Pearl Farming: किसान पायें लखपति बनने का मौका, आज से ही शुरू करें मोती की खेती
Aquaculture in India: मोती की खेती के लिये सरकार ने CIFA नामक संस्था बनाई गई है, जो 15 दिन की फ्री ट्रेनिंग देती है.
Waterbased Pearl farming: कोरोना महामारी के बाद से ही अब भारत के किसान आत्मनिर्भर बनने की राह पर निकल पड़े हैं. खेती को आसान और कम खर्चीला बनाने के लिये किसान नई तकनीकों का इस्तेमाल तो जानते ही हैं. साथ ही अनाज, सब्जी और मसालों की खेती के साथ-साथ वे दूसरे कृषि कार्य जैसे पशुपालन, मछलीपालन, मधुमक्खी पालन मुर्गीपालन जैसे काम भी कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है, साथ ही आत्मनिर्भर बनने में भी मदद मिल रही है. किसानों को आत्मनिर्भर बनाने वाली खेती में मोती की खेती भी शामिल है, जिसे किसान खेती-बाड़ी के साथ-साथ भी कर सकते हैं.
क्या है मोती
जानकारी के लिये बता दें कि मोती एक प्राकृतिक रत्न है, जिसका इस्तेमाल आभूषण और ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाने में किया जाता है. मोती, पानी के अंदर शीपनुमा ढांचे में अंदर बाहरी कणों के प्रवेश करने से तैयार होता है. शीप में इसे तैयार होने में 14 महिने का समय लग जाता है. अभी तक मोती को समुंद्र की गहराई से निकाला जाता था. जहां ये पूरी तरह प्राकृतिक रूप से तैयार होता था. लेकिन बाजार में मोती की बढ़ती मांग के कारण अब इसे तालाबों और टैंकों में तैयार किया जाने लगा है. आमतौर पर मोती की खेती अक्टूबर-नवमबर के बीच की जाती है.
लागत और खर्च
मोती की खेती के लिये शुरुआती लागत के रूप में 25,000 तक का खर्च आ जाता है. जिसमें किसान भाई 500 सीपियों की एक छोटी इकाई से मोती की खेती शुरू कर सकते है. हर सीप से एक मोती मिलता है, जो बाजार में 300 से लेकर 1500 रुपये तक की कीमत तक बेचा जाता है. यानी पहली उपज निकलने पर किसान भाई कम से कम 1,50,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. इसके अलावा, किसान भाई जितने सीपियों से खेती शुरू करेंगे डेढ साल बाद आमदनी उतनी ही ज्यादा होगी.
ट्रेनिंग और सब्सिड़ी
मोती की खेती से अच्छी आमदनी हासिल करने के लिये अच्छे प्रशिक्षण यानी ट्रेनिंग का होना बेहद जरूरी है. अच्छी ट्रेनिंग के बाद सीपियों का बेहतर रख-रखाव ही अच्छी आमदनी दिला सकता है. मोती की खेती के लिये सरकार द्वारा CIFA यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर नामक संस्था बनाई गई है, जो मोती की खेती के बारे में 15 दिन की फ्री ट्रेनिंग देती है. किसान चाहें तो संस्था से संपर्क करके ट्रेनिंग हासिल कर सकते हैं. वहीं मोती की खेती में कर्च को कम करने के लिये सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना भी मोती की खेती में मदद कर सकती है.
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