Tuber Rose Rajanigandha Flower Cultivation: भारत में जल्द ही त्यौहारों का सीजन दस्तक देने वाला है, इसलिये हर क्षेत्र में अभी से ही तैयारियों का माहौल बन चुका है. खासकर इस सीजन फूलों को बेचकर अच्छी आमदनी कमाने के लिये किसान भी फूलों की तरह-तरह की वैरायटी उगा रहे हैं. गेंदा, गुलाब, गुड़हल, चंपा और कमल जैसे फूलों का बाजार तो काफी सीमित है, लेकिन रजनीगंधा के फूलों (Rajanigandha Flower Tuber Roses) को त्यौहारों से लेकर सालभर व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये भी उगाते हैं.
इसका इस्तेमाल सिर्फ पाठ-पूजा में ही नहीं, बल्कि तेल, अगरबत्ती, गुलदस्ता, माला, इत्र, साबुन, कॉस्मेटिक और यहां तक कि हर्बल प्रॉडक्ट्स और औषधी के रूप में भी किया जाता है. बाजार में इन फूलों की मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिये इनकी खेती (Commercial Farming of Tuber Roses) करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
इन राज्यों में उगायें रजनीगंधा
भारत के कई राज्यों में रजनीगंधा की व्यावसायिक खेती की जा रही है. खासकर पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसानों के खेत-खलिहानों को महकाने में रजीगंधा का अहम रोल है. इसकी खेती से पहले मिट्टी की जांच और सही जलवायु की समझ होना जरूरी है. जैसे जून से लेकर जुलाई तक पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती करने का चलन है, लेकिन मैदानी इलाकों में सिंतबर के महीने में इसकी खेती की जाती है.
- इसकी फसल से महकते फूलों की उपज लेने के खुली जगह और सूरज का प्रकाश बेहद जरूरी है.
- इसकी देखभाल और सिंचाई में भी अधिक खर्च नहीं आता. 10 से 12 दिन के बीच सिंचाई और महीने में एक बार निराई-गुड़ाई करने पर पूरा वातावरण महक उठता है.
- चाहें तो डबल कमाई के लिये साथ में मधुमक्खी पालन की यूनिट भी लगा सकते हैं, जिससे फूलों के साथ-साथ रजनीगंधा का फ्लेवर्ड शहद भी मिल जायेगा.
1 लाख की लागत में कमायें 5 लाख
रजनीगंधा की रोपाई इसके कंद यानी जड़ों से की जाती है, जिसके 3 से 5 महीने के बीच फूलों का भरपूर उत्पादन मिलता है. शुरुआत से लेकर अंत तक रजनीगंधा की खेती में करीब 1 से 2 लाख तक का खर्च आ जाता है, जिसमें प्रति हेक्टेयर जमीन से करीब 90 से 100 क्विटल तक फूलों का उत्पादन मिलता है. एक बार तुड़ाई के बाद इसमें काफी तेजी से फूल निकलते हैं, जिन्हें बेचकर सालभर के अंदर ही 4 से 5 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.
रजनीगंधा की खेती के लिये सब्सिडी
भारत में फ्लोरीकल्चर (Floriculture) यानी फूलों की खेती को तेजी से प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि इनसे पारंपरिक फसलों के मुकाबले कम मेहनत में ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. केंद्र सरकार ने फूलों की खेती के लिये अरोमा मिशन (Aroma Mission) शुरु किया है, जिसके तहत किसानों को फूलों की खेती (Flower Cultivation) की ट्रेनिंग और सब्सिडी का प्रावधान है. इस बीच उत्तर प्रदेश के किसानों के लिये राज्य का उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग भी राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन के तहत किसानों को फूलों की खेती (Subsidy on Flower Cultivation) के लिये 50 फीसदी की दर से आर्थिक सहायता मुहैया करवाता है.
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