Subsidy Offer: सिंघाड़ा की खेती से होगी लाखों की कमाई, इस राज्य में किसानों को मिल रही है 25% तक की सब्सिडी
Singhara Ki Kheti: एक हेक्टेयर क्षेत्र में सिंघारा की फसल लगाने के लिये कुल लागत की 25 फीसदी सब्सिडी यानी अधिकतम 21,250 रुपये के अनुदान दिया जायेगा.
Subsidy on Water Chestnut Farming: भारत में किसान अब पारंपरिक फसलों के मुकाबले बागवानी फसलों की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं, क्योंकि ये फसलें कम लागत में भी किसानों को बेहतर उत्पदान और आमदनी कमाने का मौका देती हैं. बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops Farming) में मेहनत और समय भी कम खर्च होता है. वहीं केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती के लिये अनुदान (Subsidy on Horticulture Crops) भी दिया जाता है, जिसके चलते खेती का खर्च भी काफी कम हो जाता है. इसी प्रकार मध्य प्रदेश में भी जलीय फल सिंघारा (Subsidy on Singhara Farming) उगाने के लिये किसानों को 25 प्रतिशत तक सब्सिडी और अधिकतम 21, 250 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान भी दिया जा रहा है.
सिंघारा की खेती
सिंघारा एक जलीय फल है, जिसकी खेती तालाब, पोखर या फिर खाली पड़े खेतों में भी की जा सकती है. पिछले कुछ सालों में सिंघारा किसानों के लिये आमदनी का बेहतरीन स्रोत बन चुका है. कई किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ तालाबों में सिंघारा की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
साथ में मछली पालन, मखाना की खेती और कमल के फूल को उगाकर हजारों का मुनाफा लाखों में बदल जाता है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश की सरकार अब राज्य के किसानों को सिंघारा की खेती करने के लिये आर्थिक तौर पर भी प्रोत्साहित कर रही है.
सिंघारा की खेती में लागत |
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कृषि कार्य |
लागत (प्रति हेक्टेयर) |
खेत की तैयारी |
6,000 रुपये |
रोपाई की सामग्री |
60,000 रुपये |
खाद और उर्वरक |
5,000 रुपये |
पौध सरंक्षण |
5,000 रुपये |
फसल की कटाई/तुड़ाई |
6,000 रुपये |
बाजार में बिक्री |
3,000 रुपये |
कुल लागत |
85,000 रुपये प्रति हेक्टेयर |
सिंघारा की खेती पर सब्सिडी
मध्य प्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत भूस्वामी और भूमिहीन किसानों को अनुदान दिया जा रहा है. इस योजना के तहत एक हेक्टेयर क्षेत्र में सिंघारा की फसल लगाने के लिये कुल लागत की 25 फीसदी सब्सिडी यानी अधिकतम 21,250 रुपये के अनुदान दिया जायेगा.
किसान चाहें को कम से कम 0.125 हेक्टेयर जमीन पर भी सिंघारा की खेती के लिये सब्सिडी ले सकते हैं. इस योजना के तहत चयनित लाभार्थी किसानों को सिंघारा की खेती की लागत या खरीदी गई सामग्री का बिल भी जमा करवाना होगा, जिसके आधार पर ही सब्सिडी की रकम सीधा किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर की जायेगी.
इन किसानों को मिलेगा अनुदान
सिंघारा की खेती पर सब्सिडी योजना के तहत उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने आवेदन की पात्रता निर्धारित की है, जिसके तहत समूह में खेती करने वाले किसानों को अनुदान नहीं दिया जायेगा. इसके अलावा किसानों द्वारा सिंघारा की फसल लगाने के बाद प्रशासन की तरफ से 3 सदस्यीय समिति द्वारा सत्यापन भी किया जायेगा, कि सब्सिडी का प्रयोग सिंघारा की खेती के लिये हो भी रहा है या नहीं.
- इस योजना के आवेदन करने वाले किसान के पास खेती योग्य जमीन का होना अनिवार्य है.
- भूमिहान किसान और पट्टे पर या लीज पर खेती करने वाले किसानों को आर्थिक अनुदान दिया जायेगा.
- इसके लिये भूमिहीन किसान को अपनी फसल के भूस्वामी किसान का नाम और जमीन से जुड़ी जानकारियां भरनी होंगी
- इसके साथ-साथ आवेदक भूमिहीन किसानों को खेत के मालिक किसान के साथ हुये अनुबंध के दस्तावेज या शपथ पत्र भी जमा करवाना होगा.
आवश्यक दस्तावेज
- किसान का आधार कार्ड
- किसान का निवास प्रमाण पत्र
- बैंक खाते का विवरण या बैंक कासबुक की कॉपी
- पासपोर्ट साइज फोटो
- अनुबंध किसान का शपथ पत्र
- भूस्वामी किसान की जमीन के दस्तावेज
- सिंघारा की खेती के लिये खरीदी गई सामग्री का बिल
यहां करें आवेदन
मध्य प्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग (Horticulture Department, Madhya Pradesh) की ओर से सिंघारा की खेती के लिये अनुदान (Subsidy for Water Chestnut Farming) दिया जा रहा है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके. इसके लिये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत आवेदन भी मांगे गये हैं. किसान चाहें तो खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी कमाने के लिये उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के पोर्टल https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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