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Glyphosate Ban: फसल पर ये दवा नहीं छिड़क पायेंगे किसान, सरकार ने लगा दिया प्रतिबंध, जानिए क्या है कारण
Glyphosate ban: पिछले 40 सालों से करीब 160 देशों में इस खरपतवारनाशी दवा का छिड़काव हो रहा था. भारत ने स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से इसके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है और पीसीओ के लिए सीमित कर दिया है.
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Glyphosate Ban: खेती-किसानी में कीट-रोग और खरपतवारों के प्रकोप के चलते किसान कई तरह की कैमिकलयुक्त दवाओं का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. ऐसी ही एक दवा है हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट, जिसका इस्तेमाल खरपतवार नियंत्रण के लिये किया जाता रहा है. पिछले 40 साल से करीब 160 देशों के किसान इस कैमिकल का छिड़काव फसलों पर करते आ रहे हैं, लेकिन भारत सरकार ने स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से इस कैमिकल पर प्रतिबंध (Glyphosate Banned in India) लगा दिया है. अब देश के इसका डिस्ट्रीब्यूशन, बिक्री और इस्तेमाल भी किसान नहीं कर पायेंगे. वैसे तो इस कैमिकल को सुरक्षित और प्रभावी खरपतवारनाशी के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन अब सिर्फ पीसीओ के माध्याम से ही ग्लाइफोसेट के फॉर्मूलेशन को सीमित कर दिया गया है. भारत सरकार के फैसले पर एजीएफआई (AGFI) ने ग्लोबल रिसर्च और नियामक निकायों से समर्थन का हवाला देते हुये प्रतिबंधों का विरोध किया है.
भारत सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन
भारत ने हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध लगाकर एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इस नोटिफिकिकेशन में लिखा है कि Glyphosate का प्रयोग अब प्रतिबंधों के अधीन आता है. अब पेस्ट कंट्रोल ऑपरेटर्स (PCO) के अलावा कोई भी किसान या व्यक्ति ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल नहीं करेंगे. वहीं नोटिफिकेशन में कंपनियों को भी ग्लाइफोसेट और उसके डेरिवेटिव के लिए मिले रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को भी रजिस्ट्रेशन कमेटी को लौटाने के निर्देश मिले हैं.
वापस करें सर्टिफिकेशन
ग्लाइफोसेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत सरकार ने सरकारी नोटिफिकेशन में कंपनियों के लिए भी चेतावनी जारी की है और 3 महीने के अंदर सर्टिफिकेट्स वापस करने के निर्देश दिये है, जो भी कंपनियां सर्टिफिकेट नहीं लौटायेंगी, उन पर Insecticides Act, 1968 के प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जायेगी. रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत सरकार का ये फरमान Glyphosate को प्रतिबंधित करने वाली अंतिम अधिसूचना 2 जुलाई, 2020 को जारी होने के 2 साल बाद आया है. बता दें कि केरल सरकार की एक रिपोर्ट के बाद हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट पर मसौदा जारी हुथा, जिसमें इस खरपतवार नाशक के डिस्ट्रीब्यूशन, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात कही गई थी.
🐝 Finnish researchers have found that glyphosate-based herbicides affected a bumblebees' ability to learn and memorize connections between colors and taste, decreasing its capacity to forage and build nests, and could in turn threaten food cultivation pic.twitter.com/yihd7WF90w
— Reuters (@Reuters) October 21, 2022
खेती-किसानों पर भी पड़ेगा असर
कैमिकल हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंधल लगाने के बाद सरकार ने स्वास्थ्य और सुरक्षा कारकों को जिम्मेदार ठहराया है. सरकार के इस कदम के विरोध में एग्रो-केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (ACFI)भी सामने आया है. इस मामले में एसीएफआई के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने बयान कर बताया है कि, ग्लाइफोसेट-आधारित फॉर्मूलेशन का इस्तेमाल काफी सुरक्षित हैं. भारत के साथ-साथ दुनिय के कई अग्रणी नियामक प्राधिकरणों ने इसके परीक्षण और सत्यापन में योगदान दिया है.
एसीएफआई के महानिदेशक के मुताबिक, ग्लाइफोसेट पर बैन लगाने का कोई तर्क नहीं है. पीसीओ के माध्यम से प्रयोग को सीमित करने पर भी किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इससे खेती की लागत भी बढ़ेगी. जानकारी के लिए बता दें कि नीदरलैंड में भी हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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