Papaya Farming:किसानों की किस्मत बदल सकता है पपीता, ऑफ सीजन में भी बंपर मुनाफा दिलायेगा ये खास तरीका
Papaya Fruit: किसान चाहें तो मटर, मेथी, चना, फ्रेंचबीन्स और सोयाबीन की अंतरवर्तीय खेती करके भी पपीता के बागों से अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं.
Papaya Cultivation in India: दुनियाभर के डॉक्टर हर मर्ज में पपीता खाने की सलाह देते हैं, इसलिये दूसरे फलों के मुकाबले विश्व में इसकी खपत ज्यादा है. भारत में इसकी खेती (Papaya Farming) बड़े पैमाने पर की जाती है, जिससे दूसरे देशों की जरूरतों को भी पूरा किया जा सके. ये कई बीमारियों के लिये रामबाण इलाज की तरह काम करता है और किसानों के लिये ये कम समय में लाखों की आमदनी कमाने का जरिया बन सकता है. इतना ही नहीं, पपीता की बागवानी के साथ अंतरवर्तीय खेती (Co-cropping Farming of Papaya) करके भी किसानों अतिरिक्त आमदनी का इंतजाम भी कर सकते हैं.
इन राज्यों में हो रही है पपीता की खेती (Indian States cultivating Papaya)
भारत के कई राज्यों में पपीपा की बागवानी बड़े स्तर पर की जाती है. इन में मिलनाडु, बिहार, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तरांचल और मिज़ोरम शामिल हैं. वैसे तो किसी भी मौसम में पपीता की खेती की जा सकती है, लेकिन मौसम की अनिश्चितताओं जैसे ज्यादा लू, पाला और जल भराव से इसके बागों का काफी नुकसान होता है.
इस तरह करें पपीता की खेती (Papaya Cultivation Technique)
बागवानी फसलों की खेती के बढ़ते चलन के बीच सह-फसल खेती की विधि को काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है. पपीता की खेती के साथ भी दलहनी फसलों की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. किसान चाहें तो मटर, मेथी, चना, फ्रेंचबीन्स और सोयाबीन की अंतरवर्तीय खेती करके भी पपीता के बागों से अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं.
पपीता की उन्नत प्रजातियां (Advanced Varieties of Papaya)
पपीता की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिये जरूरी है कि उन्नत किस्मों से ही इसके पौधे तैयार किये जाये. किसान चाहें तो किसी प्रामणित नर्सरी से पपीते के पौधे खरीदकर भी रोपाई कर सकते हैं. कृषि विशेषज्ञों ने पपीते की अच्छा उत्पादन देने वाली किस्मों की सूची बनाई है, जिसमें पूसा डेलीसस 1-15, पूसा मैजिस्टी 22-3, पूसा जायंट 1-45-वी, पूसा ड्वार्फा-45-डी, सीओ-1, सीओ-2, सीओ-3, सीओ-4, कुर्ग हनी, और हनीड्यू जैसी उन्नशील प्रजातियां शामिल है.
पपीता में प्रबंधन कार्य (Papaya Crop Management )
एक हेक्टेयर खेत में पपीता की खेती के लिये 500 ग्राम बीजदर काफी रहती है. इसके बीजों का उपचार या पौधों की जड़ों का उपचार करके ही बुवाई या रोपाई का काम किया जाता है. इससे पौधों संरक्षण के साथ उनके विकास में काफी मदद मिलती है.
- पपीता के बागों की रोपाई के बाद हर सप्ताह पानी देना जरूरी है, जिसके लिये ड्रिप सिंचाई विधि काफी किफायती और कारगर तकनीक साबित होगी.
- पपीते के बागों के बेहतर विकास के लिये समय-समय पर प्रबंधन कार्य करते रहना चाहिये. इसमें सिंचाई, पोषण प्रबंधन, निराई-गुड़ाई और कीट-रोगों की निगरानी शामिल है.
- पपीता के फल का ऊपरी हिस्सा पीलापन से भर जाये तो डंठल समेत फलों की तुड़ाई कर ली जाती है.
पपीता की खेती से मुनाफा (Outcome from Papaya Cultivation)
हर सीजन में पपीता के पेड़ (Papaya Tree) से 40 किलोग्राम तक फलों का उत्पादन (Papaya Production) ले सकते हैं, जो बाजार में 40 से 50 रुपये किलो के भाव पर बेचे जाते हैं. इस प्रकार एक हेक्टेयर खेत में इसके करीब 2250 पौधे लगाकर हर सीजन में 900 क्विंटल तक पपीता का उत्पादन (Papaya Yield) ले सकते हैं, जिससे लाखों की कमाई तो तय है. इतना ही नहीं, ऑफ सीजन (Off Season Farming of Papaya) में सब्जी और दलहनी फसलों की खेती (Co-cropping of Papaya) से अतिरिक्त आमदनी भी ले सकते हैं.
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