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Yellow Revolution: ये शहद नहीं सोना है, जानें मधुमक्खी पालने पर कैसे होगी दोगुनी कमाई
Bee Keeping: मधुमक्खी के जरिये शहद उत्पादन करने के लिये सही ट्रेनिंग का होना बेहद जरूरी है, जिससे किसान मधुमक्खियों की सही देखभाल और निगरानी कर सकें.
![Yellow Revolution: ये शहद नहीं सोना है, जानें मधुमक्खी पालने पर कैसे होगी दोगुनी कमाई good income by doing beekeeping and honey production with the right technology. Yellow Revolution: ये शहद नहीं सोना है, जानें मधुमक्खी पालने पर कैसे होगी दोगुनी कमाई](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/26/02ec74c442ae10bd935bc28e38c6b712_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Honey Farming: सरकार किसानों को आत्ममिर्भर बनाने के लिये खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालने के लिये प्रोत्साहित कर रही है. इस विधि से किसानों को खेती के साथ-साथ शहद उत्पादन करके अच्छी आमदनी होगी ही, साथ ही लागत में भी कमी आयेगी. अगर किसान फूलों की या फलों की खेती कर रहे हैं, तो साथ में शहद उत्पादन के लिये मधुमक्खी पालन की यूनिट लगा सकते हैं. मधुमक्खी पालन पालतू मधुक्खियों के साथ किया जाता है, जिसके तहत मधुमक्खियों के रहने के लिये लकड़ी के घर यानी बक्सों का इस्तेमाल किया जाता है, इस लकड़ीनुमा संरचना में ही मधुमक्खियां शहद लाकर इकट्ठा करती हैं.
कैसे करें मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी के जरिये शहद उत्पादन करने के लिये सही ट्रेनिंग का होना बेहद जरूरी है. इससे मधुमक्खियों की सही देखभाल और निगरानी करने में आसानी रहती है. इस काम में मधुमक्खी का की रोल होता है, इसलिये बाजार से मधुमक्खी खरीदने वक्त ध्यान रखें कि मधुमक्खी रानी और गर्भित हो. जिससे बाकी मधुमक्खियां ठीक से काम कर सकें. मधुमक्खी पालन की कॉलोनियों को खेत के 1 किलोमीटर के दायरे में ही बनायें, क्योंकि मधुमक्खियों की उडान एक किलोमीटर तक ही होती है. कॉलोनी बनाते समय याद रखें कि बक्सों को बिजली के तौरों से दूर गीली और नमी वाली जगह पर ही लगायें. हर बक्से की बीच करीब 5 फुट का फासला भी रखें.
सही देखभाल से किसान मालामाल
मधुमक्खी पालन से अच्छी आमदनी तभी होगी, जब साफ-सफाई और मधुमक्खियों की ठीक से देखभाल की जायेगी. इसलिये बक्सों की साफ-सफाई समय पर करते रहें. इसी के साथ-साथ हर 15 दिनों में बक्सों और फ्रेम पर सल्फर का बुरकाव करें. ततैयों से मधुमक्खियों की देखभाल के लिये ततैया के छत्तों को हटाते रहें. चीटियों और दूसरे जानवरों की भी निगरानी करते रहें. शहद हमेशा ठंडे मौसम में फ्रेम के 80% मोम से ढंक जाने के बाद निकालें. सबसे पहले फ्रेम को निकालकर मोम की परत को हदा दें. इसके बाद शहद को निष्कासन मशीन में डालें. शहद निकलने के बाद इसे मलमल के कपडे में छानकर कांच की बोतलों में भर लेना चाहिये.
लागत और आमदनी
मधुमक्खी पालन को छोटे स्तर पर 10 बक्सों के साथ शुरू कर सकते हैं. सालभर में एक बक्से से करीब 30-40 लीटर तक शहद मिल जाता है और सालभर में इन 10 बक्सों से करीब 400 लीटर तक शहद की प्राप्ति होती है. बाजार में शहद को करीब 350 रुपये/लीटर के हिसाब से बेचा जाता है. यानी सालभर में किसान 1,40,000 रुपये तक की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. अगर लागत की बात करें तो एक बॉक्स की कीमत करीब 200 रुपये होती है. इस तरह से अगर 10 बॉक्स लगाये जाते हैं तो 20,000 से 24,000 रुपये तक का खर्च आ जाता है. लेकिन अगर कमाई की बात करें तो किसान सालभर में लागत से कई गुना ज्यादा कमाई कर लेते हैं.
देश में हर्बल उत्पादों की मांग दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. वहीं शहद में मौजूद औषधीय गुणों के कारण सालभर इसकी मांग बाजार में बनी रहती है . जानकारी के लिये बता दें कि शहद में 75 फीसदी ग्लूकोज, फ्रक्टोज और दूसरी शर्करा के साथ-साथ कुछ मात्रा में अमीनो एसिड और विटामिन-ए, बी, सी, डी, ई पाया जाता है. ये कई बीमारियों में अमृत का काम करता है.
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