Refueling Kitchens from Gobar Gas Plant: हर घर में खाना बनाने के लिये ईंधन का इस्तेमाल तो किया ही जाता है. बड़े पैमाने पर देखें तो भारत में ईंधन की खपत काफी हद तक बढ़ गई है. देश में ऊर्जा को स्रोत को कम हैं, लेकिन उनका उपयोग बड़ी मात्रा में किया जा रहा है. जो कि चिंता का विषय है. ग्रामीण आबादी ने इस समस्या का समाधान गोबर गैस संयंत्र के रूप में निकाल लिया है. इस तकनीक के जरिये कम खर्च में खेती के लिये खाद मिल जाती है और रसोई के लिये ईंधन की कमी भी पूरी हो जाती है. खेती के साथ-साथ पशुपालन करने वाले किसानों को इससे ज्यादा फायदा पहुंचेगा. 


क्या है गोबर गैस संयंत्र
भारत में गोबर गैस प्लांट को कई डिजाइनों में बनाया गया है, जो अलग-अलग तरीके से काम करते हैं. आमतौर पर गोबर गैस प्लांट सिर्फ पानी और गोबर से चलाये जा रहे हैं. इस प्लांट में गोबर डालने के लिये एक मोटी पाइप का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्लांट को लीकेज फ्री बनाया जाता है, जिसमें दवाब के कारण गोबर गैस बनकर बाहर आती है. इस प्लांट की खास बात है कि इसमें गोबर जल्दी सूख जाता है, जिसके चलते गोबर को इकट्ठा करने के लिये अलग से खड्डा बनाना नहीं पड़ता. इसके अलावा इस संयंत्र से रसोई में रखें चूल्हे की पाइप को भी जोड़ सकते हैं.


कैसे काम करता है प्लांट
गोबर गैस प्लांट को बनाने के लिये ईंट, सीमेंट, बजरी, रेत, पेंट, गैस पाइप, बड़ा पाइप और बर्नर की जरूरत होती है. सबसे पहले प्लांट को पानी और गोबर के घोल से भर दिया जाता है. जब प्लांट सही चलने लगे तो इससे निकला 10% गोबर भी वापस इसी में डाल दिया जाता है. करीब 10-15 दिन तक गैस की पाइप से ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाता, इस पाइप को बंद कर दिया जाता है. 15 दिन बाद इसके ईंधन का इस्तेमाल कर सकते हैं.


ध्यान रखने योग्य बातें
गोबर गैस प्लांट लगाने के लिये किसान के पास कम से कम तीन पशुओं का होना जरूरी है, जो गोबर की आवश्यकता को पूरा करते रहें.
गोबर गैस प्लांट को ठीक प्रकार से चलाने के लिये ट्रेनिंग की भी आवश्यकता होती है. 
प्लांट की छत का मुआयना करते रहें, ध्यान रखें कि छत से लीकेज न हो, इससे गैस बनने में परेशानी हो सकती है.
समय-समय पर प्लांट के दूसरे उपकरणों की जांच भी करते रहें.


इसे भी पढ़ें:-


Kisan Credit Card Yojna: 4% ब्याज पर मिलेगा 3 लाख का लोन, ऐसे बनवाएं किसान क्रेडिट कार्ड


Rain water Harvesting-Monsoon 2022: खेती में बंपर पैदावार के लिये करें 'वर्षा जल संचयन', मिलेगी सरकारी मदद