Frost Effect: फूलों वाली फसलों पर भी पाले का खतरा, सर्दी में बचाव के लिए ये काम करें किसान
कड़ाके की ठंड ने आलू, सरसों समेत अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. किसानों को बचाव करने की जरूरत है. इस पाले से फसलों की उत्पादकता घट सकती है.
Frost Effect On Crop: देश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. पाले और बढ़ी ठंड का असर फसलों पर देखने को मिल रहा है. पाले से आलू समेत अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं. हालांकि किसान फसलों को बचाने के लिए तमाम तरह के जतन कर रहे हैं. घने कोहरे में रातभर जागकर खेती की पहरेदारी कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि भयंकर पाले से केवल आलू की फसलों को ही खतरा नहीं है. मौजूदा समय में हो रही फूलों वाली फसलों को भी नुकसान हो सकता है. किसानों को सावधानी बरतने की जरूरत है.
फूलों वाली फसलों को हो रहा नुकसान
कोहरा और पाला अधिक पड़ने से फसलें अधिक ठंड की चपेट में आ गई हैं. झुलसा रोग फसलों को अधिक चपेट में ले रहा है. झुलसा रोग लगने से फसलें सूख जाती हैं. इससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. सरसों व राई की फसल फूलों वाली फसल होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस सीजन में इन फसलों पर माहू कीट और सफेद गेरूई का असर दिख रहा है. इसका असर फूल पर भी पड़ता है और फूल सूख जाता है. इससे सरसों और राई का उत्पादन घट जाता है.
इस रोग की चपेट में आ रही चने की पफसल
चने की फसल कटुवा कीट, पत्ती धब्बा, बुकनी रोग की चपेट में आ रही हैं. इस रोग के लगने पर फसल सूखने लगती हैं. फूल आने के समय फसल सूखने से किसानों का उत्पादन शत प्रतिशत घट जाता है. इस समय यही स्थिति बनी हुई है.
आलू की फसलों को भी हो रहा नुकसान
ठंड का असर फसलों पर साफ तौर पर देखा जा रहा है. आलू की फसल लगभग पककर तैयार हो गई है. किसान पाले से फसलों के बचाव में जुटे हुए हैं. पिछले 15 दिनों से देश भर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यही हालात बने रहे तो आलू की फसल को बहुत अधिक नुकसान हो सकता है.
इस तरह करें सभी फसलों का बचाव
आलू की फसल में झुलसा रोग से बचाने के लिए मैनकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी दो किलोग्राम या जिनेब 75 प्रतिशत डब्लयूएपी दो किलोग्राम का 500 से 600 लीटर पानी र्में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव कर दें. चने की फसल में किसान कटुवा कीट रोकने को 20 प्रतिशत ईसी की 2.5 लीटर में घोल बनाकर छिड़काव करें. बुकनी रोग दिखने पर घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी दो किलोग्राम 500 से 600 लीटर में घोल बनाकर छिड़काव करें. अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा सपफेद गेरुई व तुलासिता रोग के नियंत्रण के लिए मैनकोजेब 75 प्रतिशत डब्लयूएपी दो किलोग्राम, जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूएपी दो किलोग्राम 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. गेहूं की पफसल में गुजिया वीविल के नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीपफास 20 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के साथ पानी का प्रयोग करें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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