Chinar Ki Kheti: फर्नीचर और प्लाईवुड का बिजनेस पूरी तरह से लकड़ी पर आधारित है और लकड़ी आपूर्ति कुछ चुनिंदा पेड़ों से ही होती है. कई राज्यों में लकड़ी का आयात दूसरे राज्यों से होता है, लेकिन जब उत्पादक राज्य में ही लकड़ी की डिमांड पूरी नहीं हो पाती तो दूसरे राज्यों को सप्लाई भी बंद हो जाती है. ऐसा ही देखने को मिल रहा है हरियाणा के यमुनानगर में, जहां के फर्नीचर और प्लाईवुड उद्योग के लिए उत्तर प्रदेश से लकड़ी मंगवाई जाती थी, लेकिन अब यूपी में भी फर्नीचर इंडस्ट्री और प्लाईवुड फैक्ट्रियों का विस्तार होता जा रहा है, जिसके चलते हरियाणा में लकड़ी की सप्लाई बंद हो गई है.


जानकारों का कहना है कि अब यूपी में भी लकड़ी की खपत बढ़ गई है, इसलिए किसानों को अपने गृह राज्य में ही लकड़ी के सही दाम मिल जाते हैं और वहीं लकड़ी बेच देते हैं.


इसका विपरीत असर हरियाणा के यमुनानगर में देखने को मिला है, जहां आपूर्ति बंद होने से लकड़ी की कमी हो गई है और चिनार के दाम भी बढ़ गए हैं, हालांकि इस बदलाव से यमुनानगर के किसानों की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं.


चिनार के बढ़ गए दाम
उत्तर प्रदेश में चिनार की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. कुछ समय पहले तक यूपी के किसान हरियाणा के व्यापारियों के चिनार की लकड़ी बेच रहे थे, लेकिन अब यूपी के किसानों को अपने ही राज्य में फायदा मिल जाता है इसलिए हरियाणा में लकड़ी बेचना बंद कर दिया. इसका सीधा असर हरियाणा में लकड़ी उद्योग पर देखने को मिल रहा है. यहां चिनार की लकड़ी के भाव 500 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं.


द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2022 में 12 से 17 इंच डायमीटर वाली चिनार की लकड़ी 800 रुपये प्रकि क्विंटल के भाव पर बिकती थी, जबकि इसी साइज का प्लाईवुड अब 1300 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 18 इंच डायमीटर वाले प्लाईवुड की कीमत भी 2 से 3 महीने में बढ़कर 1200 से 1400 रुपये  हो गई है.


किसानों में खुशी की लहर
एक तरफ लकड़ी की कमी से प्लाईवुड और फर्नीचर उद्योग में सुस्ती देखी जा रही है तो वहीं बढ़ते दामों को किसान अब एक अवसर की तरह देख रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा के यमुनानगर में 80 प्रतिशत प्लाईवुड की लकड़ी उत्तर प्रदेश से आ रही थी, लेकिन चिनार की आपूर्ति ठप होने के बाद राज्य में इसके दाम काफी बढ़ गए हैं.


इससे किसान काफी खुश है, क्योंकि उनके खेत में उगने वाले चिनार को अब अच्छे दाम मिलने वाले हैं. कई किसानों ने तो चिनार की खेती के रकबे को बढ़ा दिया है. अब किसान अपने खेत की मेड़ों पर चिनार की रोपाई करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. 


5 के बजाए 3 साल में हो रही कटाई
चिनार की लकड़ी के दाम बढ़ने से अब किसानों  के लिए कमाई की संभावनाएं भी प्रबल हो गई है. अब किसान समय से पहले पेड़ की कटाई कर रहे हैं, जो दाम किसानों को 5 साल बाद पेड़ के परिपक्व होने पर मिलते थे, वो अब 3 साल में ही मिलने लगे हैं.


चिनार की नर्सरी के बिजनेस भी तेजी दिखाई दे रही है, क्योंकि अब हर किसान की मेड़ों पर चिनार के पौधे लगा रहा है, इसलिए 45 रुपये में एक पौधा बिक रहा है तो पहले 32 रुपये में बिकता था.


रिपोर्ट्स की मानें तो हरियाणा के यमुनागनर में भी किसान बड़े पैमाने पर चिनार की बागावनी करते हैं. गन्ना और गेहूं की फसल के साथ मेड़ों पर चिनार के पौधे लगाने पर हर सीजन में अतिरिक्त आमदनी मिलती रहती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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