Giloy Farming: कोरोना में संजीवनी के नाम पर खूब बिकी ये जड़ी-बूटी, अब लाखों कमाने का सुनहरा मौका न गवायें किसान
Giloy Ki Kheti: गिलोय की खेती के लिए प्रति एकड़ खेत में 1000 कलम लगाई जाती है, जिसके बाद 100 से 125 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है. बाजार में नीम पर चढ़ी हुई गिलोय की काफी डिमांड है.
Giloy Cultivation: अक्सर हम खांसी जुखाम बुखार होने पर बीमारी को नजरअंदाज कर देते थे, लेकिन कोरोना वायरस की महामारी आते ही लोगों ने दवाइयों को छोड़कर जड़ी बूटियों (Herbs Intake) का सेवन करना शुरू कर दिया. इसी दौरान संजीवनी और अमृत के नाम पर लोगों ने गिलोय का खूब बिजनेस किया और मोटा पैसा कमाया.
गिलोय की खासियत ही कुछ ऐसी है यह सेहत के साथ-साथ किसानों और व्यापारियों के लिए भी आमदनी का मोटा जरिया बनता जा रहा है. किसान चाहें तो पारंपरिक फसलों के साथ-साथ गिलोय की खेती (Giloy Cultivation) और प्रसंस्करण (Giloy Processing) करके भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं.
क्या है गिलोय
गिलोय का आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी बूटी है, जिसे आयुर्वेद (Giloy in Ayurveda) में अमृता, गुडुची, चनांगी जैसे नामों से जाना जाता है. वैसे तो गिलोय का उत्पादन कई प्रकार के पेड़ों से ले सकते हैं, लेकिन नियम पर चढ़ी हुई गिलोय बाजार में सबसे अच्छे दामों पर बिकती है, जिसे नीम गिलोय कहते हैं. यह समूह में रहने वाला एक बेलदार पौधा होता है, जिसके तने का व्यास 2.5 सेंटीमीटर तक होता है. आज गिलोय की खूबी और इसकी बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National Medicinal Plants Board -NMPB) की तरफ से भी इसकी खेती के लिए 30% तक सब्सिडी (Subsidy on Giloy Farming) दी जाती है.
मिट्टी और जलवायु
गिलोय की खेती के लिए जल निकासी का प्रबंध होना बेहद जरूरी है. बता दें कि गिलोय के पौधे हल्की रेतीली और दोमट मिट्टी में तेजी से विकसित होते हैं. वैसे तो यह पौधा हर तरह की मिट्टी में लगा सकते हैं, लेकिन बारिश और जलभराव में इसका सही विकास नहीं हो पाता, इसीलिए गर्म जलवायु में गिलोय की खेती करना फायदेमंद रहता है.
खेत की तैयारी
जाहिर है कि गिलोय एक औषधीय फसल है, जिसकी खेती के लिए जमीन का खरपतवार मुक्त होना बेहद जरूरी है, इसीलिए खेत में 3 से 4 गहरी जुताई में लगाकर पाटा चला देना चाहिए. इसके बाद प्रति हेक्टेयर जमीन के हिसाब से 4 टन गोबर की खाद 30 किलो नाइट्रोजन या फिर वर्मी कंपोस्ट और जीवामृत मिलाकर भी इसकी कलम से तैयार पौधों की रोपाई कर सकते हैं.
गिलोय की बुवाई
गिलोय औषधि का पौधा बेलदार होता है, जिससे कलम काटकर नये पौधे बनाये जाते हैं, हालांकि बाजार में इसके बीज की उपलब्ध होते हैं, लेकिन बीज से पौधा तैयार करने की प्रक्रिया में काफी लंबी होती है.
- गिलोय की कलम से पौधा तैयार करने के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा रहता है.
- इस बीच 6 से 7 इंच लंबी कलम काटकर नर्सरी में रोपाई की जाती है.
