Farmers Income In India: देश के किसानों ने कुछ फसलों में बंपर कमाई की है तो कुछ में एमएसपी के बराबर भी रकम नहीं मिल सकी. जिन किसानों की छप्परफाड़ कमाई है. वो किसान फूले नहीं समा रहे हैं, जबकि जिन किसानों की एमएसपी भी नहीं निकली. वो मायूस हैं. किसानों का कहना है कि बिक्री के मामले में कुछ फसलों के नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे हैं. 


इन फसलों में हुई बंपर कमाई
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक एगमार्कनेट पोर्टल, ये पोर्टल कृषि मंत्रालय का हिस्सा है. पिछले तीन महीनों में आवक और अखिल भारतीय मंडी (बाजार) कीमतों के औसत आंकड़े एकत्र किए हैं. आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) बाजारों में कपास, सोयाबीन, धान और ज्वार की फसलें बेचने वाले किसानों ने संयुक्त न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मूल्य पर अतिरिक्त ₹8,241.6 करोड़ कमाए हैं. जबकि उड़द, मूंग, बाजरा और रागी से जुड़े किसान एमएसपी भी नहीं पा सके हैं.  


इतनी रही फसलों की कीमत
डेटा के अनुसार, कपास की कीमत ₹8,326 प्रति क्विंटल थी, जो इसके एमएसपी ₹6,080 प्रति क्विंटल (मध्यम किस्म) से 37 प्रतिशत अधिक है. सोयाबीन ₹5,051 प्रति क्विंटल में बिका, जो ₹4,300 के एमएसपी से 17.5 प्रतिशत अधिक है. धान औसतन ₹2,171 प्रति क्विंटल पर बिका. यह ₹2,040 के एमएसपी से 6 प्रतिशत अधिक है. ज्वार की औसत मंडी दर ₹ 3,092 प्रति क्विंटल थी, जो ₹ 2,970 के एमएसपी से 4 प्रतिशत अधिक थी.


तेलंगाना में किसानों को हो रहा नुकसान
तेलंगाना के कपास बुआई करने वाले किसान इस बात से परेशान हैं कि उनकी फसल की कीमतें गिर रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि नवंबर और अब के बीच एक महीने में लगभग ₹500 प्रति क्विंटल की गिरावट आई है. गिरावट का ज्यादा मतलब नहीं है क्योंकि इस साल कपास की कीमतों में इतना बदलाव आया है. कुछ बाजारों में एक ही दिन में वे ₹800 प्रति क्विंटल ऊपर या नीचे गए हैं.


सरकार को करना चाहिए हस्तक्षेप
एक अधिकारी ने कहा कि अगर दरें एमएसपी से नीचे गिरती हैं, तो सरकार को हस्तक्षेप करना होगा. लेकिन ऐसा लगता है कि कपास की कीमतें कम से कम एक से दो महीने तक ऊंची बनी रहेंगी. उन्होंने सोयाबीन का उदाहरण दिया, जिसकी कीमत दिसंबर में 5,254 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर अब 5,339 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.


रागी बेहद कम कीमत पर बिकी
मंडी में तुअर, मक्का और मूंगफली के लिए एमएसपी की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत कम भुगतान किया गया था. उड़द की कीमतें एमएसपी से 11 प्रतिशत कम थीं, और मूंग और बाजरा की कीमतें एमएसपी से 14 प्रतिशत कम थीं. आंकड़ों के मुताबिक, रागी को एमएसपी से 30 फीसदी से भी कम कीमत पर बेचा गया.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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