किसानों का दिल्ली की ओर कूच करना जारी है. अपनी मांगों को लेकर किसान कई दिन से लगातार दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. दिल्ली से लगे राज्यों के बॉर्डरों पर काफी बड़ी संख्या में किसान मौजूद हैं और अपनी मांग रख रहे हैं. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अन्य मांगों के लिए विरोध-प्रदर्शन करने में लगे हैं. पंजाब हरियाणा व उत्तर प्रदेश के किसान लगातार दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. हालांकि दिल्ली पुलिस उन्हें राजधानी में प्रवेश ना करने देने को लेकर अपनी जान झोंक रही है.
देश की राजधानी दिल्ली में धारा 144 भी लागू है. पुलिस का प्रयास है कि किसान किसी भी स्थिति में राजधानी में प्रवेश ना कर पाएं. किसानों को ट्रैक्टर, बस ट्रक अन्य वाहनों को लेकर दिल्ली में घुसने ना देने को लेकर पुलिस सजग है. राजधानी से मिलती अन्य राज्यों की सीमाओं पर अर्द्ध सैनिक बलों की तैनात हैं. पुलिस की ओर से ड्रोनों का सहारा लिया जा रहा है.
विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बॉर्डरों जिनमें गाजीपुर, चिल्ला, अप्सरा व भोपुरा शामिल हैं वहां लगभग 1 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है. सभी बॉर्डर पर बैरिकेड लगाए गए हैं.हालांकि केवल एक लेन वाहनों के लिए खोली गई है. वहीं, सिंघु बॉर्डर पर भी भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात है. रोड पर बैरिकेड लगाए गए हैं. औचंदी, लामपुर व सबौली बॉर्डर पर पुलिस व अर्ध सैनिक बलों की संख्या में इजाफा किया गया है. जबकि रिपोर्ट्स बताती हैं कि टीकरी बॉर्डर पर पुलिस की कड़ी नजर है. जानकारी के अनुसार दिल्ली से जुड़े हरियाणा के बॉर्डरों पर अधिक संख्या में किसान मौजूद हैं.
ये हैं मांगे
- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून की मांग
- केंद्र सरकार ने दिल्ली मोर्चा के वक्त जिन मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया था उन्हें तत्काल पूरा किया जाए.
- वर्ष 2021-22 में जिस किसी भी किसान पर मुकदमा हुआ था उसे रद्द किया जाए.
- पूर्व आंदोलन में जिन किसान की मौत हुई थी उनके परिवार को मुआवजा देने की मांग.
- पूर्व आंदोलन में जिन किसान की मौत हुई थी उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी.
- सरकारी और गैर सरकारी कर्ज माफ हो.
- 60 वर्ष से अधिक के किसानों को 10 हजार रुपये पेंशन.
- कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम किया जाए.
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू की जाएं.
- कीटनाशक, बीज व उर्वरक अधिनियम में संशोधन इनके अलावा किसानों की कई मांगे हैं.
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