इस राज्य में नई आधुनिक लैब शुरू, खत्म होगा रासायनिक खादों का प्रयोग... बढ़ जाएगी किसानों की इनकम
पंजाब में शुरू हुई बायोफर्टिलाइजर लैब में अब जैविक खाद बन सकेंगे. इससे रासायनिक खादों का प्रयोग खत्म होगा. जमीन की उर्वरकता बढ़ने के साथ किसानों की इनकम भी इजाफा होगा.

Fertilizer Uses In Punjab: देश में खेती किसानी कर बहुत लोग अपना भरण पोषण कर रहे हैं. किसानों की अच्छी आमदनी भी हो रही है. वहीं राज्य के स्तर से भी खेती को समृद्ध बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. नई नई तकनीक खेती को उन्नत करने के लिए विकसित की जा रही है. अब ऐसी ही कवायद एक और राज्य सरकार के स्तर से की गई है. राज्य सरकार की कोशिश है कि खेतों में प्रयोग होने वाले रसायनिक खाद और उर्वकरों का प्रयोग घट जाए. इससे किसानों को आर्थिक रूप से फायदा हो.
पंजाब में पहली बायोफर्टिलाइजर लैब शुरू
किसानों के हित के लिए पंजाब राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. यहां पहली बायोफर्टिलाइजर लैब शुरू हो गई है. यह देश में प्रयोग होने वाली पहली इस तरह की फर्टिलाइजर लैब है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के स्तर से ही इस लैब का शुभारंभ किया गया है. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इस तकनीक का लाभ किसानों को मिल सकेगा.
2.5 करोड़ की लागत से तैयार हुई लैब
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान योजना के तहत 2.50 करोड़ रुपए की लागत से इस लैब को तैयार किया गया है. राज्य में इस तरह की पहली लैब खुलने से राज्य सरकार के अधिकारी भी खुश हैं. पंजाब के मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि लैबारेटरी में भारत सरकार की संस्था आईसीएआर-आइएआरआई के साथ एमओयू के द्वारा 10 तरह की जैविक खादें (जैसे कि एजोटोबैक्टर कैरियर आधारित, पीएसबी कैरियर आधारित, एजोटोबैक्टर लिक्विड फारमूलेशन, पीएसबी लिक्विड फारमूलेशन, पोटेशियम घुलनशील बैक्टीरिया, (केएसबी) लिक्विड फारमूलेशन, जिंक घुलनशील बैक्टीरिया (जेडएसबी) लिक्विड फारमूलेशन, एनपीके , एम फंगी, आइएआरआइ कम्पोस्ट इनोकुलेंट, ट्राइकोडर्मा विर्डी ) तैयार की जाएंगी. इसका लाभ सीधे तौर पर किसानों को मिलेगा.
किसानों को कम दामों पर मिलेगी खाद
लैब के स्तर से जो खाद तैयार की जाएंगी. वह सस्ते दामों पर किसानों को मिलेगी. अच्छी बात यह है कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले को यह खाद मुहैया करने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा खेती के लिए जरूरी तकनीक भी दी जाएंगी. विशेषज्ञों का कहना है कि आधुनिक लैबोरेटरी में जो खाद तैयार की जा रही हैं. उससे रासायनिक खादों का प्रयोग करीब 20 प्रतिशत तक घट जाएगा. इससे जहां खेती की उर्वरकता सुधरेगी. वहीं सीधे तौर पर किसानों की आय भी बढ़ेगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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