Top Agriculture Scheme: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करती है. हर सीजन में तरह-तरह की फसल उगाई जाती हैं. किसान भी फसलों से बेहतर उत्पादन के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं. इस बीच सरकार भी किसानों का ये काम आसान बनाने के लिए कृषि योजनाओं का लाभ देती है. इन योजनाओं की मदद से बुवाई से लेकर उपज बेचने तक में आसानी हो जाती है.


केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रहीं कृषि योजनाएं खेती-किसानी से लेकर व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए लोन से लेकर सब्सिडी, इंसेंटिव, फसल बीमा का लाभ देती हैं. इन योजनाओं में किसानों का अंशदान बिल्कुल ना के बराबर होता है. सरकार की 10 कृषि योजनाएं भी आय के नए स्रोतों का सृजन करके किसानों के लिए रोजगार के अवसर खोलती हैं. ये योजनाएं किसानों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का भी आश्वासन देती हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.


प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
'हर खेत को पानी' सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है. धरती में लगातार कम होता पानी कृषि के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. इन चुनौतियों के मद्दे​​ज​र केंद्र सरकार की कृषि सिंचाई योजना में सिंचाई के लिए खेती का विस्तार करने, पानी की बर्बादी को कम करने और पानी के सही इस्तेमाल वाली तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाता है.


इन दिनों पानी की बढ़ती कमी के कारण सरकार बूंद-बूंद सिंचाई मॉडल पर काम कर रही है. इसके लिए टपक और फव्वारा सिंचाई तकनीक पर किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है. पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी के लिए किसी भी सीजन में आवेदन करके लाभ ले सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए ऑफिशियल वेबसाइट Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (pmksy.gov.in) पर विजिट कर सकते हैं.


किसान क्रेडिट कार्ड योजना
खेती-किसानी में बुवाई से लेकर फसलों की बिक्री तक के कामों में अच्छा-खासा पैसा लग जाता है. किसानों के पास इतनी जमा पूंजी नहीं होती कि वो एक सीजन की खेती बिना किसी परेशानी के कर लें. अकसर कई किसानों को पैसों की तंगी के कारण बीच में ही खेती छोड़नी पड़ जाती है. पैसों से जुड़ी ऐसी ही समस्याओं के समाधान के तौर पर सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई है.


इस योजना के तहत किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन की सुविधा दी जाती है. किसान क्रेडिट कार्ड पर किसानों को शॉर्ट टर्म लोन दिया जाता है. साथ ही समय पर लोन उतारने पर सब्सिडी भी दी जाती है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान अपने नजदीकी वित्तीय संस्था या बैंक भी संपर्क कर सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना की वेबसाइट PM-Kisan Samman Nidhi (pmkisan.gov.in) पर भी संपर्क कर सकते हैं.


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि और किसानों के लिए चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी कीट-रोगों के प्रकोप के चलते फसलों को भारी नुकसान हो जाता है, जो अकेले किसानों को वहन करना पड़ता है. इस तरह कई समस्याओं से किसानों और फसलों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है. इस योजना के तहत किसानों की फसल का बीमा किया जाता है.


रबी फसलों का बीमा करवाने के लिए 1.5% ब्याज, खरीफ फसलों का बीमा करवाने के लिए 2% ब्याज का भुगतान और बागवानी फसलों के लिए 5% की दर से अंशदान देना होता है. इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारें भी मिलकर योगदान देती है. अगर प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को नुकसान हो जाए तो 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को सूचना देनी होगी. इसके बाद बीमा कंपनी खेत में जाकर फसल नुकसान का जायजा लेंगी और किसान को बीमा कवरेज का पैसा दे देती हैं. इस तरह किसान बड़े आर्थिक संकट से बच जाते हैं. इस योजना से जुड़ने के लिए ऑफिशियल पोर्टल Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - Crop Insurance | PMFBY - Crop Insurance पर आवेदन कर सकते हैं.


मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना 
ये मिट्टी ही है, जिससे फसलों का उत्पादन मिलता है, इसलिये किसानों को मिट्टी की सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए. मिट्टी की सेहत जानने के लिए केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चलाई है. इस योजना के तहत किसानों को अफने खेत की मिट्टी का सैंपल लेकर मृदा जांत लैब में भेजना होता है. जिसके बाद लैब की तरफ से मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है. इस कार्ड में मिट्टी की कमियां, मिट्टी की आवश्यकता, सही मात्रा में खाद-उर्वरक, कौन सी फसल लगाएं जैसी तमाम जानकारियां मौजूद होती हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए Soil Health Card (dac.gov.in) पर संपर्क कर सकते हैं. 


प्रधानमंत्री कुसुम योजना
भारत में अब सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है. इससे बिजली की बचत तो होती ही है, साथ सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करके अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं. कृषि और किसानों को भी सौर ऊर्जा कई फायदे मिलते हैं. इससे खेतों की सिंचाई आसान हो जाती है. इस काम को आसान और किफायती बनाने के लिए पीएम कुसुम योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत किसानों को खेत में ही सोलर पैनल लगवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे कि सौर ऊर्जा पंप से सिंचाई का काम आसानी से हो जाए और किसान बिजली उत्पादन करके अतिरिक्त आमदनी भी ले सकें.


पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप खरीदने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें 30-30 प्रतिशत अनुदान देती हैं. बाकी 30% भुगतान के लिए किसानों को लोन की सुविधा दी जाती है. इस तरह सिर्फ 10 फीसदी खर्च में किसान सोलर पैनल लगवा सकते हैं. इस योजना से जुड़ने के लिए PM Kusum Yojana (pmkusumyojna.co.in) पर आवेदन कर सकते हैं.


