Spices Export: भारतीय व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने वाले मसाले विदेशियों को खूब भा रहे हैं. साल दर साल मसालों का निर्यात भी बढ़ता जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी भारतीय मसालों की मांग में इजाफा देखने को मिला है. इस काम में केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाएं मददगार साबित हो रही है. इन्हीं योजनाओं का असर है कि आज अलग-अलग मिट्टी और जलवायु में कुल 63 तरह के मसाले उगाए जा रहा है, जिनमें से 21 मसालों की कमर्शियल फार्मिंग हो रही है.
इन मसालों में काली मिर्च से लेकर लाल मिर्च, अदरक, हल्दी, लहसुन, इलायची (छोटी और बड़ी), धनिया, जीरा, सौंफ, मेथी, अजवाइन, सोआ बीज, जायफल, लौंग, दालचीनी, इमली, केसर, वेनिला, करी पत्ता और पुदीना शामिल हैं.
आज लहसुन उत्पादन के क्षेत्र में भारत सबसे आगे है. वहीं मिर्च के उत्पादन में दूसरे, अदरक के उत्पादन में तीसरे और हल्दी के उत्पादन में चौथे स्थान पर है. भारतीय कृषि भूमि का एक बड़ा हिस्सा जीरा की खेती से भी कवर हो रहा है.
मसालों की खेती के लिए कृषि योजनाएं
यदि किसान आने वाले समय में मसालों की खेती करने का मन बना रहे हैं तो सरकार की तरफ से ट्रेनिंग, सब्सिडी, अनुदान की सुविधा दी जाती है. इनमें से कुछ योजनाएं पूरे देश में लागू हैं तो कुछ योजनाएं राज्य स्तर पर चलाई जाती है. इनमें एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) शामिल हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश की राज्य सरकार भी मसाला क्षेत्र विस्तार योजना चला रही है.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
पारंपरिक फसलों में बढ़ते नुकसान के मद्देनजर किसानों को बागवानी फसलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. मसाला भी एक प्रमुख बागवानी फसल है, जिसकी खेती से लेकर कटाई, छंटाई करने ग्रेडिंग, शॉर्टिंग, भंडारण और प्रोसेसिंग के लिए भी सरकार किसानों को आर्थिक मदद देती है.
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत मसालों की जैविक खेती करने वाले किसानों को 50% सब्सिडी के साथ-साथ तकनीकी प्रशिक्षण का भी प्रावधान है.
- मसाला भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज पर सरकार 4 करोड़ तक का अनुदान देती है.
- मसालों का प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए भी सरकार कम से कम 40% सब्सिडी यानी 10 लाख रुपये का अनुदान देती है.
- मसालों की छंटाई करने ग्रेडिंग, शॉर्टिंग के लिए भी किसानों को 35% अनुदान दिया जाता है. इसकी यूनिट लगाने में 50 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है.
मसालों की पैकिंग यूनिट लगाने के लिए 15 लाख रुपये तक का खर्च आता है, जिसमें 40% तक सब्सिडी मिल सकती है.
मसालों की खेती के लिए सब्सिडी
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत आवेदन करने पर सभी नियमों, शर्तों और योग्यता को परखकर किसानों को मसालों की खेती के लिए आर्थिक मदद दी जाती है.अलग-अलग इलाकों में मसालों की खेती के लिए 40% सब्सिडी यानी 5,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता है. अधिक जानकारी के लिए ऑफिशियल पोर्टल https://midh.gov.in/ या https://hortnet.gov.in/NHMhome पर विजिट कर सकते हैं.
मसालों का बेहतर उत्पादन हासिल करने के लिए किसानों को सिंचाई के लिए अनुदान मिलता है. किसान चाहें तो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत फव्वारा और बूंद- बूंद सिंचाई के लिए अनुदान देती है, जिसके लिए Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (pmksy.gov.in) पर आवेदन कर सकते हैं. वहीं मसाला फसल में कीट-रोग प्रबंधन के लिए 30% यानी 1200 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान का प्रावधान है.
मसाला क्षेत्र विस्तार योजना
मसालों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर कई योजनाएं चलाती हैं, जिनमें शामिल है मसाला क्षेत्र विस्तार योजना. इस स्कीम के तहत मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग कुछ चुनिंदा मसालों की खेती, क्षेत्र विस्तार और उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों की आर्थिक मदद करता है.
इस स्कीम में मसालों के बीज और प्लास्टिक क्रेट्स खरीदने के लिए 50 से 70 फीसदी सब्सिडी तक के अनुदान का प्रावधान है. इसके अलावा, जड़ या कंद वाली फसल जैसे- हल्दी, अदरक, लहसुन के लिये भी 50,000 प्रति हेक्टेयर अनुदान का प्रावधान है. इस योजना के नियमानुसार एक किसान को अधिकतम 0.25 हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर तक की खेती के लिए अनुदान दिया जाता है.अधिक जानकारी के लिए https://hortnet.gov.in/NHMhome वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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