Rain water Harvesting-Monsoon 2022: खेती में बंपर पैदावार के लिये करें 'वर्षा जल संचयन', मिलेगी सरकारी मदद
Monsoon Update 2022: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा मानसून 2022 में बंपर बारिश का अनुमान है. ऐसे में वर्षा जल संचयन की तकनीक से ग्रामीण-शहरी आबादी को काफी फायदा पहुंचेगा.
Rain water Harvesting-Monsoon 2022: आज दुनिया बढ़ती आबादी और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पानी की कमी से जूझ रही है. शहरों से लेकर गांव तक पानी की खपत तो ज्यादा है, लेकिन पानी हासिल करने के जरिये बेहद कम होते जा रहे है. धरती में पानी का स्तर भी गिरता जा रहा है, जो कि वैश्विक चिंता का विषय है. भारत के कई इलाकों में भी लोग पानी की भयंकर कमी का सामना कर रहे हैं. इस समस्या के समाधान के लिये वर्षा जल संचयन को बेहतरीन माना गया है. देशभर में इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिये कई जागरुकता के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं.
खेती किसानी के लिये अमृत
अगर बात करें ग्रामीण इलाकों की, तो यहां खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारियां चल रही है. जिसके कारण आने वाले समय में सिंचाई के लिये बड़ी मात्रा में पानी की जरूर पडेगी. ऐसे में हमारे किसान भाई वर्षा जल संचयन की तकनीक को अपनाकर पानी की बढ़ती खपत को कम कर पायेंगे बल्कि बारिश के पानी से सिंचाई करके फसलों की बंपर पैदावार भी हासिल कर सकेंगे.
भारत सरकार की योजनायें
भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गांव और शहरों में वर्षा जल संचयन के लिये 'कैच द रेन' अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बारिश के पानी को जलाशयों में इकट्ठा कर लिया जाये. इस अभियान के तहत पानी को जमा करने के लिये संरचनाओं का निर्माण, मौजूदा तालाबों और जल निकायों का जीर्णोद्धार, नए जलाशयों का निर्माण और चेक डैम की व्यवस्था करना शामिल है.
कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद 'कैच द रेन' अभियान ने काफी उपलब्धियां हासिल की है. इस काम में ग्रामीण विकास मंत्रालय की मनरेगा योजना के तहत कई गांवों में पानी को इकट्ठा करने से जुड़े काम किये जा रहे हैं. इस अभियान में बारिश के पानी के लिये ढांचों को बनाने के साथ-साथ फसल विविधीकरण, वनरोपण और जरूर के अनुसार पानी के इस्तेमाल के प्रति समाज को जागरुक करने की जिम्मेदारी भी शामिल है.
बंपर बारिश का अनुमान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी द्वारा मानसून 2022 में बंपर बारिश का अनुमान है. ऐसे में वर्षा जल संचयन की तकनीक पर काम करने से ग्रामीण आबादी को तो फायदा पहुंचेगा ही. साथ ही खेती-किसानी से जुड़े कामों में पानी की खपत को भी कम किया जा सकेगा.
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