Integrated Farming Model: हमारे देश में छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है. लगभग हर गांव में आपको ऐसे किसान मिल जाएंगे, जिनके पास सिर्फ एक हेक्टेयर, एक एकड़ या उससे भी कम 1 बीघा जमीन होगी. खेती-किसानी में निवेश करने के लिए इन किसानों के पास पर्याप्त पैसा नहीं होता, जिसके कारण ये खेती से ना सही उत्पादन ले पाते और ना ही बढ़िया मुनाफा कमा पाते हैं. इन किसानों के लिए हमारी सरकार और कृषि वैज्ञानिक लगातार नई योजनाएं और नई तकनीकें इजाद कर रहे हैं, जिससे खेती की लागत को कम किया जा सके. जब खेती में खर्च कम होगा तो किसान 1 बीघा जमीन से भी अच्छी आजीविका कमा पाएंगे.केंद्र सरकार ने कम जमीन वाले किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना और हाल ही में 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन बनाने के लिए 6,865 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है.
1 बीघा जमीन ने कमाएं बंपर मुनाफा
अगर आपके पास 1 बीघा जमीन है तो एकीकृत कृषि प्रणाली यानी Integrated Farming Model अपनाकर खेती कर सकते हैं. आसान शब्दों में समझें तो खेती की इस विधि में 1 बीघा जमीन पर सीजनल अनाजों के साथ, मोटे अनाज, दाल, सब्जी, औषधी और खेत की बाउंड्री पर कुछ फलदार पेड़ लगा दिए जाते हैं.
इतना ही नहीं. आप चाहें तो साथ में एक गाय, भैंस या बकरी भी रख सकते हैं, साथ में एक छोटा-सा तालाब बनाकर मछली पालन और बतख पालन और साथ में मुर्गी पालन भी कर सकते हैं. इस तरीके से खेती करने के लिए कृषि वैज्ञानिक भी किसानों की मदद करते हैं.
किसानों को सिर्फ शुरुआत में कुछ पैसा लगाना होगा, जिसके लिए वो बैंक या वित्तीय संस्थानों से किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन ले सकते हैं. इसके बाद एकीकृत खेती चालू करने पर कुछ समय के आपको अपने 1 बीघ खेत से की तरह का उत्पादन और इसे बेचकर अच्छा पैसा मिलता रहेगा.
कैसे मिलेगा उत्पादन
कई किसान सोच रहे होंगे कि क्या एक 1 बीघा जमीन में यह सारे काम मुमकिन हैं तो बता दें कि आज के समय में जो आधुनिक कृषि फार्म्स बनाए जा रहे हैं, वहां भी एकीकृत खेती ही की जाती है. आज के समय पर कई सेलेब्रिटी है, जो 1 बीघा या उससे कुछ अधिक खेती की जमीन खरीदकर फल, सब्जी, अनाज, दूध, डेयरी, मछली, मांस का एक साथ अच्छा-खास प्रोडक्शन ले रहे हैं.
इस बीच आपको फसल चक्र और मौसम का ध्यान रखना होता है.. इस तरह से खेती करने के लिए आपको अपने 1 बीघा खेत को कुछ हिस्सों में बांटना होगा. एक हिस्से में आप सीजनल सब्जियां उगा सकते हैं, जिनकी हर बाजार में मांग होती है. एक हिस्से में दलहन और तिलहन का उत्पादन ले सकते हैं.
एक हिस्से में धान, गेहूं, मक्का या मोटे अनाजों की खेती कर सकते हैं. एक हिस्से में पशुओं का छोटा सा तबेला बन जाएगा, जहां कोई भी एक या दो गाय, भैंस, बकरी रख सकते हैं और खेत के बीचों-बीच मछलीपालने के लिए एक मछल तालाब भी बना सकते हैं, जिससे आपके खेत में भी नमी कायम रहेगी.
आप चाहें तो अंडे और मांस के प्रोडक्शन के लिए 4 से 5 मुर्गी या बतख का एक झुंड भी पाल सकते हैं. खेत के चारों तरफ बाउंड्री या खाली पड़ी जगह पर कुछ फलों के पेड़ भी लगा सकते हैं.
कितनी लागत आएगी
एकीकृत खेती वन टाइम इनवेस्टमेंट यानी एक बार पैसा लगाने का काम है, जिसके बाद आपको कोई पैसा खर्च नहीं करना, सिर्फ आमदनी ही आमदनी होगी. अगर देसी बीजों से फसल उगाते हैं तो उपज को बेचने से पहले उसी में से ही कुछ बीज अगली फसल के लिए बचा सकते हैं. पशुओं के लिए चारे का इंतजाम फसल के अवशेषों से हो जाएगा.
मुर्गियों और बतख के दाने के लिए भी खेत से ही कुछ दाना निकाल सकते हैं. मछलियों को मुर्गी और बतख के अवशेष या धान-गेहूं जैसे फसल का चारा डाल सकते हैं. इस बीच पशुओं के गोबर या अपशिष्ट से खेत के लिए खाद बन जाएगी. इस तरह खेत से कोई भी कचरा नहीं निकलेगा और ना ही कोई उपज का नुकसान होगा.
1 बीघा जमीन पर भी एकीकृत खेती करने का फायदा ये होगा कि आपको पशु, मछली और मुर्गी पालने के लिए अलग से कुछ खर्च नहीं करना है. खेत से निकले अवशेषों से पशुओं का जीवनयापन होगा. वहीं पशुओं से मिले दूध, अंडे और मांस को बेचकर आप अतिरिक्त पैसा भी कमा सकते हैं. खेतों से निकली सब्जी, दाल और अनाज को मंडी में बेच सकते हैं.
इस स्कीम से मिलेगी मदद
अगर आपके पास भी खेती योग्य जमीन बेहद कम (1 बीघा, 1 एकड़ या 1 हेक्टेयर) है तो चिंता की बात नहीं. आपको सिर्फ आधुनिक तरीके से खेती करने है. छोटे किसानों की आर्थिक और सामाजित सुरक्षा के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाएं बना रही है.
इनमें एक पीएम किसान योजना भी है, जिसमें आवेदन करने पर सरकार आपको हर 6,000 रुपये आर्थिक मदद के तौर पर ट्रांसफर करती है. पीएम किसान मानधान योजना भी छोटे किसानों के लिए ही है, जिसे किसान पेंशन स्कीम भी कहते हैं. इसके अलावा सरकार ने 10,000 नए किसान उत्पादन संगठन बनाने का फैसला किया है, जिनका फोकस छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने पर होगा.
आप भी किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर खेती-किसानी में आर्थिक-सामाजिक मदद और अपनी उपज का सही दाम हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा, ज्यादातर राज्यों में किसानों के क्लस्टर्स यानी ग्रुप भी बनाए जा रहे हैं, जिनमें कई छोटे किसान आपस में मिलकर खेती करते हैं और अच्छी आजीविका कमाते हैं.
इन योजनाओं के बारे में या एकीकृत खेती को लेकर अधिक जानकारी के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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