International Year of Millets 2023: मोटे अनाज को लेकर सरकार का बड़ा प्लान, जानिए क्या नया होने वाला है
Millets Promotion: भारत के प्रस्ताव पर UN ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है. केंद्र ने भी मोटे अनाज और इसके मूल्यवर्धित उत्पादों को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का प्लान बनाया है.
Millets Cultivation: ये नया साल देश के किसानों के लिए नई उम्मीदें लेकर आया है. भारत के प्रस्ताव और 72 देशों के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित कर दिया है. भारत ने भी पूरी दुनिया को मोटे अनाजों की अहमियत समझाने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एपीड़ा (APEDA) के माध्यम से पूरी दुनिया में मोटे अनाजों के निर्यात को बढ़ावा देने का प्लान तैयार किया है. पिछले साल भी भारत ने करीब 34.32 मिलियन डॉलर मूल्य के मोटे अनाजों का निर्यात किया था.
अब मोटे अनाजों और उसके मूल्यवर्धित उत्पादों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए ना सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष-2023 (International Year of Millets 2023) का आयोजन किया जाएगा, बल्कि मोटे अनाजों की ब्रांडिंग और प्रमोशन के लिए भी विदेशों में मौजूद भारतीय मिशनों को एकजुट करने की योजना है. इस प्लान पर काम चालू हो गया है.
किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों को मिलेगी मदद
विदेश में देसी मोटा अनाज पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने 16 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एक्सपो और क्रेता-विक्रेता बैठकों के माध्यम से किसान, व्यापारी और निर्यातकों की भागदारी में मदद करने की योजना बनाई है. विदेश में मोटे अनाजों के प्रचार के लिए भारतीय मिशनों को जोड़ा जाएगा. मोटे अनाजों से इंटनेशनल शेफ्स (रसोईयों) के साथ-साथ डिपार्टमेंटल स्टोर, सुपर मार्केट और हाइपर मार्केट में भी जागरूकता फैलाई जाएगी, ताकि उपभोक्ता तक इसकी आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. भारत में मौजूद विदेशी मिशनों, राजदूतों और आयातकों को मोटे अनाजों के रेडी टू ईट उत्पाद दिखाए जाएंगे.
क्या है सरकार का प्लान
मोटे अनाजों की खेती से लेकर इसके निर्यात और प्रमोशन के लिए केंद्र ने भी खास प्लान बनाया है. सरकार ने मोटे अनाज और इनके मूल्यवर्धित उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए हर एक लक्षित देश के लिए 30 ई-कैटलॉग विकसित किए हैं, जिनमें भारतीय मोटे अनाजों तक पहुंच बनाने के लिए मूल्य वर्धित उत्पादों की श्रृंखला से लेकर सक्रिय निर्यातकों, स्टार्टअप, एफपीओ और आयातक/खुदरा श्रृंखला/हाइपर मार्केट्स की जानकारी दी जाएगी.
इन कैटलॉग्स को विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास, आयातकों, निर्यातकों, स्टार्टअप और हितधारकों को भेजा जाएगा. इसके अलावा, सरकार ने मिलिट्स के रेडी टू ईट और रेडी टू सर्व फूड प्रॉडक्ट्स जैसे- नूडल्स, पास्ता, ब्रेकफास्ट सीरियल्स मिक्स, बिस्कुट, कुकीज, स्नैक्स, मिठाई जैसे फूड प्रोडक्ट्स के उत्पादन को निर्यात को बढ़ाने के लिए कई मिलिट्स आधारित स्टार्ट अप को भी प्रोत्साहित कर रही है.इन फूड प्रोडक्ट्स तो लुलु ग्रुप, कैरेफोर, अल जज़ीरा, अल माया, वॉलमार्ट जैसे मेन इंटरनेशनल सुपरमार्केट से जोड़ने की योजना है, जिससे मिलिट्स की ब्रांडिंग और प्रमोशन के लिए स्पेशल स्टॉल्स लगाए जा सके.
एपीडा ने बनाया खास प्लान
पूरी दुनिया तक मोटे अनाजों को पहुंचाने के लिए एपीडा ने दक्षिण अफ्रीका, दुबई, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, सिडनी, बेल्जियम, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका में कुछ खास कार्यक्रम डिजाइन किए हैं. गुलफूड 2023, फूडेक्स, सउदी एग्रो फूड, सिडनी में फाइन फूड शो, बेल्जियम में फूड और बेवरिज शो, जर्मनी में बायोफैक, सोल फूड एंड होटल शो और अनुगा फूड फेयर, सेन फ्रैंसिस्को में विंटर फैंसी फूड शो समेत कई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में मोटे अनाजों और उसके मूल्यवर्धित उत्पादों को प्रदर्शित करने का भी प्लान है. इतना ही नहीं, एपीडा ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर मिलिट्स आधारित एक स्पेशन सेक्शन भी बनाया है, जिसमें कई देश और कई राज्यों पर आधारित ई-कैटलॉग्स भी मिल जाएंगे.
इन संस्थाओं का रहेगा अहम रोल
वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 में मोटे अनाजों की खेती से लेकर इसके निर्यात और देश में इसकी उपयोगिता को बढ़ाने के लिए सभी मंत्रालय का संयुक्त योगदान रहेगा, लेकिन खाद्य और कृषि आधारित देश की बड़ी संस्थाएं भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मोटे अनाजों और उनके मूल्यवर्धित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग देंगी.
इनमें आईसीएआर-भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (IIMR), आईसीएमआर-राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद सीएसआईआर-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI), मैसूर और किसान उत्पादक संगठनों (FPO)का सहयोग रहेगा, जिसके लिए 5 वर्षीय रणनीतिक योजना तैयार हो रही हैं.
मोटे अनाजों में भारत की हिस्सेदारी
भारत को मोटे अनाजों का एक अग्रणी उत्पादक देश कहा जाता है, जहां से मोटे अनाजों के वैश्विक उत्पादन का 41 फीसदी हिस्सा मिल रहा है. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में मोटे अनाजों का वैश्विक उत्पादन 30.464 मिलियन मीट्रिक टन था, जिसमें भारत की भागीदारी 12.49 मीट्रिक टन यानी करीब 41 प्रतिशत थी. यदि बात करें 2021-22 के आंकड़ों की तो इस साल भारत ने मोटे अनाजों के उत्पादन में 27 प्रतिशत की ग्रोथ की, 15.92 मीट्रिक टन मोटे अनाजों का उत्पादन लिया. इस लक्ष्य को हासिल करने में राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश राज्य आगे रहे.
इन देशों में हो रहा निर्यात
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टेटिस्टिक्स (DGCIS) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021-22 में भारत ने 8.02 फीसदी की ग्रोथ के साथ 159,332.16 मीट्रिक टन का निर्यात किया. इस दौरान भारत ने संयुक्त अरब अमीरात से लेकर नेपाल, सऊदी अरब, लीबिया, ओमान, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, ब्रिटेन, अमेरिका में बाजरा, रागी, कनेरी, जवार और कुट्टू का निर्यात किया.
वहीं भारत से मोटे अनाज मंगवाने वाले प्रमुख आयातक देशों में इंडोनेशिया, बेल्जियम, जापान, जर्मनी, मेक्सिको, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील और नीदरलैंड का नाम भी टॉप पर आता है. जानकारी के लिए बता दें कि आज देश में 16 तरह के मोटे अनाजों का उत्पादन और निर्यात हो रहा है, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, चीना, कोदो, सवा/सांवा/झंगोरा, कुटकी, कुट्टू, चौलाई और ब्राउन टॉप मिलेट प्रमुखता से शामिल हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.