Frost Effect On Crop: देश में हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है. कई राज्यों में पाला अभी भी माइनस में है. हाथ-पैरों में गलन बढ़ रही है. अधिक सर्दी के चलते लोग रजाई में दुबक रहे हैं. वहीं, बड़ी ठंड का असर फसलों पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. फसलों को झुलसा रोग सता रहा है. अभी तक केवल राजस्थान में ही पफसलों पर बपर्फ जमे होने की खबरें सामने आ रही थीं. लेकिन अब अन्य राज्यों में भी बुरा हाल होने लगा है. किसानों के खेत में खड़ी फसल को नुकसान होने लगा है. 


हरियाणा में ठंड से फसल हो रही बर्बाद
हरियाणा में ठंड से फसल बर्बाद हो रही है. रेवाड़ी में पिछले चार दिनों से न्यूनतम तापमान में गिरावट देखी जा रही है. चार दिन से जिले के न्यूनतम तापमान में गिरावट रहने से सब्जियों में 30 से 35 और सरसों को 10 से 15 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है. खेत में जो बेलवाली पत्तियां लगी हुई हैं. उनमें भी सिकुड़न आ रही है. बेवाल पत्तियों को 50 से 75 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है. किसानों का कहना है कि बैंगन, खीरा, लौकी, गोभी, टिंडा, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, धनिया, मेथी व मटर आदि 30 से 35 प्रतिशत तक फसल खराब हो गई है. कड़ाके की ठंड से खेतों में फसलों पर बर्फ की चादर बिछ गई है. 


मध्य प्रदेश में भी बर्फ की चादर से ढकीं फसलें
मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर कड़ाके की ठंड पड़ रही है. एमपी के छतरपुर के बक्सवाहा में तापमान में गिरावट के कारण पाले की चपेट में फसलें आ गई हैं. इससे फसलों को काफी नुकसान हुआ है. पाले का बुरा असर खेतों में खड़ी चना, अरहर, मसूर, सहित सब्जियों की फसलों पर सबसे ज्यादा पड़ा है. तापमान में गिरावट से चना, मसूर, बटरा, आलू, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च की फसलें पाला की चपेट में आ गईं है. स्थानीय किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आकर पहले ही फसलें बर्बाद हो रही थीं. अब पाला फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. 


राजस्थान में तापमान माइनस में हुआ
राजस्थान में भी फसलों की हालत खराब हो रही है. यहां तापमान माइनस में पहुंच गया है. जोधपुर में धनिया, सरसों व अन्य फसलों को नुकसान हो रहा है. किसानों का कहना है कि 50 प्रतिशत तक फसल उत्पादन में गिरावट दर्ज होने की संभावना है. जिन फसलों पर बर्फ की चादर जमी हुई है. उन्हें नुकसान अधिक हो रहा है. 


किसान ऐसे करें फसलों का बचाव
ठंडे और पाले से बचाव के लिए किसानों को कदम उठाने की जरूरत है. पफसलों को नियमित अंतराल पर सिंचाई करने से पाला असर नहीं करेगा. आसपास का तापमान भी 3 से 4 डिग्री सेल्यिस तक गिर जाएगा. खेत के आसपास धुआं करने से भी तापमान नियंत्रित होता है. वहीं, नर्सरी या खेत में लगी फसलों को प्लास्टिक से ढककर भी तापमान में गिरावट आ जाती है. इससे फसलें पाले के कारण दम नहीं तोड़ती हैं. कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर खेत में गंधक का छिड़काव भी किया जा सकता है. 


 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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