Fenugreek Cultivation: बाजार में बढ़ रही है मेथी की डिमांड, इस टाइम करेंगे खेती तो मिलेगा खूब मुनाफा
Methi Ki Kheti: मेथी की खेती दो उद्देश्यों से की जाती है, जिसमें सूखी पत्तियां और साग-भाजी के लिये हरी फसल की कटाई की जाती है तो वहीं मेथी दाना के लिये पत्तियों के पीला होने का इंतजार करना होता है.
Fenugreek Farming: भारतीय किसानों ने खेती के तौर-तरीकों में काफी बदलाव किया है. अब टिकाऊ खेती (Sustainable Farming) के लिये पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops Cultivation) को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. ज्यादातर किसान अपने खेतों में अनाजी फसलों के साथ-साथ कई सीजनल सब्जियों की खेती (Seasonal Vegetable Farming) कर रहे हैं, जिससे कम समय में काफी अच्छा मुनाफा मिल जाता है. ऐसी ही सब्जियों में शामिल है मेथी (Fenugreek Cultivation), जिसके बीजों यानी दानों से लेकर पत्तियों और साग तक बाजार में हर चीज हाथों हाथ बिक जाती है. यह सेहत के लिए जितना फायदेमंद है, किसानों के लिए भी उतनी ही मुनाफे का सौदा भी साबित हो सकता है.
मेथी की उन्नत किस्में
किसी भी फसल से बेहतरीन पैदावार लेने के लिए जरूरी है कि उसकी उन्नत किस्म (Top Varieties of Fenugreek) के बीजों से बुवाई का काम किया जाए. भारत में मेथी का अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में पूसा कसूरी, आरटीएम- 305, राजेंद्र क्रांति एएफजी-2 और हिसार सोनाली का नाम शार्ष किस्मों में लिया जाता है. किसान चाहें तो अच्छी पैदावार के लिये हिसार सुवर्णा, हिसार माध्वी, हिसार मुक्ता, एएफसी-1, आरटीएम-143, पूसा अर्ली बंचिंग, लाम सिलेक्शन आदि किस्मों से खेती कर सकते हैं.
बुवाई से पहले बीजोपचार
किसी भी फसलों के बीजों की बुवाई से पहले बीजोपचार करने की सलाह दी जाती है, ताकि मिट्टी और जलवायु की कमियां फसलों पर हावी ना हो पायें. मेथी की फसल में भी कीट और रोग का प्रकोप कम करने के लिए बीजों का उपचार करने की सलाह दी जाती है. इसके लिए मेथी के बीजों को 8 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें और 4 ग्राम थीरम, 50% कार्बेंडाजिम से रासायनिक उपचार या फिर गौ मूत्र का इस्तेमाल करके जैविक बीज उपचार सकते हैं. बता दें कि बीजोपचार के 8 घंटे बाद ही मेथी के बीजों को खेतों में लगाना चाहिये.
बुवाई का सही समय
आमतौर पर मेथी की बुवाई का काम मानसून के बाद सिंतबर तक ही किया जाता है. मैदानी इलाकों में इसकी बुवाई के लिये सितंबर से लेकर मार्च का समय, जबकि पहाड़ी इलाकों में जुलाई से लेकर अगस्त तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है. बता दें कि अक्टूबर आते-आते भारतीय बाजारों और मंडियों में मेथी की सूखी पत्तियां, साग और मेथी दानों की मांग बढ़ जाती है. इसका इस्तेमाल पराठा, कढ़ी और कई भारतीय व्यंजनों के लिए साग-भाजी और मसाले के रूप में किया जाता है.
मेथी के लिए मिट्टी
वैसे तो मेथी की फसल लगाकर हर मिट्टी में अच्छा उत्पादन ले सकते हैं, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए जल निकासी वाली चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है. ध्यान रखें कि मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. यह जानने के लिये बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरूर करवायें. ध्यान रखें कि बारिश के मौसम में मेथी की बुवाई नहीं करना चाहिये, लेकिन संरक्षित ढांचे में मेथी की खेती के लिये मौसम और समय की कोई सीमा नहीं है. शहरों में ज्यादातर लोग कंटेनर में का साग लगाकर गार्डनिंग का शौक और रसोई की जरूरतों को पूरा करते हैं.
मेथी की बुवाई का तरीका
भारत के ज्यादातर इलाकों में समय बचाने के लिये मेथी की बुवाई छिड़काव विधि से की जाती है. वहीं अच्छी और स्वस्थ पैदावार के लिये मेथी के बीजों की कतारों में बिजाई करना ज्यादा फायदेमंद रहता है. दरसअल, लाइनों में मेथी के बीज लगाने पर निराई-गुड़ाई, खरपतवार प्रबंधन और कीट-रोगों की निगरानी बनी रहती है, जिससे नुकसान की संभावना कम रहती है. ध्यान रखें कि मेथी से स्वस्थ उत्पादन के लिये उन्नत किस्म के प्रमाणित बीजों का ही चयन करना चाहिये.
मेथी की फसल की देखभाल
मेथी की खेती दो उद्देश्यों से की जाती है, जिसमें सूखी पत्तियां, साग-भाजी और दानों का अलग-अलग तरीके से उत्पादन लिया जाता है. जहां पत्ती और साग के लिये हरी फसल की कटाई की जाती है तो वहीं मेथी दाना के लिये पत्तियों के पीला होने का इंतजार करना होता है. इसी बीच मेथी की अच्छी पैदावार के लिये मिट्टी की जांच के आधार पर ही खाद और उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए. किसान चाहें तो खेत की तैयारी के समय ही जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट, जीवामृत और जैव उर्वरकों का भी प्रयोग कर सकते हैं.
मेथी का उत्पादन
साग या पत्तियों के लिये मेथी की बुवाई करके 30 दिनों के अंदर फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जिसके बाद हर 15 दिनों में इससे हरे साग का मोटा उत्पादन ले सकते हैं. वहीं मेथी दाना का उत्पादन लेने के लिए पत्तियों के पीले होने का इंतजार करना पड़ता है. बता दें की मेथी की जैविक खेती (Organic Farming of Fenugreek) करने पर 70 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन (Fenugreek Production) ले सकते हैं. बाजार में मेथी की सूखी पत्तियों को भी ₹100 प्रति किलोग्राम तक बेचा जाता है. वहीं इसके साग की कीमत भी 50 से 60 रुपये किलोग्राम (Fenugreek Price) तक रहती है. किसान चाहें तो मेथी की खेती (Fenugreek Cultivation) के लिए सही तरीका अपनाकर 50000 रुपये प्रति हेक्टेयर और इसकी सह-फसल खेती (Co-cropping of Fenugreek) करके कम समय और कम खर्च में बेहतरीन आमदनी ले सकते हैं.
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