Crop Management: बाजरे की खेती कर रहे हैं तो सावधान हो जायें, बारिश के बाद फसल में जरूर कर लें ये काम
Weed Management in Crop: बारिश के बाद ही फसल में खरपतवार और रोगी पौधे उगना शुरु कर देते हैं. ऐसी स्थिति में निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार-रोगी पौधों को उखाड़कर फेंक दें
Pest Control in Pearl Millet: खरीफ सीजन (Kharif Season) की शुरुआत में ही बाजरे की खेती (Pearl Millet Farming) का काम शुरु हो जाता है. यह एक नकदी फसल तो है ही, साथ ही इसे पोषक अनाज की श्रेणी में भी डाला गया है. यही कारण है कि बाजरे की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिये किसानों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय बाजरे की फसल (Pearl Millet Crop) में खरपतवार प्रबंधन के साथ-साथ कीड़े और बीमारियों की निगरानी (Crop Management) करते रहना चाहिये, क्योंकि मानसून की बारिश पड़ते ही ये समस्यायें फसल में घर कर जाती है, इसलिये समय रहते इनकी पहचान करके रोकथाम के उपाय कर लेने चाहिये.
सफेद लट
मानसून में सफेद लट का खतरा बाजरे की फसल पर मंडराता रहता है. बारिश के मौसम ये कीड़े अंधेरे में जमीन से निकलते हैं और बाजरे के पत्तों का खाकर नष्ट कर देते हैं. सुबह होने पर ये कीड़े वापस जमीन में घुंस जाते हैं. इसके कारण फसल के पौधे पीले पड़कर गलने लगते हैं.
- ये कीड़े हल्के भरे रंग और सी आकार वाले होते हैं, जो अगस्त से अक्टूबर तक फसल पर खतरा बनकर मंडराते रहते हैं.
- इनकी रोकथाम के लिये बारिश के बाद रात के समय सफेद लट के झुंट को पेड़ से हिलाकर नीचे गिरायें और इन्हें मिट्टी के तेल में डुबोकर नष्ट कर दें.
- किसान चाहें तो 0.05 % क्विनाल्फोस 25 ई.सी. या फिर 0.05% कार्बरिल 50 WP का घोल बनाकर इन कीड़ों पर छिड़काव कर सकते हैं.
लाल बालों वाली सुंडियां
जुलाई से लेकर अक्टूबर तक बाजरे की फसल में लाल बालों वाली सुंडियों का प्रकोप बढ जाता है. ये कीड़े बाजरे की पत्तियों के नीचे रहकर उन्हें छली कर देते हैं. इससे फसल की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है.
- इसकी रोकथाम के लिये बुवाई से पहले ही खेतों में गहरी जुताई का काम करना चाहिये, जिससे सुंडियों के प्यूपों को नष्ट किया जा सके.
- इसके समाधान के लिये बारिश पड़ने के बाद खेतों में लाइट ट्रेप लगायें, क्योंकि ये कीड़े रोशनी की तरफ आकर्षित होते हैं.
- खेतों में समय रगते निराई-गुड़ाई का काम करके खरपतवार नष्ट करते रहें, क्योंकि ये कीड़े गंदगी और खरपतवारों होने पर ज्यादा पनपते हैं.
- किसान चाहें तो लाल सुंडी से ग्रस्त पत्तों को तोड़कर मिट्टी के तेल में डुबोयें, इससे कीड़े अपने आप मर जाते हैं.
- समस्या बढ़ने पर फसल में बड़ी सूंडियों की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफोस 36 एस.एल की 250 लीटर मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.
खरपतवार और बीमार पौधों की रोकथाम (Weed Management)
बारिश के बाद ही फसल में खरपतवार (Weed in Crop) और रोगी पौधे (Sick Plants) उगना शुरु कर देते हैं. ऐसी स्थिति में निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार-रोगी पौधों को उखाड़कर फेंक दें. ध्यान रखें कि बुवाई के 20 दिन के अंदर ये काम जरूर कर लें.
- बीमार पौधे और खरपतवारों को निकालने के बाद फसल पर 0.2% जिनेब दवा की 500 ग्राम मात्रा या मेन्कोजेब को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव (Weed Control Spray) करें.
- इसके अलावा, 400 मी.ली क्यूमान एल. को 200 लीटर पानी में घोलकर पौधों में बाल निकलने पर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना बेहतर रहता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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