Glyphosate Ban In India: केंद्र सरकार ने मनुष्य और जानवरों के स्वास्थ्य खतरे को देखते हुए हर्बिसाइड (खरपतवार नाशक) ग्लाईफोसेट(Glyphosate) और उसके डेरिवेटिव यानि अवयव के उपयोग पर बैन लगा दिया है. कोई किसान इसका प्रयोग नहीं कर सकेगा. साथ ही केंद्र सरकार ने उन कंपनियों को 3 महीने में पंजीकरण सर्टिफिकेट लौटाने के निर्देश दिए हैं, जिन्होंने पंजीकरण करा रखा था. उद्योग संघ एजीएफआई ने सरकार के इस निर्णय का वैश्विक अध्ययन और नियामक निकायों के समर्थन का हवाला देते हुए विरोध किया है.


ये है केंद्र सरकार की अधिसूचना
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसके लिए एक अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना के अनुसार, ग्लाइफोसेट का उपयोग प्रतिबंधित है और कोई भी व्यक्ति, कीट नियंत्रण परिचालकों को छोड़कर ग्लाइफोसेट का उपयोग नहीं करेगा. कंपनियों को ग्लाइफोसेट और उसके डेरिवेटिव के लिए दिए पंजीकरण प्रमाणपत्र को पंजीकरण समिति को वापस करने होंगे. लेबल और पत्रक पर बड़े अक्षरों में चेतावनी शामिल की जाएगी. अधिसूचना में कहा गया है कि पीसीओ के माध्यम से ग्लाइफोसेट फॉर्मूलेशन के लिए अनुमति दी जाएगी.


3 महीने में वापस करने होंगे प्रमाणपत्र
अधिसूचना में कहा गया है कि कंपनियों को प्रमाणपत्र वापस करने के लिए तीन महीने का समय है. यदि तीन महीने में प्रमाणपत्र में वापस नहीं होते हैं तो कीटनाशक अधिनियम, 1968 के प्रावधानों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारों को इस आदेश के क्रियान्वयन के लिए कदम उठाने चाहिए. ग्लाइफोसेट को प्रतिबंधित करने वाली अंतिम अधिसूचना दो जुलाई, 2020 को मंत्रालय द्वारा एक मसौदा जारी किए जाने के दो साल बाद आई है.


160 देशों में हो रहा प्रयोग
ग्लाइफोसेट और इसके फॉर्मूलेशन वैश्विक रूप से रजिस्टर्ड हैं. फिलहाल इसके प्रयोग की स्थिति देखें तो यूरोपीय संघ और अमेरिका सहित 160 से अधिक देशों में इसका यूज किया जा रहा है. दुनियाभर के किसान सुरक्षित और खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रभावी मानते हैं. वहीं भारत सरकार ने इसे मनुष्य और जानवर दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरे के रूप में देखा है.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.