मिर्च खाने के लिए बेहद अच्छी है. कैप्साइसिन रसायन मिर्च को तीखा बनाता है, इसलिए यह अक्सर मसाले में प्रयोग किया जाता है. मिर्च को सॉस, अचार और औषधि में भी इस्तेमाल किया जाता है. मिर्च में विटामिन ए, सी, फास्फोरस और कैल्शियम बहुत हैं. मिर्च एक नगदी उत्पाद है. इसे किसी भी जलवायु में लगाया जा सकता है. मिर्च की उन्नत खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.


मिर्च की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट या बलुई मिट्टी चाहिए, जिसमें अधिक कार्बनिक पदार्थ होते हैं. लवण और क्षार युक्त भूमि इसके लिए उपयुक्त नहीं है. खेत को तीन-चार बार जुताई कर तैयार करना चाहिए. 1.25 से 1.50 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर खेती की आवश्यकता होती है.


ये हैं ध्यान देने वाली बातें


प्रति क्यारी 50 ग्राम फोरेट और सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं. बीज को 2 ग्राम एग्रोसन जीएन, थीरम या कैप्टान रसायन प्रति किग्रा उपचारित करें. बीज को पंक्तियों में एक इंच की दूरी पर बोकर मिट्टी और खाद से ढक दें. ऊपर पुआल या खरपतवार से ढक देना चाहिए. बीज जमने के बाद खरपतवार को बाहर निकालें. पौधे 25 से 35 दिन में बोया जा सकता है. रात को रोपाई करें. रोपाई करते समय कतार और पौधों में 45 सेमी की दूरी होनी चाहिए. 85 से 95 दिन में हरी मिर्च फल देने योग्य हो जाती है. सूखी मिर्च के फल को 140-150 दिन में रंग लाल होने पर तोड़ना चाहिए.


200 कुंतल गोबर या कंपोस्ट, 100 कुंतल नाइट्रोजन, 50 कुंतल फास्फोरस और 60 कुंतल पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. रोपाई से पहले, कंपोस्ट में फास्फोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा दी जानी चाहिए; फिर, दो बार में, शेष मात्रा दी जानी चाहिए.


यदि कम बारिश हो तो 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. फसल फूल और फल बनते समय सिंचाई करनी चाहिए. सिंचाई नहीं होने पर फल और फूल छोटे हो जाते हैं. खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए ताकि अच्छी फसल हो सके.


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