PM Fasal Bima Yojana Benefit: बाढ़, बारिश और सूखा किसानों की फसलों को बर्बाद कर देते हैं. इस साल खरीफ सीजन में आपदाओं ने किसानों की हालत पतली कर दी. फसल बर्बाद होने पर किसान उम्मीद भरी नजरों से केंद्र और राज्य सरकार की ओर देखते हैं. केंद्र सरकार भी किसानों को निराश नहीं करती और हर संभव मदद करती हैं. पीएम फसल बीमा योजना किसानों के लिए बेहद मददगार साबित हुई है. फसल बीमा भुगतान को लेकर एक अध्ययन सामने आया हैं. इसमें भारत की स्थिति बेहद मजबूत पाई गई है. 


बीमा क्लेम रेट में कनाडा, इटली के बाद भारत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस के प्रमुख और इंटरनेशनल रीइंश्योरेंस एंड इंश्योरेंस कंसल्टेंसी एंड ब्रोकिंग सर्विसेज के वरिष्ठ सलाहकार कोल्ली एन राव ने एक स्टडी की. स्टडी में बीमा क्लेम से संबंधित कुछ ऐसे ही फैक्ट का खुलासा हुआ है. स्टडी में सामने आया कि औसत बीमा क्लेम दर में भारत का नंबर कनाडा और इटली के बाद आता है, जबकि चीन, अमेरिका बेहद नीचे हैं. कनाडा में बीमा क्लेम दर 99 प्रतिशत, इटली में 98 प्रतिशत, भारत में यह 83 प्रतिशत है. वहीं, तुर्की का फसल बीमा क्लेम रेट 55 प्रतिशत और चीन का 59 प्रतिशत है. 


फसल बीमा भुगतान मेें भारत मजबूत
स्टडी में सामने आया कि फसल बीमा भुगतान में भी भारत अमेरिका और चीन से आगे हैं. वैसे देखें तो चीन, अमेरिका और भारत दुनिया के फसल बीमा प्रीमियम का 70 प्रतिशत पेमेंट करते हैं. कनाडा और अमेरिका में बीमा कंपनियों को चलाने और प्रबंधित करने की जो भी लागत आती है. उसका पैमेंट गवर्नमेंट करती है. भारत में 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने मौजूदा क्लेम सब्सिडी-आधारित मॉडल बदल दिया है. पिछले सात सालों में बीमा कंपनियों ने प्रीमियम में 1,54,265 करोड़ रुपये लिए और क्लेम के रूप में 1,28,418 रुपये करोड़ पैमेंट किया है. 


ये रही बीमा भुगतान की स्थिति
राज्यों में बीमा भुगतान की स्थिति बेहतर बनी हुुई है. छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, झारखंड, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, तेलंगाना में क्लेम रेट 100 प्रतिशत से अधिक बना हुआ है. वहीं, 2016 और 2018 के बीच तमिलनाडु में सूखा पड़ने पर 8,397 करोड़ रुपये का क्लेम किया गया. यह 4,085 करोड़ रुपये के सकल प्रीमियम के 200 प्रतिशत से अधिक रहा. महाराष्ट्र में वर्ष 2019 में किसानों को भारी बारिश से नुकसान हुआ. किसानों को 4,500 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया.


 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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