Pradhan Mantri Fasal Beema Yojna: मौसम की अनिश्चितताओं के कारण खेती-किसानी को जोखिम का काम बनता जा रहा है, क्योंकि बेमौसम बारिश सूखा या बाढ़ के कारण कई इलाकों में भारी नुकसान देखा जाता है. इस नुकसान का सीधा बोझ किसानों पर पड़ता है, इसलिये किसानों को हर फसल का बीमा (Crop Insurance) करवाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है. जाहिर है कि मानसून का आगाज़ (Monsoon 2022) हो चुका है, लेकिन कुछ इलाकों में इसका असर ज्यादा, तो कुछ इलाकों में कमजोर बारिश देखी जा रही है, जिससे खेती में असंतुलन (Agriculture Imbalance) पैदा होता है. ऐसी  स्थिति से किसानों को बाहर निकालने के लिये केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों(Kharif Crop) के लिये फसल बीमा सप्ताह (Crop Insurance Week) जागरूकता अभियान चलाया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को फसल का बीमा (Crop Insurance)  करवाने के लिये जागरूक किया जा सके. 


इन इलाकों को मिलेगा ज्यादा फायदा



  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जारी फसल बीमा सप्ताह जागरूकता अभियान के जरिये कम पंजीकरण वाले विकास खंडों पर खासतौर पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा.

  • इस दौरान योजना के प्रति उन किसानों को जागरूक किया जायेगा, जो जोखिम के बीच खेती-किसानी करते हुये भी फसल बीमा का लाभ नहीं ले पाते.  

  • इस मामले में ज्यादातर राज्यों के कृषि विभागों द्वारा नोटिफिकेशन भी जारी किया जा रहा है, जिसके मुताबिक 31 जुलाई तक किसानों को खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिये बीमा कवर प्रदान किया जायेगा.




खरीफ और बागवानी फसलों को विशेष लाभ
खरीफ फसल चक्र के दौरान धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास और दलहनी फसलों समेत सब्जियों और फलों की बागवानी की जाती है. किसानों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुये इन फसलों का बीमा करवाने के  लिये ब्याज की राशि काफी कम रखी गई है.



  • जहां खरीफ फसलों के प्रीमियम दर 2.5 से 3.5 फीसदी रखी गई है तो बागवानी फसलों के लिये 5% की दर से प्रीमियम का भुगतान करना होगा.

  • इस ब्याज दर का भुगतान फसल का बीमा करने वाली कंपनी या बैंक को किया जाता है, ताकि फसल पर संकट आने पर किसान को हुये नुकसान के लिये बीमा कंपनी भुगतान कर सके.

  • बता दें कि व्यावसायिक खेती के लिये फसल बीमा के लिये प्रीमियम का भुगतान अलग दरों पर होता है. 


कब करवायें फसल का बीमा



  • खरीफ फसल चक्र के दौरान खाद्यान्न, सब्जी, फल या औषधीय फसलों की खेती के लिये बुवाई की है, तो ऐसे किसानों बुवाई के 10 दिनों के अंदर फसल का बीमा करवा सकते हैं.

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़कर जो किसान बीमा करवाना चाहते हैं, वो केंद्रीय सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक या वाणिज्यिक बैंक की नजदीकी शाखा में जाकर नामांकन दर्ज कर सकते हैं.

  • फसल का बीमा करवाने के लिये सभी जरूरी दस्तावेज जैसे- जमीन की जमाबंदी, आधार कार्ड, पेन कार्ड, मोबाइल नंबर, बचत बैंक खाते की पासबुक, पासपोर्ट साइज फोटो आदि दस्तावेजों की कॉपी के साथ-साथ बोई गई खरीफ फसल की जानकारी देनी होगी.  



मुश्किल वक्त में मिलेगा बीमा कवर



  • खराब मौसम या दूसरी अनिश्चितताओं के कारण फसल खराब होने पर बीमा कवर हासिल करने के लिये बीमित किसान को 48 से 72 घंटे के बीच संबंधित बीमा कंपनी को नुकसान की जानकारी देनी होगी.

  • बीमित किसान बुवाई के बाद आने वाली समस्या और कटाई के 14 दिन के अंदर फसल में नुकसान होने पर भी बीमा कवर का दावा कर सकते हैं.

  • पहले फसल बीमा योजना में सिर्फ मौसम आधारित फसल बीमा यानी प्राकृतिक आपदाओं से खेत में खड़ी फसल को नुकसान होने पर ही बीमा मिलता था.

  • सरकार ने बढ़ते जोखिम को देखते हुये बुवाई से पहले और कटाई के बाद आने वाले संकट को भी बीमा कवर से जोड़ दिया है. 


अधिक जानकारी के लिये किसान ग्राम पंचायत स्तर पर कृषि पर्यवेक्षक, पंचायत समिति स्तर पर सहायक कृषि अधिकारी, जिला स्तर पर उप निदेशक, कृषि (विस्तार) या जिला परिषद में भी संपर्क कर सकते हैं.




इन राज्यों में नहीं मिलेगा लाभ
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana) के तहत भारत सरकार की ओर से किसानों को सूखा,ओलावृष्टि, बाढ़, कीट-रोगों का आतंक, भूस्खलन, तूफान, चक्रवात और कम वर्षा जैसी प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disaster) से पीड़ित फसल की क्षतिपूर्ति के लिये आर्थिक सहायता (Financial Grants) दी जाती है. ये योजना किसानों के लिये पूरी तरह स्वैच्छिक है, यानी फसल का बीमा (Crop Insurance) कराना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इससे किसान चिंतामुक्त होकर खेती कर सकते हैं


इसके बावजूद कई राज्य में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana) का लाभ नहीं मिल पाता, क्योंकि इन राज्यों में फसल बीमा के लिये दूसरी योजनाओं के जरिये किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है. उदाहरण के लिये- आंध्र प्रदेश में फसल बीमा योजना के स्थान पर डॉ. वाईएसाअर मुफ्त फसल बीमा योजना, बिहार में बिहार राज्य फसल सहायता योजना, गुजरात में मुख्यमंत्री सहायता योजना, झारखंड में झारखंड फसल राहत योजना, पश्चिम बंगाल में बांग्ला शश्य बीमा योजना और मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana) से किसानों को जोड़ा जाता है.




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