57th Installment Godhan Nyay Yojana: जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर तमाम योजनाएं चलाई जाा रही हैं. इनमें से कई योजनाएं गाय पालन की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं, ताकि गोबर-गौमूत्र के इस्तेमाल से खेती की लागत तो कम किया जा सके और दूध से अतिरिक्त आमदनी मिल जाए. छत्तीसगढ़ सरकार भी ऐसी ही एक गोधन न्याय योजना चला रही है, जिसके तहत गौठानों में गोबर-गौमूत्र खरीदा जाता है और इस गोबर-गौमूत्र से महिलाओं और दूसरे स्वयं सहायता समूह वर्मी कंपोस्ट, बायोगैस, जैविक कीटनाशक जैसे तमाम उत्पादन तैयार करते हैं. इस बीच हितग्राहियों से खरीदे गए गोबर की एवज में राज्य सरकार ऑनलाइन भुगतान भी करती है. हाल ही में गोधन न्याय योजना की 57वीं किस्त के तौर पर 7.83 करोड़ रुपये सीधा लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए हैं.


महिला समूहों को मिले 1 करोड़ 95 लाख रुपये


छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत 16 नवंबर से 30 नवंबर तक के लिए हितग्राहियों को 7.83 करोड़ रुपये का अमाउंट ऑनलाइन ट्रांसफर किया गया है. इसमें गोबर बेचने वाले पशुपालकों, ग्रामीणों, किसानों और भूमहीन मजदूरों से खरीदे गए गोबर के लिए गौठान समितियों को 28 लाख रुपये और महिला स्वयं सहायता समूहों को 1 करोड़ 93 लाख रुपये की राशि भेजी गई है. इस तरह कुल 3.213 करोड़ रुपये के साथ 62,517 गोबर संग्राहकों को भी 4.621 करोड़ रुपये का अमाउंट जारी हुआ है.






4270 गौठान हुए स्वावलंबी


गोधन न्याय योजना के तहत 57 वीं किस्त जारी करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि आज गौठान अपनी ही जमापूंजी से गोबर खरीद रहे हैं, जो गोधन न्याय योजना की सबसे बड़ी सफलता है. राज्य के ग्रामीण इलाकों में आधे से ज्यादा गौठान ये काम अपने दम पर कर रहे हैं. गोबर विक्रेताओं को ट्रांसफर किए गए 4.62 करोड़ रुपये में से 4 हजार 270 गौठानों ने 2.88 करोड़ रुपये का पेमेंट किया और कृषि विभाग ने भी 1.74 करोड़ का भुगतान किया है.


11 हजार से अधिक गौठानों को मिला अप्रूवल


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में 11 हजार 252 गौठानों को अप्रूवल दिया गया है, जिसमें से 9,619 गौठान बनकर तैयार हो गए हैं. इन गौठानों में से ग्रामीण इलाकों को 8,440 गौठान मिले हैं, जिनमें से 4,270 पूरी तरह से स्वावलंबी हो गए हैं. ये अपने ही फंड से गोबर-गौमूत्र खरीदते हैं. इसके अलावा, वर्मी कंपोस्ट का प्रोडक्शन और वितरण में भी सरकार की पूरी मदद मिल रही है. 


खाते में ट्रांसफर किए 188.45 करोड़


छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों के लिए गोधन न्याय योजना वरदान साबित हो रही है. इस योजना के प्रबंध संचालक डॉ. अय्याज तंबोली बताते हैं कि गोधन न्याय योजना की शुरुआत से लेकर अभी तक गौठानों को 188.45 करोड़ रुपये और महिला स्वयं सहायता समूह को 180.05 करोड़ रुपये का पेमेंट सीधा बैंक खाते में ट्रांसफर कर चुकी है.अभी तक राज्य के गौठानों नमें 19.82 लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का प्रोडक्शन हुआ है, जिसमें से 16.24 लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बिक चुकी है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें: फल, सब्जी, अनाज की ऑनलाइन मार्केटिंग में सबसे आगे हैं इस राज्य की मंडियां, कोरोना के बाद बढ़ा करोबार