Red Ladyfingure Cultivation: भारत में हरी भिंडी (Green Ladyfinger) बड़े ही चाव से खाई जाती है. इसकी बढ़ती डिमांड से किसानों को मोटा मुनाफा मिलता है, लेकिन हरी भिंडी के मुकाबले लाल भिंडी की खेती (red Ladyfinger Farming) से किसानों को और भी ज्यादा फायदा मिल सकता है. यूरोपीय देशों (Ladyfinger Farming Europian Countries) में उगाई जाने वाली लाल भिंडी काफी चर्चाओं में बनी हुई है.


भारत में भी कई किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा ले रहे हैं. इसके रंग, आकर्षण और स्वाद के कारण लोग भी इस भिंडी के मुरीद होते जा रहे हैं. इस प्रकार किसान चाहें तो बाजार में हरी भिंडी का ट्रेंड बदलकर लाल भिंडी (Red Ladyfinger)  का नया बाजार खड़ा कर सकते हैं.


कब करें लाल भिंडी की खेती (Right Time for Red Ladyfinger Farming)
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो लाल भिंडी की खेती के लिये जुलाई से लेकर अगस्त का मौसम सबसे बेहतर रहता है, इस बीच उन्नत किस्म के बीजों को चुनकर ही बुवाई का काम करना चाहिये. 



  • भारत में लाल भिंड़ी की दो उन्नत किस्मों का विकास किया गया है, जिसमें आजाद कृष्णा और काशी लालिमा शामिल है.

  • लाल भिंडी की ये दोनों ही किस्में सामान्य की तुलना में तीन गुना तक अधिक उत्पादन देती है. 




इस तरह करें लाल भिंडी की खेती (Process of Red Ladyfinger Farming)
हरी भिंडी की तरह ही लाल भिंडी की खेती की जाती है, लेकिन इसकी खेती करते समय सावधानियां बरतनी चाहिये, ताकि रोगमुक्त और बढ़िया क्वालिटी का उत्पादन ले सके. 



  • बता दें कि लाल भिंडी की खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है, जिसकी पीएच मान 6.5 – 7.5 तक होना चाहिये.

  • मिट्टी की जांच के आधार पर ही लाल भिंडी की खेती करना चाहिये, जिससे मिट्टी की जरूरतों के हिसाब से सिंचाई और खाद-उर्वरकों का इंतजाम कर सकें.

  • इसकी बिजाई से पहले बीजों का उपचार कर लेना चाहिये और अंकुरण के लिये बीजों को 10 से 12 घंटे तक पानी में भिगो देना चाहिये, जिससे अंकुरण में कोई समस्या ना आये.

  • बीजों की बुवाई कतारों में ही करनी चाहिये, जिसके लिये लाइन से लाइन के बीच 45-60 सेंटीमीटर और पौध से पौध की दूरी 25-30 सेंटीमीटर रखकर बुवाई करें.

  • वैसे तो बारिश के मौसम लाल भिंडी की फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती, लेकिन गर्मी के मौसम में हर 7 से 8 दिन के बीच मिट्टी में नमी बनाये रखना बेहद जरूरी है. 


पोषण प्रबंधन और देखभाल (Crop Management in Red Ladyfinger)
गर्म और आर्द्र जयवायु में लाल भिंडी की खेती करने पर अधिक देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि इस जलवायु में भिंडी के पौधे 1 से 1.5  मीटर तक की लंबाई तक विकसित हो जाते हैं. 



  • फसल के सही विकास और पौध संरक्षण के लिये 6 घंटे की धूप की आवश्यकता होती है. 

  • भिंडी की फसल में मिट्टी की जांच के आधार पर खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिये. 

  • किसान चाहें तो मिट्टी और जलवायु के तय मानकों के आधार पर प्रति एकड़ फसल में 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस और 50 कि.ग्रा. पोटाश की मात्रा वर्मी कंपोस्ट के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं.


लाल भिंडी की खेती में लागत और आमदनी (Income & Outcome from Red Ladyfinger Farming) 
जहां लाल भिंडी (Red Ladyfinger)  को उगाने में सामान्य लागत ही लगती है, वहीं बाजार में इसकी तीन गुना अधिक उपज को हरी भिंडी के मुकाबले अधिक दामों पर बेचा जाता है. रिपोर्ट्स की मानें तो मॉल्स, डिपार्टमेंटल स्टोर और कई बड़ी मंडियों में लाल भिंडी को 100 से 500 रुपये प्रति किलो के भाव (Red Ladyfinger Price) पर बेचा जाता है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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