Fish Farming in Monsoon: भारत के तटीय इलाकों में मछली पालन (Fish Farming)  करने का काफी चलन है, लेकिन अब मैदानी इलाकों में भी खेती के साथ-साथ तालाब में या टैंकों में मछली पालन का व्यवसाय काफी फेमस हो रहा है, इससे किसानों को दोगुना आमदनी मिल जाती है और जमीन का सही इस्तेमाल भी हो जाता है. मछली पालन व्यवसाय (Fish Farming Business) को और भी ज्यादा मुनाफेदार बनाने के लिये जरूरी है कि बदलते मौसम (Weather Based Advisory) में जरूरी काम किये जाये, जिससे सेहतमंद मछलियों (Fish Production) की उपज मिल सके. खासकर बारिश के मौसम में जब बारिश में कीड़े और काई जमने लगती है, जिससे मछलियों की क्वालिटी (Fish Quality) पर असर पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में एडवायडरी (Fish Farming Advisory) को फॉलो करना ही फायदेमंद रहता है.


इन बातों का रखें खास ध्यान (Precautions & Remedies for Fish Farming)



  • ध्यान रखें कि मछली के तालाब (Fishpond) की साफ-सफाई के बाद ही उसमें स्पॉन डालें, इसके 15 दिनों बाद ही रासायनिक उर्वरकों (Chemical Ferytilizer) का इस्तेमाल करना चाहिये.

  • अपनी सहूलियत के हिसाब से तालाब में 6000-8000 प्रति एकड़ के हिसाब से फिंगरलिंग (Fingerling) या 2000-4000 प्रति एकड़ की दर ईयरलिंग भी डाल सकते हैं.

  • तालाब के पानी (Pond Water) को साफ-स्वच्छ बनाने के लिये हर 15 दिन में 10-15 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से चूने का इस्तेमाल करना भी फायदेमंद रहता है.

  • मानसून सीजन में बारिश के कारण आर्द्रता बढ़ जाती है, जिससे तालाब के पानी में ऑक्सीजन (Oxygen Level in pond) की मात्रा घटने लगती है. ऐसी स्थिति में एडऑक्सी नामक दवा की 400 ग्राम का छिड़काव प्रति एकड़ तालाब में करना चाहिये.

  • मौसम में तापमान बढ़ने पर मछली आहार (Fish Food) की संख्या को आधा कर दें और मछली चारे की साफ-सफाई और जांच परखकर ही तालाब में डालें.

  • तालाब का घनत्व बढ़ने पर कुछ मछलियों को तालाब से बाहर निकाल देना चाहिये. इसके बाद तालाब में सुबह-शाम के समय 2 घंटे के लिये एयरेटर के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है.

  • बारिश के दौरान अकसर तालाब और पानी में इंफैक्शन (Infection in Fish Pond)का खतरा मंडराने लगता है, इसकी रोकथाम के लिये हर महीने 400 ग्रा. पोटेशियम परमेंगनेट का घोल बनाकर प्रति एकड़ तालाब में डालना फायदेमंद रहता है.

  • तालाब में ऑक्सीजन कम होने पर फुलका रोग की संभावना रहती है, जिससे मछलियों की जान भी जा सकती है. इस समस्या के समाधान के लिये प्रति एकड़ तालाब में  500 ग्राम चूना में नमक मिलाकर तालाब में डालें.




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