Fennel Cultivation: सौंफ की खुशबू से महक उठेंगे खेत-खलिहान, डबल कमाई के लिये अपनायें खेती का ये खास तरीका
Fennel Benefits for Farmers: सौंफ की खेती सर्दियों में की जाती है. इस दौरान पानी और संसाधनों को बचाने के लिये टपक सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहता है.
Fennel Farming: भारतीय मसालों (Indian Spices) में सौंफ का नाम बड़े ही शान से लिया जाता है. भिनी-भिनी खुशबू और स्वाद के लिये फेमस सौंफ (Fennel Benefits) का इस्तेमाल भारतीय रसोई में काफी समय से किया जा रहा है. चाहे अचार, मुरब्बे का स्वाद बढ़ाना हो या हर्बल चाय से सेहत, सौंफ का किरदार बाकी मसालों से काफी अलग है. सौंफ मसालों के अलावा औषधीय (Herbal Properties of Fennel) रूप में भी उगाई जाती है, जिससे वात, पित्त और कफ तीनों से जुड़ी समस्याओं को दूर कर सकते हैं. देश में इसकी व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Fennel) बड़े पैमाने पर की जा रही है. यह कम समय और कम जमीन में भी किसानों के लिये बंपर पैसा कमाने का जरिया बन सकता है.
इन राज्यों में करें सौंफ की खेती (Fennel Producer States of India)
वैसे तो ज्यादातर राज्यों में खेत की मेड़ों पर सौंफ को उगाने के चलन है, लेकिन राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक में इसकी खेती व्यावसायिक तौर पर की जाती है. इसकी बुवाई के लिये खरीफ सीजन का जुलाई माह और रबी सीजन के अक्टूबर की जलवायु उपयुक्त रहती है, लेकिन इसके बेहतर उत्पादन के लिये रबी सीजन में ज्यादा बुवाई करने का चलन है.
इन बातों का रखें खास ख्याल (Precautions in Fennel Cultivation)
सौंफ की खेती के लिये प्रति हेक्टेयर जमीन के लिये 4 से 5 किलोग्राम बीज काफी रहते हैं, जिनसे अच्छी उपज के लिये बीज उपचार जरूर करना चाहिये.
- बुवाई से पहले बीजों बीज को फफूंदनाशक दवा जैसे- 2.5 से 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम या केप्टान से प्रति किलो बीजों का उपचार करना फायदेमंद रहता है.
- किसान चाहें तो 8 से 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रति किलो बीजों का उपचार करके 8 घंटे बाद बुवाई का काम कर सकते हैं.
- सौंफ की खेती सर्दियों में की जाती है, इसलिये मिट्टी में सिर्फ नमी बनाये रखने पर ही सिंचाई का काम हो जाता है, इसलिये पानी और संसाधनों को बचाने के लिये टपक सिंचाई तकनीक का ही इस्तेमाल करें.
इस तरह करें सौंफ की खेती (Process of Fennel Cultivation)
सौंफ की खेती के लिये रेतीली भूमि के अलावा सारी जमीनें अच्छा पोषण देती हैं, इसलिये 2 से 3 गहरी जुताईयां लगाकर खेत को तैयार कर लें.
- अगर मेड़ों पर सौंफ की बिजाई कर रहे हैं तो खेत में जुताई के बाद गोबर की खाद मिलाकर समतलीकरण करें और फिर मेड़, बैड़ या ऊंची क्यारियां बना सकते हैं.
- सौंफ की खेती छिटकवा विधि या फिर लाइनिंग विधि से की जाती है. किसान अपनी जरूरत और बाजार की मांग के हिसाब से भी सौंफ की खेती कर सकते हैं.
- इसकी फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये खरपतवार से लेकर, कीट-रोग नियंत्रण और सिंचाई कार्य करते रहना चाहिये.
उत्पादन और मुनाफा (Production & Income from Fennel Cultivation)
सौंफ की अंबेल के पूरी तरह विकसित होने पर ही इसकी कटाई का काम किया जाता है. कटाई के समय ध्यान रखें इसके बीज ठीक प्रकार से पके हुये होने चाहिये. सौंफ की कटाई के बाद इसके बीजों को 2 से 3 दिन के लिये खेत में ही सुखाया जाता है और 10 से 15 दिन अलग से छायादार स्थान पर भी सुखाते हैं, जिससे सौंफ में नमी खत्म हो जाये और फंगी रोगों की संभावना ना रहे. इस प्रक्रिया को करने पर सौफ का रंग और खुशबू लंबे समय तक बरकरार रहती है.
- एक अनुमान के मुताबिक एक एकड़ खेत में सौंफ उगाने के बाद करीब 2 लाख तक की आमदनी हो जाती है.
- पारंपरिक और सब्जी फसलों के साथ मेड़ों या क्यारियों में सौंफ की बुवाई (Co-Cropping of Fennel) करने पर आसानी से किसानों को अतिरिक्त कमाई मिल जाती है.
- सौंफ एक ऐसी औषधी या मसाला है, जिसकी आमदनी उसकी खेती के पैमाने पर निर्भर करती है.
- यदि किसान 10 एकड़ में सौंफ की व्यावसायिक खेती (Commercial Farming of Fennel) करते हैं तो आराम से 15 से 20 लाख तक कमा सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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