Crop Residue Management: आज पराली जलाने के खिलाफ हरियाणा की रणनीति को खूब सराहना मिल रही है. राज्य में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में 25% कमी आई है. हरियाणा के पानीपत जिले में भी सबसे कम पराली जली है. यहां के ज्यादातर किसानों ने पराली को 8 से 10 हजार रुपये के भाव पर बेचा है. रिपोर्ट्स की मानें तो यूपी की गन्ना मिलों (UP Sugar Mills) और सूखे चारे के लिए पराली की डिमांड बढ़ती जा रही है. पानीपत के किसान अब ट्रॉलियों में पराली भर-भरकर यूपी और हरियाणा की तमाम पराली मंडियों (Parali Mandi) में पहुंच रहे हैं. इस तरह किसानों को भी अच्छे दाम मिल जाते हैं और पर्यावरण को प्रदूषण भी नहीं होता. 


पांच गुना बढ़े पराली के दाम
उत्तर भारत में पराली जलाने से रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल मौसम की अनिश्चितताओं के कारण धान की पैदावार कम हुई है. इसी के कारण पराली के भाव पांच गुना तक बढ़ गए हैं, जो पराली पिछले साल तक 2,000 से 2,500 रुपये प्रति एकड़ के भाव (Parali Ka Bhav) बिक रही थी. आज उसी की कीमत (Stubble Price) 8,000 से 11,000 रुपये एकड़ पहुंच गई है. हरियाणा के कैथल से लेकर करनाल और जींद में भी पराली की मंडियां लगाई जा रही है. हरियाणा और दूसरे राज्यों से भी किसान यहां ट्रॉलियों में पराली लेकर पहुंच रहे हैं. 


21 जिलों से पराली उत्पादन
इस साल हरियाणा के कुल 21 जिलों से 70 लाख मीट्रिक टन पराली के उत्पादन का अनुमान है, जिसमें कैथल, करनाल और जींद जिला से 35 प्रतिशत पराली निकली है. यहां 80 प्रतिशत पराली का उचित प्रबंधन हुआ है. धान की कटाई के बाद से ही हरियाणा में पराली की खरीद-बिक्री चल रही है. यही कारण है कि पराली जलाने के मामलों में 25% तक कमी देखी गई है. 


पराली से बनेगा पशु चारा
पराली के कारोबार के लिए कैथल जिले में 20 से ज्यादा प्लांट लगाए गए हैं. साथ ही, जींद, करनाल और कैथल से पराली खरीदकर इन प्लांट्स में भंडारण भी हो रहा है. इससे किसानों को आमदनी और ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है. यहां पराली के भंडारण से सर्दियों तक पशुओं का चारा तैयार किया जाएगा, जिसे राजस्थान और गुजरात में भेजना है.


इन दोनों राज्यों से चारे के व्यापारियों के धुंआधार ऑर्डर मिल रहे हैं. अब पराली की अहमियत समझते हुए खुद बड़ी-बड़ी कंपनियां किसानों के खेतों पर पराली खरीदने पहुंच रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैथल जिला में 5 बड़ी कंपनियों ने करीब 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक पराली का सौदा किया है.


पशु चारे का संकट
पराली के दाम बढ़ने से हरियाणा की ही गौशालाओं में पशुओं के चारे का संकट गरहाने के आसार नजर आ रहे हैं. दरअसल, पराली के बढ़ते व्यापार से दाम में भी इजाफा हुआ है, जिससे पराली से बनने वाला पशु चारा भी महंगा बिक रहा है. 10 से 11 हजार रुपये बिकने वाली पराली खरीदकर पशुओं के लिए चारा (Parali Chara) बनाना नामुमकिन हो जाता है.


इन दिनों तक गेहूं की तुड़ी भी खत्म हो जाती है तो अगले तीन-चार महीने तक पशुओं को धान की पराली का ही चारा खिलाते हैं, लेकिन अब ये महंगी हो गई हैं तो दूसरे राज्यों में आपूर्ति करते-करते अपने राज्य में ही पराली संकट पैदा हो सकता है. कई किसान ऐसे भी है, जो कम दामों में गौशालाओं को पराली बेच रहे हैं,  लेकिन गौशालाओं और पशुओं की संख्या के आधार पर ये पराली काफी नहीं है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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