Mustard Farming: तिलहनी फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता का नारा बुलंद करने के लिए तेजी से काम चल रहा है. किसानों ने भी सरसों और तोरिया की बुवाई करके बड़ा रकबा कवर कर लिया है, लेकिन मुनाफा कमाने के लिए सिर्फ फसल के भरोसे बैठना सही नहीं है, इसलिए सरसों जैसी तिलहनी फसलों की खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन करने की भी सलाह दी जा रही है. इन दिनों शहद एक तगड़ा इम्यूनिटी बूस्टर बनता जा रहा है. बाजार में इसकी डिमांड बढ़ रही है. सरसों-तोरिया जैसी तिलहनी फसलें ही शहद का नेचुरल सोर्स हैं, इसलिए किसानों को खेतों के बीचों-बीच मधुमक्खी पालन की यूनिट लगाने की सलाह दी जा रही है. मधुमक्खी पालन को एपीकल्चर भी कहते हैं. भारत में एपीकल्चर करोड़ों का बिजनेस है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
20 फीसदी बढ़ जाएगा उत्पादन
सरसों की खेती के साथ में मधुमक्खी पालन करने पर फसल का उत्पादन 15 से 20 फीसदी तक बढ़ जाता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि मधुमक्खियां जब फ्लोरा पर पहुंचकर परागण कररती हैं तो फसल की क्वालिटी के साथ-साथ उत्पादन में भी इजाफा होता है.
इस बात का प्रमाण खुद वो किसान देते हैं, जो खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन करते हैं. इस तकनीक से फसल की क्वालिटी और उत्पादन तो बढ़ता ही है, मधुमक्खियों की कॉलोनी में जो शहद के प्रोडक्शन होता है, उससे भी किसानों को अतिरिक्त आमदमी मिल जाती है.
कब और कैसे करें शुरुआत
सरसों जैसी तिलहनी फसलों के साथ मधुमक्खी पालन करना कोई मुश्किल काम नहीं है. कई कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विश्वविद्यालय किसानों को इसके लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण भी देते हैं. इसके बाद खेत के आकार के हिसाब से मधुमक्खी के बक्से लगाने होते हैं, जिसमें मधुमक्खी पालन किया जाता है. शुरुआत में 20 बक्से लगाकर सालाना 1 लाख रुपये तक अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. इसके बाद मुनाफा बढ़ाने के लिए बक्सों की संख्या में भी इजाफा किया जा सकता है.
ये काम दिसंबर से चालू होता है, जब सरसों की फसल में फ्लोरा यानी फूल निकलने चालू हो जाते हैं तो मधुमक्खियों की कॉलोनी लगा सकते हैं. इसके बाद भी जब सरसों की कटाई हो जाती है तो कुछ इलाकों में बरसीम डाल देते हैं. इससे मधुमक्खियों को अप्राल-मई तक फ्लोरा मिल जाता है और किसानों को कमाई का एक और नया जरिया.
सरकार देगी 85% सब्सिडी
मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (National Bee Keeping and Honey Mission) चलाया है. इसके अलावा, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड और नाबार्ड (NABARD) के समयुक्त सहयोग से भी मधुमक्खी पालकों और किसानों को सब्सिडी और लोन की सुविधा दी जाती है. केंद्र सरकार भी मधुमक्खी पालन के लिए 80 से 85 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है.
इस योजना का लाभ लेकर शहद के साथ-साथ बी-वैक्स (Bee wax), रॉयल जेली (Royal jelly), प्रोपोलिस या मधुमक्खी गोंद, मधुमक्खी पराग का भी प्रोडक्शन ले सकते हैं, जो बाजार में काफी अच्छे दाम पर बिकता है.अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी जिले में कृषि विभाग के कार्यालय या कृषि विज्ञान केंद्रों में भी संपर्क कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें: पराली से किचन गार्डन में भी उगेंगी ताजा-स्वादिष्ट सब्जियां, अब प्लांटर्स खरीदने का झंझट ही खत्म