Mosquitoes Problem in Rain: बेमौसम बारिश सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, शहर वालों के लिए लाख समस्याएं खड़ी कर देती है. सड़कों पर पानी भर जाता है. घर की छत और नालियां भी चोक हो जाती है और इनमें मच्छर पनपने लगते हैं. फिर यही मच्छर लोगों के घरों में घुंसकर डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं. सबसे बड़ी समस्या ये है कि लाख सावधानियां बरतने के बावजूद हर साल देश में डेंगू-मलेरिया के काफी ज्यादा केस आते हैं. तमाम अवेयरनेस कैंपेन चलाए जाते हैं, लेकिन मच्छरों का आतंक कम होता दिखाई नहीं पड़ता. इस साल बजाए किसी अगरबत्ती या स्प्रे के अब इको फ्रेंडली तरीकों से मच्छर का सफाया कर सकते हैं. हम बात कर रहे हैं गंबूसिया मछली की, जो बरसाती सीजन में मच्छरों को पनपने ही नहीं देती.


कहां पालें गंबूसिया मछली


गंबूसिया मछली की सबसे अच्छी बात यही है कि ये हर तरह के वातावरण में खूब पनपती है. चाहे साफ-सुथरा एक्वेरियम या स्विमिंग पूल हो या फिर गंदी नाली, तालाब या फिर पानी इकट्ठा होने वाली बड़ी जगह ही क्यों ना हो. ये मछली पानी में ही डेंगू के लार्वा को खाकर खत्म देती है. आप भी चाहें तो अपने घर के एक्वेरियम, गार्डन के टैक, स्विमिंग पूल या जल भराव वाली जगह पर, जहां डेंगी का लार्वा पनपता है. वहां गंबूसिया मछली छोड़ सकते हैं.


कहां मिलती है ये मछली


गंबूसिया मछली की खूबियों को अब कई राज्य सरकारें भी समझ रही हैं और लोगों को बिना किसी खर्च में ये मछलियां उपलब्ध करवाई जा रही है. गंबूसिया मछली की भी दो प्रजातियां  होती हैं. इनमें से एक वेस्ट मस्कीटो फिश  प्रजाति तो दुकानों पर मौजूद होती है, लेकिन ईस्ट मस्कीटो फिश दुकानों पर नही मिलती. इस मछली का आकार का छोटा होता है. 


आजकल मच्छरों का आंतक रोकने के लिए लोग जानबूझकर गंबूसिया को तालाब, पोखर, फब्बारे, जानवरों के कुंड, टैंक और नालियों में छोड़ने लगे हैं. इस मछली से कोई नुकसान नहीं है और ना ही ये मछली किसी स्पेशल डाइट पर रहती है. बस पानी के अंदर मौजूद तत्वों से अपना पेट भर लेती है. बाकी का पोषण इसे मच्छरों के लार्वा से मिल ही जाता है. 


यदि बगीचे या एक्वेरियम में गंबूसिया मछली पाल रहे हैं तो हर तरह के होम क्लीनर से बचाकर रखें, क्योंकि क्लीनिंग स्प्रे, क्लोरीन या अलग-अलग तरह के क्लीनर्स से यह मछली मर जाती है. ये मछलियां अंडे दिए बिना ही हर तरह के वातावरण में अपनी संख्या बढ़ाती हैं.


यह भी पढ़ें:- पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा ये मौसम...तेजी से बढ़ रही ये बीमारी, पशुपालकों को बरतनी होगी ये सावधानियां!