Weather Forecast for Agriculture: खरीफ फसलों (Kharif Crop) की खेती के लिये जुलाई का महीना बारिश के साथ खुशियों की सौगात लेकर आया है, लेकिन मौसम विभाग (Weather Forecast) द्वारा जारी अगले पांच दिनों के अनुमान की मानें तो किसान को सावधानीपूर्वक बचाव के उपाय शुरू कर देने चाहिये, क्योंकि अगले 5 दिन तक अच्छी-खासी बारिश का अनुमान दर्ज किया गया है. मौसम आधारित कृषि सलाह (rain Based Agriculture Advisory) के अनुसार जल्द से जल्द किसानों को खेतों में प्रबंधन (Crop Management) कार्य कर लेने चाहिये.
जाहिर है कि जहां पिछले कुछ दिनों ने उत्तर भारत में बारिश का रुख कुछ साफ नहीं रहा, तो वहीं महाराष्ट्र से लेकर उड़ीसा तक तेज बारिश के कारण किसानों की समस्यायें बढ़ती जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि उत्तर भारत के किसान पहले से ही बचाव के उपाय कर लें, जिससे उनकी फसलों पर बुरा असर न पड़े.
इन राज्यों में बरसेंगे बादल (State Wise Rain Advisory)
भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) द्वारा जारी अनुमान के मुताबिक अगले 4-5 दिनों तक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार में अच्छी-खासी बारिश देखी जायेगी. ऐसे में किसान चाहें तो समय रहते तालाबों की खुदाई का काम पूरा कर लें, जिससे सिंचाई के पानी का इंतजाम हो सके और अलग से सिंचाई साधनों पर खर्च करने की जरूरत न पड़े.
- जिन किसानों ने अपने खेत में खरीफ फसलों की बुवाई का काम किया है, वे खेतों में जल निकासी का काम कर लें, जिससे पौधों में सड़न-गलन पैदा न हो.
- बता दें कि खेतों में पानी भरने से फसलें बर्बाद हो जाती हैं और बीमारियों के साथ-साथ परजीवी भी पनपने लगते हैं.
- अगेती धान के खेतों में से समय रहते अतिरिक्त पानी निकाल दें, ताकि तेज बारिश होने पर धान की पौध को नुकसान न पहुंचे.
- दलहनी फसलों की खेती करने वाले किसानों इस समय बुवाई का काम रोककर अपने इलाके के अनुकूल कोई और फसल लगायें
- साथ ही जिन किसानों ने दलहन की बुवाई कर ली है, वे खेत में जल-निकासीका काम करें और जल भराव से सावधानियां बरतें.
जाहिर है कि पिछले कुछ दिनों में कई राज्यों के किसानों को तेज बारिश से काफी नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र के रत्नागिरी और पालघर के किसानों की फसलें जलमग्न हो गई, तो वहीं असम में बाढ़ के कारण किसानों की आजीविका पर सवाल खड़ा हो गया है. इसलिये दूसरे राज्यों में सतर्कता बरतकर ही खेती करनी है, ताकि फसलों का समय पर स्वस्छ उत्पादन लिया जा सके.
सोयाबीन के किसानों के लिये कृषि सलाह (Agro Advisory for Soyabean Farmers)
सोयाबीन को खरीफ सीजन की प्रमुख फसल कहते हैं, जिसकी बुवाई के लिये जून-जुलाई का समय सबसे बढ़िया रहता है, लेकिन इस बार बारिश में देरी के कारण कई किसान सोयाबीन की बुवाई का काम देरी से कर रहे हैं.
- मौसम आधारित कृषि सलाह के मुताबिक जिन किसानों ने सोयाबीन (Soyabean Cultivation) की बुवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह में कर ली है, वे खेत में जल निकासी का काम कर लें.
- जो किसान जून के अंत में ही सोयाबीन लगा चुके थे, या जिन किसानों की फसल 10-25 दिन की हो चुकी है, वो खेत में खरपतवार नियंत्रण और निगरानी के साथ-साथ कीड़े और बीमारियों की रोकथाम के काम करते रहें.
- जिन किसानों ने अभी तक सोयाबीन की बुवाई नहीं की है, वे अपने इलाके के हिसाब से कोई और दूसरी फसल लगायें, क्योंकि तेज बारिश में सोयाबीन की बुवाई करना सही निर्णय नहीं है.
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