Permission for Harvester Machine: देश में पराली जलाने की घटनायें पूरी तरह बंद नहीं हो पाई हैं. चलती पराली से बढ़ते प्रदूषण के बीच अब राज्य सरकारों ने सख्ती बरतने का फैसला लिया है. कई राज्यों में धान की पराली में आग लगाने वाले किसानों से जुर्माना वसूला गया है तो कई किसानों को हवालात की हवा भी खानी पड़ रही है. कंबाइन हार्वेस्टर से धान की कटाई करने वालों पर भी सख्ती की जा रही है.


अब कंबाइन हार्वेस्टर या धान काटने की मशीन के साथ एसएमएस यानी सुपर स्टा मैनेजमेंट सिस्टम (Super Straw Management System) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. वहीं बिहार के कई जिलों मे अब कंबाइन हार्वेस्टर से धान काटने (Paddy Harvester) के लिए किसानों को पास बनवाने के आदेश मिले हैं. पास-परमिशन के बिना कंबाइन हार्वेस्टर (Combine Harvester) चलाने पर प्रशासन जमकर सख्ती बरत रहा है.


पास बनवाने के लिए एसएमएस आवश्यक
बिहार के सभी जिलों में धान की कटाई के लिए अब कंबाइन हार्वेस्टर के मालिकों को कृषि विभाग से परमिशन लेनी होगी. साथ ही, पास बनवाने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर के मालिक या किसान को एक शपथ पत्र भी जमा करवाना होगा, जिसमें ये लिखा हो कि 'अपने कंबाइन हार्वेस्टर मशीन में सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) लगा लिया है'. इसके लिए अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं.


पास के लिए अप्लाई करने के बाद अगर वेरिफिकेशन में एसएमएस नहीं मिलता है तो पास नहीं दिया जाएगा. अब धान की कटाई करते समय कंबाइन हार्वेस्टर में एसएमएस नहीं लगा होगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर बिहार कृषि विभाग ने नई गाइडलाइंस भी जारी कर दी है. अब कंबाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल करने वालों पर अधिकारियों की नजर रहेगी. प्रखंड स्तर से जिला स्तर तक इसकी मॉनिटरिंग  की जाएगी.


कंबाइन हार्वेस्टर में एसएमएस लगाने के फायदे
ऐसा नहीं है कि सभी किसान लापरवाही बरतते हैं. देश में कई प्रगतिशील या सामान्य किसान भी हैं, जो पहले से ही धान की कटाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर में एसएमएस सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं. बता दें कि कंबाइन हार्वेस्टर में एसएमएस सिस्टम लगाकर धान की कटाई करने से फसल अवशेषों में जलाने लायक कुछ नहीं बचता. इस मशीन से फसल अवशेष के छोटे-छोटे टुकड़े खेत में ही फैल जाते हैं, जो खेत की जुताई करते समय मिट्टी में मिल जाते हैं.


बाद में यही फसल अवशेष गलकर की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते हैं. वहीं दूसरी तरफ सादा कंबाइन हार्वेस्टर चलाकर धान काटने से फसल की ठूंठ जमीन में ही रह जाती है, जिसका प्रबंधन मुश्किल होता है और इसे जला दिया जाता है. इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने अब कंबाइन हार्वेस्टर मशीन में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) लगाना अनिवार्य कर दिया है.


पराली जलाने के नुकसान
उत्तर भारत में पराली जलने से पर्यावरण प्रदूषण (Air Pollution) बढ़ गया है. इससे बच्चे और बड़े-बुजुर्गों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. एक रिसर्च के मुताबिक, फसल अवशेषों को जलाने से वायुमंडल में कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है. लगभग 1 टन फसल अवशेष जलाने से 60 किग्रा. कार्बन मोनोऑक्साइड और 2 किग्रा सल्फर डाईऑक्साइस गैस निकलती है. ये हवा को जहरीला बनाने और लोगों को बीमार करने के लिए काफी है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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