Broccoli Cultivation: फूल गोभी से ज्यादा कमाई नहीं हो पाती? तो शुरू करें ब्रोकली की उन्नत खेती
Broccoli for Health & Wealth: औषधीय गुणों से भरपूर ब्रोकली डिप्रैशन, एलर्जी, कैंसर और गर्भवती महिलाओं के लिये काफी फायदेमंद साबित होती है.
![Broccoli Cultivation: फूल गोभी से ज्यादा कमाई नहीं हो पाती? तो शुरू करें ब्रोकली की उन्नत खेती Farmers will be able to earn more than Cauliflower by doing advanced cultivation of Broccoli Broccoli Cultivation: फूल गोभी से ज्यादा कमाई नहीं हो पाती? तो शुरू करें ब्रोकली की उन्नत खेती](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/09/28/f42ce276ccd8f6e7ab59f4cd92a6ddfd_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Try Broccoli for Advanced Farming: पिछले कुछ समय से दिल्ली, चेन्नई, बैंगलोर, गुरुग्राम, मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों में सब्जियों की विदेशी किस्मों की मांग काफी बढ़ गई है. ब्रोकली भी इन एडवांस किस्मों में शामिल है. जानकारी के लिये बता दें कि ब्रोकली फूल गोभी का इटेलियन रूप है, जिसमें विटामिन, कैल्शियम, फास्फोरस एवं लौह तत्व जैसे कई पोषक पाये जाते हैं. औषधीय गुणों से भरपूर ब्रोकली डिप्रैशन, एलर्जी, कैंसर और गर्भवती महिलाओं के लिये काफी फायदेमंद साबित होती है.
पहले भारत में ब्रोकली की मांग को पूरा करने के लिये इसका आयात किया जाता था, लेकिन अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत के किसान खुद इसकी उन्नत खेती कर रहे हैं और अच्छा लाभ कमा रहे हैं. ब्रोकली की खेती किसानों के लिये फायदे का सौदा साबित हो सकती है, लेकिन इसकी उन्नत खेती करते समय कई सावधानियां बरतने की जरूरत होती है.
ब्रोकली की खेती
जाहिर है कि ब्रोकली विदेशी सब्जी है, विदेशी बीजों के साथ इसकी खेती करने पर काफी जद्दोजहद करना पड़ जाती है. लेकिन अब भारत में कृषि आधारित कई कंपनियां ब्रोकली के बीज बेच रही हैं. इस कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने भी ब्रोकली की देसी किस्म पूसा ब्रोकली-1 और के.टी.एस.9 विकसित कर ली है, जो कम ही समय में अच्छा उत्पादन प्रदान करती है.
खेती के समय सावधानियां
- ब्रोकली की खेती के लिये जल निकासी वाली बलुई-दोमट और भूरी मिट्टी को सर्वश्रेष्ठ बताया जाता है.
- इसकी खेती के लिये सिंचाई की कम ही जरूरत पड़ती है, ज्यादा पानी देने से इसकी फसल में गलन की समस्या हो जाती है.
- सर्द पहाड़ी इलाकों में ब्रोकली की खेती मार्च- अप्रैल के बीच की जाती है. वहीं मैदानी इलाकों में इसकी खेती के लिये सिंतबर-अक्टूबर का समय बेहतर बताया जाता है.
- इसकी बुवाई के लिये 400-500 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीजोपचार करके बोने चाहिये.
- ब्रोकली की खेती के लिये पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस में इसकी नर्सरी तैयार करें. ध्यान रखें कि नर्सरी जमीन से 15 सेमी. ऊपर बनी होनी चाहिये.
- ब्रोकली एक कम सिंचाई वाली फसल है, जिसके लिये टपक सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- ब्रोकली की रोपाई के लिये खेत में 2-3 गहरी जुताई करके पाटा चलायें और समतलीकरण का काम करें.
- 4-5 हफ्ते बाद जब ब्रोकली के पौधों की लंबाई 10-12 सेंमी. हो जाये तो खेत में इसकी रोपाई कर दें.
- ब्रोकली की बुवाई के समय पौध से पौध की दूरी 40 सेमी. और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60 सेमीं. रखें.
- ऐसा करने से निराई-गुड़ाई और खरपतवार निकालने में आसानी रहती है.
- पौधों की रोपाई के बाद शाम के समय ही खेत में सिंचाई लगा देनी चाहिये.
- 2 महीने तक ब्रोकली के खेत में खरपतवारों की निगरानी करते रहें और 10-12 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई भी लगा दें.
- जब हरे पत्तों के बीच हरी ब्रोकली कलियों के साथ तैयार हो जाये, तो तेज धार वाले चाकू से इसकी कटाई कर लेनी चाहिये.
ब्रोकली से कमाई
एक हैक्टेयर जमीन पर ब्रोकली की खेती करने पर 75-180 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हो जाता है. तो बड़े शहरों में इसकी बिक्री 50-100 रुपयो किलो के हिसाब से हो जाती है. इसकी खेती करके किसान आम गोभी से भी ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं.
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