कई दिनों से बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले लोग परेशान हैं. बीते दिनों से राजधानी दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 से 500 के बीच है. जिसकी वजह से राजधानी और आसपास के इलाकों में स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है. हालांकि इस प्रदूषण के पीछे गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुआं तो है ही साथ ही कुछ रिपोर्ट्स में पराली का जिक्र भी किया गया है. विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बढ़ते प्रदूषण का कारण खेतों में जलाए जाने वाली पराली भी है.


आज हम आपको बताते हैं क्यों किसान भाई पराली क्यों जला देते हैं. इसे आसान और सस्ता रास्ता क्यों माना जाता है, आइए जानते हैं...  


पराली को जलाने के लिए किसी विशेष उपकरण या तकनीक की जरूरत नहीं होती है. इसे जलाने के लिए केवल आग लगाने की जरूरत होती है. इसके अलावा पराली को जलाने के लिए कोई अतिरिक्त लागत नहीं होती है. किसान को केवल माचिस या आग लगाने वाले उपकरण की आवश्यकता होती है.


पराली को जलाने में कम समय लगाता है. जिस कारण किसान अगली फसल की बुवाई के लिए जल्दी खेत तैयार कर सकते हैं. जिस वजह से किसान भाई पराली को जला देते हैं. लेकिन पराली जलाने की वजह से वायु प्रदूषण होता है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होता है.


जलाने की जगह कैसे कर सकते हैं उपयोग


पराली को खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है व अगली फसल की पैदावार में भी इजाफा होता है. इसका इस्तेमाल पशु चारे के तौर पर भी किया जा सकता है. इससे पशुओं को पोषक तत्व मिलते हैं साथ ही उनकी सेहत भी अच्छी रहती है.



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