GI Tag Agriculture: आज भारत के सैंकडों कृषि उत्पादन पूरी दुनिया में मशहूर हैं. इनमें से कुछ स्थान विशेष से ताल्लुक रखते हैं. कृषि उत्पादों की बात करें तो कई फल, सब्जी और अनाज किसी विशेष जगह की मिट्टी और जलवायु में पैदा होते हैं. यही उन्हें खास महक, रंग और स्वाद मिलता है. इन उत्पादों के संरक्षण और उत्पादन बढ़ाने के लिए भौगोलिक सांकेतिक यानी जीआई टैग दिया जाता है. पिछले दिनों यूपी के बनारसी पान और लंगड़ा आम को जीआई टैग दिया जा चुका है. अब इस लिस्ट में मध्य प्रदेश का शरबती गेहूं और सुंदरजा आम का नाम भी शामिल किया गया है.


क्यों खास है शरबती गेहूं


मध्य प्रदेश के शरबती गेहूं को एप्लीकेशन नंबर-699 के तहत जीआई टैग जारी किया गया है. भारत में शरबती गेहूं की क्वालिटी को सर्वोत्तम बताया जाता है. यही से शरबती गेहूं और इससे बने प्रोडक्ट्स दुनियाभर में निर्यात होते हैं.


शरबती गेहूं की खेती एमपी के विदिशा और सिहोर जिलों मे की जाती है. ये मध्य प्रदेश की लोकल वैरायटी है, जिसके दानों की चमक बिल्कुल सोने की तरह है. शरबती गेहूं से बनी चपाती का स्वाद भी सबसे अलग होता है. गेहूं की ये प्रीमियम वैरायटी फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी और ई का अच्छा सोर्स है.


डायबिटीज मरीज भी खा सकते हैं सुंदरजा आम


मध्य प्रदेश के रीवा जिले के शान सुंदरजा आम को अपनी विशेष खुशबू, स्वाद और गुणों के लिए एप्लीकेशन नंबर-707 के तहत रजिस्टर करके जीआई टैग जारी किया गया है. बता दें कि सुंदरजा आम में नेचुरल शुगर की मात्रा बेहद कम है. देश-विदेश में मशहूर ये आम विटामिन-ई का अच्छा सोर्स है. एक्सपर्ट्स की मानें तो डायबिटीजल मरीजों के लिए सुंदरजा आम हेल्दी रहता है.


इन उत्पादों को मिला जीआई टैग


इस साल जीआई टैग के तहत  एग्रीकल्चर श्रेणी में रजिस्टर होने वाले उत्पादों में मध्य प्रदेश के शरबती गेहूं और सुंदरजा आम का नाम है ही, राज्य के 9 उत्पादों का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है. इसमें हस्तशिल्प श्रेणी के लिए गोंड पेंटिंग, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, डिंडोरी के लौहशिल्प, जबलपुर के पत्थरशिल्प, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी और उज्जैन के बटिक प्रिंट का भी नाम है.


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