Black Rice Farming: धान खरीफ की प्रमुख फसलों में से एक है. धान का इतिहास भी हजारों साल पुराना है. काला नमक धान भी ऐसी ही प्रजातियों में से एक है. इसका इतिहास करीब 2600 साल पुराना माना जाता है. धान की यही प्राचीन प्रजाति अब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं. इसको रिजर्व करने का बीड़ा अब उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने उठाया है. प्रदेश में इसका रकबा भी तेजी से बढ़ने लगा है.काला नमक धान के बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि यह पोषक तत्वों से भरपूर है. इसमें प्रोटीन, जिंक, आयरन, बीटा कैरोटीन पाया जाता है.


बीटा कैरोटीन Vitamin A का मूल तत्व है. 100 ग्राम चावल में 42 मिलीग्राम बीटा कैरोटीन मिलता है. इसकी खुशबू बेहद जानदार है और टेस्टी भी है. चावल की अन्य प्रजातियों के मुकाबले प्रोटीन, आयरन, जिंक बेहद अधिक पाए जाते हैं. 


2600 साल पुराना है ये इस चावल का इतिहास


लोगों का मानना है कि करीब 2600 साल पुराना काला नमक धान का इतिहास है. काला नमक धान की खेती भगवान बुद्ध के समय में भी की जाती थी. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने कपिलवस्तु की तराई में अपने शिष्यों को यह चावल सौंप दिया था और कहा कि कि इसकी खुशबू व गुणवत्ता उनकी याद दिलाएगी. इसी वजह से काला नमक धान को कुछ लोग बुद्ध का प्रसाद भी मानते हैं. 


इस तरह होगी मोटी कमाई


काला नमक धान पर दो दशक से काम कर रहे पद्मश्री से सम्मानित कृषि वैज्ञानिक आरसी चौधरी के अनुसार काला नमक धान की मार्केट में बहुत डिमांड है. काला नमक चावल बाजार में 120 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है. इस तरह से 48 हजार रुपये प्रति बीघा का दाम उन्हें मिल जाता है और लागत निकाल कर उन्हें प्रति बीघा 30 हजार रुपये मुनाफा मिलता है. इस तरह से सामान्य धान की फसल की अपेक्षा यह खेती ज्यादा लाभदायक है.


बेहद लाभदायक है ये चावल


कई सारे बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि काला नमक चावल का सेवन करने से विभिन्न बीमारियों में लाभ होता है. इसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, अमीनो एसिड्स, एंटीऑक्सीडेंट्स,और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं. यह मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है. हृदय के स्वास्थ्य को सुधारता है. कैंसर और दिल से संबंधित रोगों के खिलाफ लड़ाई में सहायक होता है, आंतरिक स्वच्छता को बढ़ावा देता है. वजन को मेंटेन करने में मदद करता है.


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