पीएम किसान मानधन योजना
एक किसान का जीवन पूरी तरह से कृषि पर ही आधारित होता है. किसान खेत-खलिहान देखते हुए बड़े होते हैं. यहीं मेहनत करते हैं और अपने प्राण भी छोड़ देते हैं. कई बार जिंदगीभर मेहनत करके भी किसान अपने बुढ़ापे के लिए जमापूंजी नहीं जुटा पाते, जिससे अपने रोजाना के खर्चे पूरा कर सकें. किसानों की इस समस्या को केंद्र सरकार ने समझा और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना चलाई है.


इसे किसान पेंशन योजना भी कहते हैं, जिसके तहत 18 से 40 साल उम्र वाले किसानों को शामिल किया गया है. हर वर्ग का किसान इस योजना में MAANDHAN | CSC e-Governance Services India Limited आवेदन कर सकता है, जिके बाद हर महीने 55 से 200 रुपये का अंशदान देना होगा. इसके बाद किसान की उम्र 60 साल होने पर सरकार की तरफ से 3,000 रुपये महीने यानी 36,000 रुपये सालाना पेंशन दी जाती है. 


प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
भारत में आज भी एक बड़ी आबादी छोटे और सीमांत किसानों की है. इन किसानों के बास 2 एकड़ या उससे कम ही खेती योग्य जमीन होती है, जिससे वो अपनी आजीविका चलाते हैं और कृषि क्षेत्र में अपना योगदान देते हैं. इन छोटे किसानों को आर्थिक सहायता के तौर पर केंद्र सरकार ने सालाना 6,000 रुपये देने का फैसला किया है. इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि यानी पीएम किसान योजना भी चलाई है.


इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को हर साल दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में 6,000 रुपये दिए जाते हैं, ताकि किसान अपनी छोटी-मोटी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा कर सकें. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस समय देश के 8 करोड़ से भी अधिक किसान इस योजना का लाभ ले रहे हैं. इस योजना में आवेदन करने के लिए PM-Kisan Samman Nidhi (pmkisan.gov.in) पर आवेदन कर सकते हैं. 
 
राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम
किसानों को बिचौलियों के शोषण से मुक्ति मिले और वो अपनी फसलों को वाजिब दाम पर बेच सकें. इसके लिए भी केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम योजना चलाई है. इस योजना के तहत किसान घर बैठे फसल की बोली लगाकर देश के किसी भी कोने में अपनी उपज को मन चाही कीमत पर बेच सकते हैं. दरअसल, ई-नाम एक ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल है, जिस पर किसान को अपनी पंजीकरण और फसल की जानकारी देनी होती है.


इसके बाद पोर्टल पर मौजूद कृषि व्यापारी खुद किसान की उपज की बोली लगाते हैं. इसके बाद किसान के ऊपर है कि वो जिस भी कीमत पर चाहे, जहां भी चाहे अपनी उपज बेच सकता है. ऑनलाइन उपज की बिक्री के बाद खुद व्यापारी किसान के पास आकर उपज को ले जाता है. इस तरह किसान का भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी बच जाता है. यहां शोषण की संभावना नहीं रहती, क्योंकि  मंडी व्यापारियों, डीलरों और आढ़तियों के भी लाइसेंस बनाये जाते हैं. ई-नाम पोर्टल पर अपनी उपज बेचने के लिए पोर्टल eNam | Home पर विजिट कर सकते हैं.


राष्ट्रीय बागवानी मिशन
मौसम की अनिश्चितताओं के कारण पारंपरिक फसलों में नुकसान बढ़ता जा रहा है. धान से लेकर गेहूं जैसी नकदी फसलें मौसम की मार झेल रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. यही वजह है कि अब केंद्र सरकार ने किसानों को फल, फूल, सब्जी, जड़ी-बूटी समेत बागवानी फसलों की खेती की तरफ बढ़ने की सलाह दी है. इस काम में राष्ट्रीय बागवानी मिशन किसानों के लिए मददगार साबित हो रहा है.


इस योजना के तहत किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए आर्थिक मदद, सब्सिडी, लोन और ट्रेनिंग दी जाती है. इन फसलों की खेती करने से किसानों को कम समय में ही पैदावार मिल जाती है. साथ ही, बागवानी में आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों को अपनाने से जोखिम बी कम हो जाता है. जो भी किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वो अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग में संपर्क कर सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के ऑफिशियल पोर्टल National Horticulture Board (nhb.gov.in) पर भी विजिट कर सकते हैं.


प्रधानमंत्री किसान उत्पादक संगठन योजना
किसानों की एकता ही, उनकी सफलता का कारण बन सकती है, इसलिये केंद्र सरकार ने देशभर में 10,000 किसान उत्पादक संगठन स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. किसान चाहें तो आपस में मिलकर भी एक किसान समूह बना सकते हैं, जिसके लिए सरकार 15 लाख रुपये देती है. किसान उत्पादक संगठन योजना यानी पीएम किसान एफपीओ योजना के तहत कम से कम 11 किसानों मिलकर एक समूह बनाना होगा.


मैदानी इलाकों में किसान समूह में 300 लोग और पहाड़ी इलाकों के किसान समूह में 100 सदस्य हो सकते हैं. एक बार किसान उत्पादक संगठन को रजिस्टर करने पर सरकारी सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस योजना के तहत सरकार एग्री बिजनेस चलाने और किसानों को कृषि कार्यों के लिए बाज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि मशीनरी खरीदने की सुविधा देती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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