GM Crop: जेनेटिक मॉडिफाइड यानि जीएम फसलों को लेकर देश में अंर्तविरोध रहा है. एक धड़ा देश की आर्थिक संपन्नता को जरूरी बता इसके प्रॉडक्शन का समर्थन करता रहा है तो दूसरा धड़ा इसे नेचर के खिलाफ बताते हुए विरोध करता है. वहीं, केंद्र सरकार के अलग अलग संस्थानों ने जीएम बीज तैयार करने पर रिसर्च शुरू कर दी है. यदि सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में देश में जीएम फसलें लहलहाती हुई दिखाई देंगी. इससे देश में फसलों का उत्पादन बढ़ेगा. किसानों की इनकम भी बढ़ेगी.  


13 फसलों के जीएम बीजों पर रिसर्च जारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा है कि देश के अलग अलग कृषि संस्थान 13 फसलों से जुड़े जेनेटिक मोडिफाइड (जीएम) यानी आनुवंशिक रूप से संशोधित बीजों पर रिसर्च करने में जुटे हुए हैं. रिसर्च के नतीजे भी बेहतर बताए जा रहे हैं. जिन फसलों पर रिसर्च किया जा रहा है. उनमें चावल, गेहूं और गन्ना जैसी फसलें भी शामिल हैं. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जीएम बीजों की पैदावार से फसल की क्वालिटी सुधरेगी और उत्पादन भी बेहतर हो सकेगा. 


अक्टूबर में दी थी सरसों के बीज प्रयोग की अनुमति
देश में जीएम सरसों के उत्पादन को लेकर काफी समय से चर्चा चल रही है. अक्टूबर में पर्यावरण मंत्रालय ने सरसों के जीएम बीज को प्रयोग करने की अनुमति दे दी थी. जीएम सरसों की फसल का परीक्षण देश में शुरू हो गया है. परीक्षण के रूप में कई जगहों पर फसल बोई गई है. इसके नतीजे भी अच्छे रहे हैं. आम लोगों के लिए इसका उत्पादन दो साल में आने की उम्मीद है. फिलहाल जीएम कपास की खेती देश में की जा रही है. 


इन फसलों पर किया जा रहा रिसर्च
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और अन्य संस्थान आलू, अरहर दाल, चना और केला की फसल के लिए जीएम बीज डेवलप करने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि जीएम फसलों की उपज के बाद भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी. अधिक उत्पादन होने के कारण अनाज के लिए अन्य देशों पर उत्पादकता कम होगी. देश के किसान भी फसल बुवाई को लेकर इच्छा जता रहे हैं. 


धारा मस्टर्ड हाईब्रिड किस्म विकसित
सरसों के जीएम बीजों की बुवाई की अनुमति मिल गई हैं. धारा मस्टर्ड हाईब्रिड (डीएमएच-11) बीज की एक हाईब्रिड प्रजाति है. इस प्रजाति को दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन आफ क्राप प्लांट्स ने डेवलप किया है. इस बीज के उत्पादन के बाद सरसों के तेल को लेकर भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर कम होगी. 


 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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