पारंपरिक फसलों से हटकर भारत में किसान अब ऐसी फसलों की खेती कर रहें हैं जिनमें उन्हें तगड़ा मुनाफा हो. इसी कड़ में आज हम आपको एक ऐसे फसल के बारे में बताएंगे, जिसकी खेती से किसान लाखों कमा सकते हैं. सबसे अहम बात की इस फसल का नाम भी लाख से ही जुड़ा है. जी हां, लाख ही इस फसल का नाम है. दरअसल, लाख का उत्पादन कीटों द्वारा होता है और इसे कुदरती राल भी कहा जाता है. इसमें मादा कीट अपने शरीर से एक लिक्विड निकालती है और यही लिक्विड हवा के संपर्क में आकर सख्त हो जाता है.


कब होती है लाख की खेती


लाख की फसल दो बार होती है. इसमे एक कतकी अगहनी और दूसरी बैसाखी जेठवी कहलाती है. कार्तिक, बैशाख, अगहन और जेठ मास में कच्ची लाख को इकट्ठा किया जाता है. ये काम जून और जुलाई के महीने में होता है. जबकि अक्टूबर और नवंबर में लाख के बीजो को बैसाखी जेठानी फसल के लिए तैयार किया जाता है. वहीं इसके पौधों की रोपई की बात करें तो लाख के पौधों की रोपाई के लिए 5.5 पीएच मान वाली मिट्टी की जरूरत होती है. वहीं पौधों की रोपाई करते वक्त एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर के बीच होती है.


छत्तीसगढ़ में खूब होती है लाख की खेती


छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लाख की खेती जीवनयापन का अहम हिस्सा है. वहीं अब इसकी खेती के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को सही ट्रेनिंग और सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध करवाने का भी फैसला किया है. आपको बता दें यहां लाख की क्रय दर 550 रुपये प्रति किलो है, जबकि रंगीनी बीहन लाख यानी पलाश के पेड़ से निकाली गई लाख की क्रय दर 275 रुपये प्रति किलोग्राम है. जबकि, बेर के पेड़ से प्राप्त लाख के लिए किसानों को देय विक्रय दर 640 रुपये प्रति किलोग्राम रखी गई है. वहीं रंगीनी बीहन लाख यानी पलाश के पेड़ों से प्राप्त लाख के लिए विक्रय दर 375 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है.


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