(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Aquaponic Farming: खेती में मदद करेंगी मछलियां, 95% तक बचेगा पानी और महंगी बिकेंगी ऑर्गेनिक सब्जियां
Organic Farming in Aquaponics: पानी में मछलियां 70% तक अपशिष्ट छोड़ती है, जिससे टैंक में अमोनिया का लेवल बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में पानी को बहाने के बजाय हाइड्रोपॉनिक खेती में इस्तेमाल किया जाता है.
Organic Farming with Fisheries: पिछले समय में खेती-किसानी सिर्फ किसानों की मेहनत पर आधारित होती थी, जहां किसान अपने कंधों पर हल लादकर पूरे खेत की जुताई करते थे. फसल उत्पादन और कटाई के दौरान भी काफी मशक्कत होती थी, लेकिन आज के समय में कम लागत में बेहतरीन उत्पादन देने वाली तकनीकों (Agriculture Technology) पर काम किया जा रहा है. इस काम में पशुओं की भी मदद ली जा रही है. भारत में अब ज्यादातर खेती गाय पर आधारित (Cow Based Farming) होती जा रही है.
वहीं अब किसान कम लागत में मछलियों की मदद से भी ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming with Fisheries) कर सकेंगे. इस तकनीक को एक्वापॉनिक कहते हैं, जिसके तहत मछली पालन और जैविक खेती को आपस में जोड़ दिया गया है. विशेषज्ञों की मानें तो इस तकनीक के जरिये करीब 95 प्रतिशत तक पानी बचा सकते हैं. इस तकनीक को अपनाकर जैविक फसलों (organic Farming) के साथ-साथ मछलियों का भी उत्पादन ले पायेंगे और बेहतर मुनाफा कमा सकेंगे.
एक्वापॉनिक खेती
हाइड्रोपॉनिक खेती (Hydroponic Farming) की तरह ही एक्वापॉनिक फार्मिंग को भी बिना मिट्टी की खेती कहते हैं. इस तकनीक में सबसे पहले टैंक बनाकर मछली पालन (Fish farming in Tank) किया जाता है और टैंक के पानी को फेंकने के बजाय सब्जियों की खेती के लिये इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह हाइड्रोपॉनिक ढांचे में सब्जियों की फसल को अलग से यूरिया या रसायनिक उर्वरकों की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि बायोफ्लॉक के पानी से ही ऑर्गेनिक सब्जियों का बंपर उत्पादन मिल जाता है. बता दें कि इसमें मछली पालन की आधुनिक तकनीक-बायोफ्लॉक और खेती की आधुनिक तकनीक-हाइड्रोपॉनिक को साथ में जोड़ा गया है.
इस तरह समझें
दरसअल बायोफ्लॉक के टैंक में मछलियां 70 फीसदी तक अपशिष्ट छोड़ती है. टैंक में मल की मात्रा बढ़ने पर पानी में अमोनिया का लेवल भी बढ़ जाता है, जो मछलियों के लिये ठीक नहीं रहता, लेकिन फसलों के लिये फायदेमंद होता है.
- ऐसी स्थिति में पानी को बहाने के बजाय धान, सब्जी या हाइड्रोपॉनिक फसलों की खेती के लिये इस्तेमाल कर लिया जाता है.
- बता दें कि इस पानी में मौजूद अमोनिया और दूसरे पोषक तत्वों की मदद से पौधों का विकास और क्वालिटी बेहतर बनती है.
- दरअसल मछली टैंक के पानी में अमोनिया मौजूद होता है, जो फसल की जड़ों में मौजूद बैक्टीरिया को नाइट्रोजन में बदल देता है.
- इतना ही नहीं, मछली टैंक के पानी को खेती में इस्तेमाल करने के बाद दोबारा रिसाइकल करके प्रयोग में लिया जाता है, जिससे पानी की काफी बचत होती है.
- कई देशों में बायोफ्लॉक मछली टैंक के ऊपर ही सब्जियां उगाई जाती है, जिससे समय, श्रम, पैसा और संसाधनों की काफी बचत होती है.
इन बातों का रखें खास ख्याल
आधुनिक खेती की तकनीकों से किसानों को कम खर्च में बेहतर उत्पादन और अच्छा मुनाफा मिल जाता है, लेकिन इन तकनीकों के सही क्रियान्वयन के लिये कुछ सावधानियां बरतनी होती है.
- यह खेती मिट्टी की जगह पानी पर आधारित होती है, जिसमें मछलियों का अहम योगदान होता है, इसलिये एक्वापॉनिक खेती ट्रेनिंग (Aquaponic Farming Training)और तकनीकों की सही जानकारी होनी चाहिये.
- किसान चाहें तो शुरूआत में एक्वापॉनिक खेती की यूनिट (Aquaponic Farming Unit) लगाकर कृषि विशेषज्ञों को हायर करके मछली पालन, बायोफ्लॉक (Bioflock Fish Farming), हाइड्रोपॉनिक्स (Hydroponics Farming), पानी का समन्वय जैसे कामों की ट्रेनिंग ले सकें.
- बता दें कि एक्वापॉनिक खेती सरंक्षित खेती (Protected Farming) की तरह ही होती है, जिसमें वातावरण के तापमान को 17-34 डिग्री के बीच में कंट्रोल करके रखना होता है.
- वैसे तो खेती की साधारण तकनीकों के मुकाबले एक्वापॉनिक खेती (Aquaponic Farming) थोड़ी खर्चीली है, लेकिन फसल की सही मार्केटिंग करके इससे सालों-साल डबल मुनाफा कमा सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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