Waste To Wealth Plant: देश के ग्रामीण इलाकों में पशुपालन का चलन बढ़ता जा रहा है. कई राज्यों में दुधारु पशुओं से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है. पशुपालन और खेती-किसानी में काफी चीजें आपस में जुड़ी हुई है. एक तरफ खेतों से निकले फसल अवशेष पशुओं के लिए पोषणयुक्त हरे चारे का काम करते हैं तो वहीं पशुओं के अवशिष्ट से मिट्टी की उर्वरता और फसल उत्पादन बढ़ाने में खास मदद मिलती है. जिसे कभी वेस्ट समझा जाता था, उसी  गाय-भैंस के गोबर को आज डबल इनकम मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है. कई राज्यों में बायो-गैस प्लांट के जरिए गोबर से ईंधन बनाया जा रहा है तो कहीं खाद, उर्वरक, पेंट और कई इको फ्रैंडली उत्पाद बनाकर गांव के लोग अच्छी आय ले रहे हैं. इसी गोबर को लेकर बजट 2023-24 में बड़ा ऐलान हुआ. 


गोबरधन योजना से बढ़ेगी इनकम
बजट 2023-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सर्कुलर इकनॉमी को बढ़ावा देने के लिए गोवर्धन योजना यानी गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन योजना के तहत 10,000 करोड़ रुपये के बजट से 500 नए ‘कचरे से संपदा’ (Waste to Weath) प्लांट लगाने की घोषणा हुई. इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है गांव में साफ-सफाई को सकारात्मक तौर पर बढ़ाना और पशुओं या अन्य सोर्स से मिलने वाले ऑर्गेनिक वेस्ट से पैसा और ऊर्जा निर्माण करना, ताकि गांव में आजीविका के नए रास्ते खुल सकें और किसान-पशुपालकों की इनकम में इजाफा हो.


कहां खुलेंगे वेस्ट टू वेल्थ प्लांट
गोवर्धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan) योजना के तहत ऑर्गेनिक वेस्ट का सही निपटारा करने और इससे कमाई करने के लिए 500 वेस्ट टू वेल्थ प्लांट लगाने का प्लान है. इनमें से 200 कंप्रेसर बायोगैस प्लांट शहरी इलाकों में स्थापित किए जाएंगे, जबकि 300 प्लांट कम्युनिटी आधारित होंगे. सरकार का मानना है कि वेस्ट-टू-वेल्थ प्लांट से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में भी खास मदद मिलेगी.


कैसे मिलेगा लाभ
बजट 2023-24 में हुई घोषणा के मुताबिक, गोबरधन योजना के लाभार्थी उद्यमियों की जिम्मेदारी होगी कि गांव में क्लस्टर्स बनाएं, ताकि जैविक खाद, बायोगैस, बायो-CNG बनाने के लिए गोबर और ठोस अपशिष्टों का एकत्रीकरण और संग्रहण किया जा सके. वैसे तो गोबरधन योजना से सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ही होगा.


गांव में रोजगार को अवसर बढ़ेंगे, किसान और पशुपालकों की इनकम बढ़ेगी, लेकिन छत्तीसगढ़ में चलाई जा रही गोधन न्याय योजना की तर्ज पर देखें तो महिलाओं को गोबर के औद्योगिकीकरण और इससे बनी बायो गैस से ज्यादा लाभ होगा. इससे ग्रामीण परिवेश साफ-स्वच्छ बनेगा और ग्रामीण आबादी को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी. 


अभी तक कितनी कवरेज हुई
गोबरधन योजना के ऑफिशियल पोर्टल से मिली जानकारी के मुताबिक, यह योजना मवेशियों और जैविक कचरे के सुरक्षित प्रबंधन पर एक जन आंदोलन है, जिसके तहत 584 बायो-गैस/सीबीजी प्लांट स्थापित हो चुके हैं और अपना काम चालू कर चुके हैं. 175 बायो-गैस/सीबीजी संयंत्र अभी भी निर्माणाधीन हैं. गोबरधन स्कीम के तहत 151 जिलों को कवर किया जा चुका है, जहां बायो गैस और सीबीजी प्लांट स्थापित किए गए हैं.


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