Pearl Millet Cultivation: मोती के भाव बिक जायेगा सारा बाजरा, बस फसल में डाल दें ये चीजें
Millets Cultivation: बाजरा की खेती के लिये ज्यादा खाद पानी की जरूरत नहीं होती, बंजर जमीन पर भी बाजरा की खेती की जा सकती है
Kharif Crop cultivation: भारत में खरीफ सीजन की मुख्य फसलों में बाजरा नाम भी शामिल है. बाजरा को पोषक अनाज की श्रेणी गिना जाता है, जिसकी खेती करके किसान अच्छा पैसा कमा सकते हैं. क्योंकि बाजरा की फसल बाजार में हाथोंहाथ बिक जाती है, वहीं इसको पशुचारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि बाजरा की खेती के लिये ज्यादा खाद पानी की आवश्यकता नहीं होती, बंजर जमीन पर भी बाजरा की खेती की जा सकती है. जिससे लागत कम और आमदनी डबल हो जाती है.
बाजरा की खेती
भारत में बाजरा को 85 लाख हैक्टेयर पर उगाया जाता है, इसमें राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा मुख्य रूप से शामिल है. सर्दियों में बाजरा को पोषण अनाज के रूप में खाया जाता है. पशुओं के लिये भी बाजरा का इस्तेमाल हरे चारे के रूप में किया जाता है. जाहिर है कि देश में करीब 95% जमीन असिंचित है, ऐसे में बाजरा की फसल को किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है.
- बाजरा की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, इसलिये खेत में जल निकासी की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है
- खेत में एक जुताई के बाद ही मिट्टी में खाद मिलाकर पोषण प्रदान कर सकते हैं.
- बारानी इलाकों में मानसून की पहली बारिश के साथ बाजरा की बुवाई कर दें.
- बारिश में देरी होने पर बाजरा की नर्सरी तैयार करके रोपाई का काम कर सकते हैं.
उन्नत किस्मों का चुनाव
बाजरा की खेती के लिये अच्छी पैदावार वाली उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें. किसान चाहें तो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित अच्छी पैदावार वाली किस्मों से खेती कर सकते हैं. अधिक पैदावार वाली किस्मों में पूसा कम्पोजिट-612, पूसा कम्पोजिट 443, पूसा कम्पोजिट 383, पूसा संकर 415, पूसा संकर 605 आदि किस्मों को सिंचित और असिंचित दोनों इलाकों में बोया जा सकता है. करीब एक हेक्टेयर क्षेत्र में अच्छी पैदावार लेने के लिये 4-5 किलो बीज का प्रयोग करें. बुवाई के लिये कतार से कतार की दूरी 40-50 सेंमी. और पौध से पौध के बीच कम से कम 8 से 10 सेंमी. की दूरी होनी चाहिये.
बाजरा की नर्सरी
जो किसान बाजरा की खेती के लिये बारिश पर निर्भर हैं, वे खेतों की तैयारी करके जुलाई माह के प्रथम पखवाड़े तक बाजरा की फसल की बुवाई कर सकते हैं. लेकिन बारिश में देरी होने की स्थिति में 500 वर्गमीटर की नर्सरी तैयार कर लें.
- बिजाई से पहले जैव उर्वरक डालकर बीजोपचार काम जरूर करें, इससे स्वस्थ फसल लेने में काफी मदद मिलती है.
- नर्सरी तैयार करने के लिये बाजरा की उन्नत किस्म के बीजों को ही चुनें.
- नर्सरी में पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 12-15 किलो यूरिया डालें
- किसान चाहें तो गोबर की कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
- पौधशाला तैयार होने के बाद खेतों में बारिश होने पर इसकी रोपाई का काम कर लें.
खेत में पौध की रोपाई
- खेतों में बाजरा की पौध की रोपाई जुलाई के पहले-दूसरे सप्ताह में करें.
- बीमार, कमजोर और बेमेल पौधों को खेत में न रोपें, इन्हें निकालकर अलग रख दें.
- नर्सरी में पौध तैयार करके बाजरा की रोपाई करने पर कल्ले और बालियों की अच्छी संख्या में बढ़वार होती है.
- सिंचित इलाकों में पौध की रोपाई के बाद एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 80 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 40 किलो पोटाश को डालें.
- बारानी इलाकों में 60 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस, और 30 किलो पोटाश खेतों में डालें
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