अरहर की खेती करने के लिए मिल रही तगड़ी सब्सिडी, जान लें क्या है प्लान
अरहर की बुवाई जून से जुलाई के महीने में की जाती है. अब अरहर की खेती के लिए सरकार किसान भाइयों को सब्सिडी भी उपलब्ध करवा रही है.आइए आपको बताते हैं कैसे मिलेगी यह सब्सिडी.
Goverment Subsidy: किसानों को दलहन उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. साथ ही किसानों को अधिक उत्पादन देने वाली अच्छी दाल की किस्मों की खेती के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. जब बात दालों की खेती की आती है, तो भारत में अरहर दाल बहुतायत में उगाई जाती है. भारत दुनिया का 85% अरहर उत्पादन करता है.
अरहर को दालों का राजा भी कहते हैं क्योंकि यह प्रोटीन, खनिज, कैल्शियम, लोहा, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर है. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात में इसकी खेती की जाती है. अरहर दाल दोनों शुष्क और नमी वाले स्थानों में उत्पादित होती है. इसे अच्छी सिंचाई के साथ सूर्य की ऊर्जा भी आवश्यक है. इसलिए इसकी बुवाई जून से जुलाई के महीने में की जाती है. अब अरहर की खेती के लिए सरकार किसान भाइयों को सब्सिडी भी उपलब्ध करवा रही है. आइए आपको बताते हैं कैसे मिलेगी यह सब्सिडी.
ये है सब्सिडी स्कीम
भारत का लक्ष्य है कि वो 2027 तक दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ले. दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और बाहरी खरीद को कम करने के लिए सरकारें कई योजनाएं चला रही है. सब्सिडी का फायदा क्लस्टर में दिया जाएगा जिसमें एक क्लस्टर 25 एकड़ का होगा. हर लाभार्थी को बीज वितरण के लिए कम से कम एक एकड़ और ज्यादा से ज्यादा 2 एकड़ का फायदा दिया जाएगा.
फिलहाल यह योजना भारत के बिहार राज्य के किसानों को दी जा रही है. इसके तहत बिहार के 38 जिलों के किसान इस सब्सिडी का फायदा ले सकते हैं. अरहर फसल सब्सिडी के तहत इस स्कीम में 3600 रुपये प्रति एकड़ दिए जाएंगे. सरकार ने अरहर दाल उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत 5000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कुल 2980 क्विंटल अरहर के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.
इस तरह से मिलेगी बढ़िया फसल
खेतों में अरहर की बुवाई करने के बाद, खरपतवारों को उखाड़कर जमीन में ही दबा दें. अरहर की फसल को बुआई के 30 दिन बाद फूल आने पर पहली बार सिंचाई करें. फसल में फली आने के 70 दिन बाद दूसरी सिंचाई करनी चाहिए. अरहर की सिंचाई बारिश पर निर्भर करती है, लेकिन कम बारिश होने पर भी फसल को बुआई से 110 दिन बाद भी पानी देना चाहिए. अरहर में बीमारियों और कीटों की निगरानी करते रहें और जैविक कीटनाशकों का ही उपयोग करें. अरहर अच्छी उपज देने के लिए रेतीली दोमट मिट्टी या मटियार दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है.
अरहर की बुवाई से पहले खेतों में गोबर की कंपोस्ट खाद लगाकर मिट्टी को पोषण दें. खेत में गहरी जुताई के बाद जल निकासी सुनिश्चित करें, क्योंकि जलभराव अरहर को खराब करता है. अरहर की बुवाई जून-जुलाई के मौसम में पहली बारिश पड़ते ही या जून के दूसरे सप्ताह से शुरू करें. बुवाई के लिये अरहर की मान्यता प्राप्त उन्नत किस्मों को ही चुनें, क्योंकि यह गुणवत्तापूर्ण उत्पादन देगा. खेतों में बुवाई से पहले बीज उपचार भी करना आवश्यक है ताकि कीट-रोग फसल में नहीं फैल सकें.
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