मवेशी पालन में जिसे सबसे ज्यादा पाला जाता है वो बकरी पालन होता है. आज के दौर में लोग महंगी महंगी जॉब छोड़कर बकरी पालन की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन अनुभव और ज्ञान की कमी होने के कारण वे इसमें कई बार असफल हो जाते हैं. बकरी पालन के लिए सबसे जरूरी है सही नस्ल की पहचान होना और इसके बारे में पूरी जानकारी होना. अगर आपको सही नस्ल की जानकारी है और आप किसी अनुभवी के साथ इस व्यापार को करते हैं तो आपकी मोटी कमाई पक्की है.देश-विदेश में दूध, डेयरी, मांस की खपत बढ़ती जा रही है. ये किसानों के लिए अच्छा संकेत है.
गांव में भी तेजी से पशुपालन, डेयरी फार्म और पोल्ट्री फार्म खुलते जा रहे हैं. बकरियों के दूध और मांस की भी बाजार में अच्छी-खासी डिमांड है. यही वजह है कि अब कई लोग बकरी फार्मिंग का बिजनेस कर रहे हैं. मात्र 4 बकरियों को पालकर कुछ ही समय फार्म का विस्तार हो जाता है. बकरियों की नस्ल पर भी निर्भर करता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो बकरी पालन से अच्छी मुनाफा कमाने के लिए बकरियों की उन्नत नस्लों पर फोकस करना चाहिए
सोजत बकरी
राजस्थानी नस्ल की सोजत बकरी का मूल स्थान सोजत जिले से हैं, लेकिन अब ये पाली, जोधपुर, नागौर और जैसलमेर जिलों में भी पहचान बना चुकी है. बता दें कि ये बकरी की सबसे सुंदर नस्ल है, जिसके बाजार में काफी अच्छे दाम मिल जाता है. सोजत बकरी दूध उत्पादन कम होता है. ये मुख्यतौर पर मांस के लिए पाली जाती है.
गूजरी बकरी
राजस्थानी मूल की गूजरी बकरी को जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों और नागौर तथा सीकर जिले के कुछ इलाकों में भी पाला जाता है. इस नस्ल की बकरी दूध के साथ अच्छी क्वालिटी के मांस का भी सोर्स है.दूसरी नस्लों की तुलना में इस नस्ल की बकरी का आकार बड़ा होता है. इस नस्ल की बकरियां अधिक मात्रा में दूध उत्पादन देती हैं. वहीं बकरों को मांस के लिए पालते हैं.
करौली बकरी
करौली बकरी एक स्वदेशी नस्ल है, जो अब करौली जिले के सपोटरा, मान्डरेल तथा हिंडौन से लेकर सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी और बारां जिलों तक फैली चुकी है. मीणा समुदाय की बकरी के नाम से मशहूर करौली बकरी को नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत रजिस्टर किया गया है. ये भी दूध और मांस का बढ़िया प्रोडक्शन देती है.