmir Valley) जिले में ज्यादातर किसान अब सेब के साथ-साथ अंगूर की खेती (Grapes Cultivation in Kashmir) की तरफ रुख कर रहे हैं. इस जिले में सबसे ज्यादा अंगूरों का उत्पादन (Grapes Production in India) होता है.
सेब की जगह अंगूर की खेती
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर घाटी के ज्यादातर किसानों ने सेब के नये विकल्प के रूप में अंगूर की बागवानी शुरू कर दी है. किसानों का मानना है कि सेब की खेती में मेहनत के अनुसार मुनाफा नहीं मिल पाता. वहीं पूरी कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर सेब की बागवानी होने के कारण किसानों और उत्पादों के बीच प्रतियोगिता भी काफी बढ़ गई है.
यहां हर किसान को सेब की उपज के मेहनत के मुताबिक दाम नहीं मिल पाते. वहीं दूसरी तरफ अंगूर की मार्केट डिमांड तो ज्यादा है ही, हाजार में इनकी अच्छी कीमत भी मिल जाती है. यही कारण है कि कश्मीर घाटी के गांदरबल जिले के सैकड़ों किसानों ने अंगूर की खेती की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है.
अंगूर की खेती के लिए सुविधा
कश्मीर राज्य सरकार द्वारा मध्य कश्मीर घाटी के किसानों को अंगूर की उपज का भंडारण करने के लिये कोल्ड स्टोरेज की सुविधा भी दी जा रही है. दरअसल अंगूरों की तुड़ाई के बाद फलों के उत्पादन को कुछ दिनों के अंदर की बेचना पड़ता है. इन्हें ज्यादा दिन बाहर रखने पर उपज और इसकी क्वालिटी खराब होने का खतरा बना रहता है, इसलिये यहां कोल्ड स्टोरेज की सुविधा भी किसी वरदान की तरह ही काम कर रही है. मध्य कश्मीर घाटी में सेब के अलावा अंगूर की खेती करने के इच्छुक किसानों को बागवानी की ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे अंगूर का क्वालिटी उत्पादन ले सके.
कश्मीर घाटी में अंगूर का उत्पादन
कश्मीरी बागवानी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अंगूर की खेती का रकबा 400 हेक्टेयर से भी ज्यादा जमीन पर फैला हुआ है, जिनसे 1600 मीट्रिक टन अंगूर का उत्पादन मिलता है.
- अकेले गांदरबल जिले में साल 2020-202 के बीच 199 एकड़ जमीन पर अंगूर की बागवानी हो रही थी, जो साल 2021-22 में बढ़कर 201 हेक्टेयर पर पहुंच गई है.
- यहां अंगूर का उत्पादन भी 1,048 मिलियन टन से बढ़कर 1,205 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जिससे साबित होता है कि यह कश्मीरी किसान अंगूर जैसे नए बागवानी विकल्पों पर काम कर रहे हैं.
फेमस हैं कश्मीर के अंगूर
कश्मीर घाटी में अंगूर का सीजन अगस्त से सितंबर के बीच होता है. इस बीच के साथ अंगूर की तुड़ाई करके कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage for Grapes) में रखते हैं या डिमांड के हिसाब से देश-विदेश में निर्यात कर देते हैं. बता दें कि कश्मीरी सेब जितना फेमस है, उससे कहीं ज्यादा लोकप्रियता कश्मीरी अंगूरों की भी है. कश्मीर के विभिन्न इतिहासकार बताते हैं कि कश्मीर घाटी का गांदरबल इलाका अंगूर के लिए मशहूर है.
यहां पर ज्यादातर परिवार कई सदियों से अंगूर की खेती कर रहे हैं. खासकर गांदरबल के रेपोरा (Repora Village, Ganderbal) गांव में 10 से 15 कनाल भूमि पर अंगूर के बागवानी (Grapes Orchards) की जा रही है. यहां पर अंगूर के शौकीन लोग अपने किचन गार्डन में भी इसकी बागवानी कर रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो यहां अंगूर की खेती (Grapes Cultivation) के लिए सही मिट्टी और जलवायु तो मौजूद है ही, साथ ही यहां से सिंचाई की भी पर्याप्त सुविधाएं मौजूद है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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