NANO Urea Liquid Fertilizer:  इफको के नैनो यूरिया ने उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को काफी कम कर लिया है. कभी सूखा उर्वरक डालने से मिट्टी प्रदूषण बढ़ रहा था, लेकिन अब नैनो तरल उर्वरकों से फसल को संतुलन उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करना आसान हो गया है. देशभर के किसानों को इफको के नैनो यूरिया पर विश्वास बढ़ गया है. अब धीरे-धीरे इफको के नैनो उर्वरक इंटरनेशनल लेवल पर अपनी पहचान बना रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो श्रीलंका, नेपाल, केन्या, सूरीनाम और मेक्सिको में पहले से ही नैनो यूरिया का एक्सपोर्ट हो रहा है, लेकिन अब निर्यात का दायरा बढ़ाकर 25 देशों तक ले जाने की योजना है, जिसके लिए इफको ने खास प्लानिंग कर रखी है. 


नैनो यूरिया का निर्यात बढ़ाने की प्लानिंग
उर्वरक कंपनी इफको अपने नैनो तरल यूरिया को 25 देशों तक पहुंचाना चाहती है, जिसके लिए इन देशों को सैंपल भिजवाए गए हैं. इस बीच कंपनी ने एक्सपोर्ट के हिसाब से दिसंबर 2024 तक 30 करोड़ बोतलें बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.


इस मामले में भारतीय सहकारी किसान उर्वरक कंपनी (IFFCO) के मैनेजिंग डायरेक्टर निदेशक यूएस अवस्थी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि 25 देशों के नैनो उर्वरक के सैंपल भेजे गए हैं, जिनसे अप्रूवल की उम्मीद की जा रही है, हालांकि ब्राजील ने ऑफिशियल अप्रूवल दे दी है, लेकिन बाकी देशों से भी मांग की उम्मीद है.


5 करोड़ यूनिट का हुआ कारोबार
मीडिया रिपोर्ट के हवाले से इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर निदेशक यूएस अवस्थी ने बताया कि कंपनी 500 मिलीलीटर की 6 करोड़ बोतलों का उत्पादन कर रही है, जबकि किसानों को 5 करोड़ यूनिट बेची जा चुकी हैं. उर्वरक की ये मात्रा 22 लाख टन ठोस यूरिया के समान है. उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया लिक्विड फर्टिलाइजर के छिड़काव से ठोस यूरिया के मुकाबले 50 प्रतिशत से भी खपत में ही काम हो जाता है. 


30 करोड़ बोतल पहुंचेगा उत्पादन
इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर अवस्थी ने बताया कि पिछले साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के कलोल में दुनिया के पहले नैनो यूरिया प्लांट की स्थापना की. झारखंड में भी जल्द 5वां नैनो यूरिया प्लांट स्थापित होने जा रहा है, जिसके बाद साल 2024 तक तरल यूरिया का उत्पादन 30 करोड़ बोतल पहुंच जाएगा. यह 135 लाख टन ठोस यानी पारंपरिक उर्वरक के बराबर ही है. इस काम में गुजरात और झारखंड संयंत्र के अलावा बरेली, प्रयागराज और बैंगलोर के नैनो यूरिया प्लांट भी अपना योगदान देंगे.


विदेशी मुद्रा की होगी बचत
भारत में फसल उत्पादन बढ़ाने वाले उर्वरकों को दूसरे देशों से बड़ी मात्रा आयात किया जाता है, जिसमें सरकार को काफी खर्च करना पड़ता है. साथ ही किसानों तो सस्ती दरों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी भी जाती है.  देश में तेजी से नैनो तरल उर्वरकों के उत्पादन और उपयोगिता को प्रमोट किया जा रहा है, जिससे आयात को कम करने और विदेशी मुद्रा को बचाने में मदद मिलेगी. 


क्यों खास है इफको का तरल यूरिया
इफको का दावा है कि नैनो यूरिया से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता. ये पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है. ये खेती की लागत को भी कम करता है. इफको की नैनो यूरिया तरल उर्वरक की 500 मिली की बोतल 45 किलोग्राम सूखे यूरिया के बराबर और 16 प्रतिशत सस्ती है. इससे बिना किसी नुकसान के फसल की उत्पादकता बढ़ती है और मिट्टी की सेहत भी कायम रहती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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