PM Kisan Samman Nidhi Rules: देश के ज्यादातर इलाकों में रबी फसलों की कटाई का काम जारी है. मौसम साफ है, इसलिए किसान भी तेजी से गेहूं, मक्का, सरसों, चना सरसों की कटाई करके सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं. अक्सर देखा जाता है कि धान-गेहूं जैसी फसलों के अवशेषों का प्रबंधन करने के लिए कई किसान खेत में आग लगा देते हैं. इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होने लगती है और पर्यावरण में भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है. हालांकि पराली जलाने पर सरकार ने पूर्ण प्रतिबंध लगाया हुआ है. फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए किसानों को आर्थिक मदद भी दी जाती है. लेकिन इस सब के बवाजूद पराली जलाने के मामले कम नहीं हुए हैं. यही वजह है कि अब किसानों पर सख्त कार्रवाई भी की जा रही है.


किसानों  को नहीं मिलेगी सम्मान निधि


हाल ही में बिहार सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए नया आदेश जारी किया है. बिहार डीबीटी पोर्टल Agriculture Department (bihar.gov.in) पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, फसल अवशेष कचरा नहीं, बल्कि विशेष है. इसे जलाना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. फसल अवशेष जलाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घटने लगती है और वातावरण भी प्रदूषित हो जाता है.


यदि राज्य में कोई भी किसान पराली जलाता पाया जाता है तो 3 साल के लिए पंजीकरण बाधित यानी ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा. इसका नतीजा यही होगा कि किसान के खाते में किसी भी सरकारी सब्सिडी स्कीम का पैसा ट्रांसफर नहीं होगा और तमाम योजनाओं को लाभ लेने से भी वंचित रह जाएंगे.


पराली प्रबंधन के लिए उपाय


कई बार कृषि विशेषज्ञों की ओर से पराली का महत्व समझाया जाता है. जिस पराली को किसान आज कचरा समझकर जला देते हैं. वही पराली किसानों के लिए वरदान बन सकती है. खेतों के कम हो रही उपजाऊ शक्ति को लौटाने में पराली का मेन रोल है.


पूसा डीकंपोजर कैप्सूल्स की मदद से पराली को गलाकर खाद बनाई जा सकती है. तमाम कृषि यंत्रों की मदद से पराली को मिट्टी में मिला सकते हैं. जहां से डिस्पोज होकर जीवांशों की संख्या बढ़ाती हैं.


वहीं बागवानी फसलों की खेती करने वाले किसान पराली को मल्च के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे पानी की बचत होगी ही, खरपतवार की संभावना भी कम हो जाएगी. 


पराली के उचित प्रबंधन में सरकार करेगी मदद


अब कई राज्य सरकारें पशु चारे का संकट दूर करने के लिए भी किसानों से पराली खरीद रही हैं. बिहार सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक, यदि फसल अवशेषों के प्रबंधन में कैसी भी दिक्कत आ रही है तो अपने जिले के कृषि समन्वयक  या प्रखंड कृषि पदाधिकारी या जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.


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