Food Security In Kerala:  देश में प्रत्येक नागरिक की खाद्य सुरक्षा तय करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है. केंद्र सरकार के सहयोग से स्कूलों में खाद्य सुरक्षा राज्य सरकारें सुनिश्चित कराती हैं. हाल में पश्चिम बंगाल सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड डे मील में चिकन और अंडे देने की घोषणा की थी. अगले 4 महीने तक बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जाएगा. अब इस सरकार ने स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा राज्य के प्रत्येक नागरिक की खाद्य सुरक्षा तय करने की बात भी राज्य सरकार ने कही है.   


केरल में स्कूली बच्चों को अंडा और दूध
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए जरूरी है कि बच्चों समेत सभी के लिए पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाए. पौष्टिक भोजन खाने से बच्चे स्वस्थ्य होंगे. उनका दिमाग सही से विकसित होगा. उनमें एनीमिया यानि खून की कमी जैसी समस्याएं नहीं देखने को मिलेंगी. उन्होंने ेकहा कि अधिक खाने का मतलब यह नहीं है कि वह पोषक तत्व मिल रहे हैं. वहीं, कुछ लोग इसलिए कम खाते हैं, क्योंकि वह गरीब होता है. उसके पास भोजन खरीदने के लिए पैसे नहीं है. केरल में स्कूली बच्चों को अंडा और दूध दिया जा रहा है. 


खाद्य सुरक्षा के लिए दिए 10 हजार करोड़ रुपये
राज्य के आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को पोष्टिक खाना उपलब्ध कराया जाता है. राज्य में पोषण युक्त बचपन योजना संचालित है. इस योजना के तहत 3 से 6 साल तक के बच्चे के लिए सप्ताह में दो बार अंडा और दूध दिया जाता है. मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि बच्चों की इस योजना के लिए राज्य सरकार ने 61.5 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. वहीं, एकीकृत बाल विकास योजना के अंतर्गत स्टेट गवर्नमेंट 258 योजनाएं चला रही हैं. इस बजट से बच्चे और महिलाओं की खाद्य सुरक्षा तय की गई है. सरकार की जिम्मेदार हर नागरिक के लिए अनाज उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना है. पिछले साढ़े छह साल में आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि न हो, इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि आवंटित की है. 


एनीमिया केवल गरीबों को ही नहीं होता
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों में भ्रांतियां हैं कि जो लोग गरीब होते हैं. उन्हीं में खून की कमी यानि एनीमिया की शिकायत है. लेकिन ऐसा नहीं होता. जो लोग आयरन युक्त भोजन नहीं लेते हैं. उस हर व्यक्ति में खून की कमी हो सकती है. एनीमिया के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए राज्य सरकार जागरुकता अभियान चला रही है. बता दें कि हाल में पश्चिम बंगाल सरकार ने जनवरी से अप्रैल तक मिड डे मील में चिकन और मौसमी फल शामिल करने की घोषणा की है. यह घोषणा पंचायत चुनाव से एन पहले की गई है. इसके लिए 371 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किए हैं. इस धनराशि का राज्य सरकार ही वहन करेगी. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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