- कमल से जड़ और पत्तियां निकलने तक हल्की सिंचाई और देखभाल करना अनिवार्य होता है.
- इस तरह गिलोय का पौधा 30 से 45 दिन के अंदर तैयार हो जाता है, जिसके बाद लाइनों में पौधों की रोपाई कर दी जाती है.
- गिलोय की खेती के लिए प्रति एकड़ में कम से कम 1000 कलम यानी पौध लगा सकते हैं, इनकी रोपाई के लिए 3*3 मीटर की दूरी रखनी चाहिए.
गिलोय की कटाई
वैसे तो गिलोय सदाबहार औषधीय पौधा है, लेकिन सर्दियों के समय इसी पत्तियां झड़ने शुरू हो जाती हैं, जिसके बाद इसके बाकी बचे तने की कटिंग करके बाजार में बेच दिया जाता है.
- जब गिलोय का तना या बेल का व्यास 2.5 सेंटीमीटर तक हो जाए तो इसकी कुछ फीट ऊपर से कटाई-छंटाई की जाती है, ताकि नई शाखाएं निकलती रहें.
- गिलोय की बेलों की कटिंग के बाद कलमों और पत्तियों को धूप में सुखाकर बोरियों में भर दिया जाता है, जिससे भंडारण और बिक्री में सुविधा रहे.
- विशेषज्ञों की माने तो गिलोय की बेल से क्वालिटी उत्पादन के लिये 4 से 5 साल बाद ही काटिंग करनी चाहिये, क्योंकि पुरानी बेलों में ही सेहत का खजाना छिपा होता है.
गिलोय का प्रसंस्करण
गिलोय ऐसा औषधीय पौधा है, जिसके तनों/बेलों से लेकर पत्तियों तक हर चीज बाजार में अच्छे दामों पर बिक जाती है. इसके लिये पत्तियों और बेलों को धोकर सुखाया जाता है, जिससे कि प्रोसेसिंग करके पाउडर, जूस, टैबलेट और बाकी उत्पाद बना सकें. लोग अपनी सेहत के प्रति सजग हो गये हैं और अपनी इम्यूनिटी को बेहतर बनाने के लिए अब गिलोय पाउडर, गिलोय जूस, गिलोय वटी और गिलोय से बने उत्पादों (Giloy Products) का नियमित सेवन करने लगे हैं, इसीलिए गिलोय की खेती के साथ-साथ इसका प्रसंस्करण (Giloy Processing) करके दोगुना से भी अधिक आमदनी ले सकते हैं.
गिलोय का उत्पादन
गिलोय की खेती के लिए प्रति एकड़ खेत में 1000 कलम लगाई जाती है, जिसके बाद 100 से 125 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है. बाजार में बिक्री के लिये गिलोय की बेल-पत्तियों को सुखाया जाता है, जिसके बाद इनका वजन 8 से 10 क्विंटल ही रह जाता है. बता दें गिलोय की बेल (Neem Giloy) कई पेड़ों पर चढ़ाई जाती है, जिसमें नीम के पेड़ को गिलोय की बेल चढ़ाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.
गिलोय की मार्केटिंग
जाहिर है कि कोरोना महामारी (Covid-19) के बाद से ही बाजार में गिलोय के उत्पादों की मांग (Giloy Demand) काफी हद तक बढ़ गई है. आज मंडियों में भी गिलोय को हजारों रुपये के दाम (Giloy Price) पर बेचा जा रहा है. किसान चाहें तो ऑनलाइन मार्केट में जीएसटी नंबर लेकर गिलोय का बिजनेस (Giloy Business) कर सकते हैं. आजकल दवा और आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी गिलोय की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming of Giloy) के जरिये किसानों को अपने साथ जोड़ रही हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-
Red Cabbage Farming: पांच सितारा होटलों की शान है यह सब्जी, इस तरह करेंगे खेती को हाथोंहाथ बिकेगी