अब उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है, तभी तो मखाने की खेती को प्रोत्साहित देने का प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है. मखाना की खेती करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपए की अनुदान सरकार देगी. यह पहल विशेष रूप से पूर्वांचल के उन क्षेत्रों के लिए है, जहां की जलवायु बिहार के मिथिलांचल से मेल खाती है. इस जलवायु को मखाना की खेती के लिए उपयोगी मना गया है.
सरकार ने 33 हेक्टेयर रखा है लक्ष्य
जिले देवरिया में पिछले वर्ष से मखाना की खेती का प्रयोग करके देखा गया. जबकि इस साल गोरखपुर, कुशीनगर और महाराजगंज जिलों में 33 हेक्टेयर मखाना की खेती करने का लक्ष्य है. वैज्ञानिक रूप से गोरखपुर मंडल की जलवायु मखाना उत्पादन के लिए काफी उपयोगी है. मखाना की खेती ऐसे ही क्षेत्रों में अधिक फायदेमंद होती है, जहां खेतों में जलभराव होता है.
गोरखपुर मंडल में तालाबों की संख्या बहुत है. यहां पर लो लैंड एरिया में बारिश का पानी काफी समय तक रुका रहता है. जिससे यहां के किसान मखाना की खेती से अच्छी आमदनी कर सकते हैं. सरकार भी मखाना की खेती को प्रोत्साहन दे रही है, तभी तो किसानों को 40 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदान देने का निर्णय सरकार ने लिया है. करीब एक लाख रुपए की लाख मखाना की खेती एक हेक्टेयर करने में लगती है. जिसमें अब सरकार लागत का 40 प्रतिशत कवर करेगी. एक हेक्टेयर में मखाना की औसत पैदावार 25 से 29 क्विंटल है और वर्तमान में बाजार में इसकी कीमत एक हजार रुपए प्रति किलो है.
तालाब नुमा खेत में भरे तीन फीट पानी में मखाना की खेत होती है. मखाना की नर्सरी नवंबर में लगाई जाती है, जबकि मखाना की पौध रोपाई चार महीने बाद फरवरी-मार्च में होती है. जिसके लगभग पांच महीने बाद पौधों में फूल लगने शुरू हो जाते हैं. इसकी कटाई अक्टूबर-नवंबर में शुरू होती है. नर्सरी से लेकर कटाई तक तकरीबन दस महीने का समय लगता है. यह खेती विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभकारी है, जो पहले से ही अपने तालाबों में मछली पालन का व्यवसाय कर रहे हैं.
मखाना को लोग पोषक तत्व के रूप में जानते हैं. यह एक सुपर फूड भी माना जाता है. कोरोना के बाद स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है, जिसके चलते मखाना की मांग में काफी तेजी आई है. इसकी लो कैलोरी, प्रोटीन, फास्फोरस, फाइबर, आयरन और कैल्शियम की उच्च मात्रा एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ-साथ हृदय, उच्च रक्तचाप और मधुमेह नियंत्रण में सहायक होती है.
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